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Shailendra Anand

#newyearresolutions भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद

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New Year Resolutions ्भावचित्र ्
        ्निज विचार ्
तुलसा संग ब्याव्ह में,
एक हरि भज भयो।
गज मन मेरो उदास हे,
कै मन करौ उपहास मेरौ।
जगत पिता ने,
झूठौ रचयौ माया जाल।
जण में फासयौ मणक जींवणा,
भणक ना लागी पाप पुण्यौ काकाज,।
 मती हरी गति हरी ,
घट में रहया प्राण कैणा वास्ते,
 रमन करै जींव म्हारो खौटौ।
जग में ढिंढोरा पीटे में,
 होऊं लागै तण मण सारौ,।
जगत में एक नार एक सार,
 सबमें एक घट सा प्राण है।
मणक बावरा पैला इणमै,,
 हैरा फैरा कर दीजै।
फिर बणी जावा गा,,
 कणी भी धरमणा,।।
जात,धरमणा,उरगा,मुरगा,,
 पूरखा कूण गपलाये म्हारे देस में,।
आज भरौसौणी म्हारे ,,
कुण म्हारे मारे काटै बालै दफणावै  ।।
जौं झूठौ रचयौ माया जाल,,
 खैलयौ सब धर्मोंणा णे।
 तथा कथा उपाख्यानों में,,
 णी रैणौ झूठौ ख्यालौ में।।
       ्कवि््शैलेन्द़ आनंद

©Shailendra Anand #newyearresolutions  भक्ति सागर
कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

Aaj Ka Panchang भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद

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रचना दिनांक 26,,12,,2024,
वार गुरुवार
समय सुबह छह बजे

्निज विचार ्
्शीर्षक ्
््छलक तलक तो आयगी जायगी और अपने विचार सपने बुनते हुए,
जीवन को लेकर चलते फिरते हवाओं के झोके सा अहसास हो,
 जो भी हो अनसुलझे रहस्य, आविष्कार,गणित नई खोज,
ब्रह्मांड में विचरण करने वाले को रुह की गहराईयों से जन्मा विचार ,
सच और रहस्य से पर्दा उठा कर साफ कर देख रहा है्््
््््भावचित्र ्
 पल भर में घड़ी विलक्षण प्रयोग,परीक्षाशाला, में ,
शोध और अनुसंधान एवं प्रशिक्षण सुझाव और प्रतिक्रिया में,
 परिभाषित विकल्प और अपने विचार सोच का दायरा विकसित,
क़िया क़ियात्मक तथ्यों पर आधारित लक्ष से ,
आधार पर जटिल से भी जटिल विषय पर ,
एक निष्कर्ष पर सार्थक विष्लेषण से कई ,,
नव नवोदित विचार का अंकुरण से अपनी रूह में खोकर ,
उस पर कार्य क्षमताओं का स्वरूप खोजना शुरू से अंत तक ,
अपने कर्म और तथ्यों पर आधारित एक सार्थक निर्णय स्वप्रयास से पहुंचना 
और उस पर देश और समाज सभ्यता संस्कृति विश्व की महाशक्ति के,
 समक्ष उपस्थित प्रस्तुत कर एक कदम आगे बढ़ते हुए,
 जीवन से जुड़ी घटनाओं में समर्पण मातृभूमि पर देशभक्ति का दीप प्रज्जवलित कर देख रही है।।
 प्रेम शब्द की शब्दावली में अमर ज्योति प्रकट स्वरूप माना गया है,,
निस्वार्थ सेवा मानव जीवन पर आधारित एक जीवंत प्रयास करें जनसेवा ही मानव धर्म कर्म है ,,।।
हमारे देश का गौरवशाली अतीत और वर्तमान वहआदर्श प्रतिमान है,,
जो धरती पर साकार लोक में सदैव ही अमर शहीद ,
शक्ति पूंज दिव्यता कोटीश्यं नमन वन्दंनीय है ।।
्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ्
26, दिसंबर 2024,,

©Shailendra Anand  Aaj Ka Panchang भक्ति सागर 
कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

#sad_quotes Extraterrestrial life Entrance examination Aaj Ka Panchang Hinduism भक्ति सागर । ्कवि शैलेंद्र आनंद

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White रचना दिनांक  19, 12,  2024,
वार गुरुवार
समय शाम छह बजे


््भावचित्र ्
््निज विचार ्
शीर्षक ्
कशमेकश से भरी नज़रों से कायल हो गया,,
 मैं आपके लिए कुछ भी नहीं हूं लेकिन उम्मीद रखता हूं।
जीने मरने का सबब सबक सिपारा में चाहे तो वो लफ्जो में,,
 मंत्रों में अमोध शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमन वन्दंनीय है,।।1।।
,,मां शब्द,, से बना हुआ आई,
माई, गॉड निक नेम आफ अक्षर इन मदर,माई, अम्मी,,
 तू ही जिंदगी है मेरी, मैं तेरा लाल हूं ।2।।
तेरी सलामत रहे सेहत बेहतर रहे जीवन सफल हो,
 किरदार ऐसा जो खुदाई खिदमतगार तिलिस्मी इल्म से,
तेरी परवरिश से जन्नत से भी अधिक खुबसूरत नज़रा,
 तेरी घर आंगन की चौखट पे है ।3।।
आई, माई ,निक नेम आफ अक्षर इन गाड है,,
शरीर,काया,माया, मापदण्ड है,
यह लौकिक जगत का प्रमाण है,।।4।।
अध्यात्म जगत में अजन्मा है,
अविनाशी आत्मा मेरी पहचान है,,
आनंद भोग अन्नपूरणेश्वरी,।5।
 देवीभ्यो नमः, ॐ नमः आनंद भवाय शैव शैल पुत्री परमेश्वरी ,,
मां पार्वती दक्षायणी सती सावित्री देवी,।।,6।।
 गन्धर्व नगरी मध्यप्रदेश देवास जिले देवास से मां चामुण्डा देवीभ्यौ,
 निरोग रोग अक्षय तृतीया पुत्र कर्मवीर नमोस्तुते,।।7।।
।। नमस्ते पुत्रदायनी विशय प्रार्थना
में सकल जगत में आयुष्याचा कर्म शुभ मुहूर्त फल प्राप्त,,
 शैलेंद्र आनंद दायकं लायकं मां सरस्वती पूत्र मंगलमय स्वागत शुभकामनाएं देते हैं।।8।।
         ‌‌।     ््कवि शैलेंद्र आनंद

©Shailendra Anand #sad_quotes  Extraterrestrial life Entrance examination Aaj Ka Panchang Hinduism भक्ति सागर
        ।    ्कवि शैलेंद्र आनंद

M R Mehata(रानिसीगं )

भक्ति सागर

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जय माता दी

©M R Mehata(रानिसीगं )  भक्ति सागर

Shailendra Anand

भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद

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रचनादिनांक,,7,, नवम्बर,,2024
वार शनिवार
समय सुबह पांच बजे
््भावचित्र ््
््निज विचार ््
्शीर्षक ्
््छाया चित्र में सृष्टि सृजन में एक नज़र में समभाव निष्ठ विचार
 ऐकत्व एकमेव नियती संसार जगत है,,
जींव जंन्तु जीवन में एक सूर्य चंद्र दर्शन सपनो में प्यार प्रेम और विश्वास जगत पिता त्वमेव विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य ज्योति प्रकट हो प्यारा हिंदुस्तान हमारा है ््
््््
नज़र ही नजर में एक बार की जिंदगी को,  
हमेशा के लिए सम्पूर्ण भारत प्रजातांत्रिक देश की व्यवस्था बेहतर बनाने वाले आत्ममंथन करना ही जिंदगी है।।
 यही नजारा देखता हूं जो नज़र और नजरिया समझ कर खैला ही सुन्दर पल अनमोल घड़ी विलक्षण प्रतिभा को निखारना स्वयं को परखना तन मन को शांति प्रदान करे,,
 खोटा सिक्का चलता नहीं है,राम नाम सुखदाई है,
 रावण उसका सबसे बड़ा कारण मजमा लगाकर भोलेनाथ को प्रसन्न कर मदारी बनाकर अयोध्या में जन्म दिवस मंगलमय हो ऐसा खैला रावण ही कर सकता है।।
, जो हर कोई ओर कर भी नहीं सकता था,, 
जो सेतुबंधेश्वररामेश्वरं में जो पंण्डित आचार्य दशानन रावण ही यजमान से दक्षिणा में वो सब लेता है।।
 जो धरती पर साकार लोक में अपना और अपने वंश का कल्याण ही जग में जगदीश्वरी मां जानकी भुमिपुत्री से सजाया गया,,
 जिसे हम अच्छे ख्यालात से राम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं ।।
तो दुनिया में रावण का भी इन्सानी मानस में शास्त्र में,,
 प्रकाशवान जो सुर्य तेज पुंज सम है।।
             ्कवि शैलेंद्र आनंद 
7,, दिसंबर,,2024,,

©Shailendra Anand  भक्ति सागर
              कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद

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रचना दिनांक। 4,, दिसंबर,,2024,,
वार   बुधवार 
समय सुबह  पांच  बजे
्््भाव से काम कर रहे वह आज चेहरे पर मुस्कान लिये अधरो की मुस्कान बने,, 
यही मेरी स्वरचित कविता भाव में स्थित सोच पर जिंदगी में,
 एक स्वर पुकार नाद प्रेम शब्द ही आनंद है ्््
््निज विचार ््
्भावचित्र ्
भावचित्र में सनातन वैदिक विचारधारा शाश्वत सत्यता पर
ख्यालात अपने विचार व्यक्त आस्था प्रकट कर सकते हैं ्
वर्तमान समय में जिस प्रकार निराकार साकार लोक में भ़मण करते हुए
ईश्वर रुप में भारतीय नागरिक मतदाता होने पर एक दिलचस्प बात यह है,
देश में अवाम में खुशहाली आती है तो देश आगे बढ़ेगा
और आज हमारे देश में केन्द्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा आयोजित सेवा में समर्पित करिष्यामि नमन वन्दंनीय है,,
्््भावचित्र है मां गौमाता को राष्ट्रीय पशु घोषित कर सकल 
सनातन विचार सच में एक जीवंत प्रयास करें ,,
यही भाव से मेरी स्वरचित रचना में मालवी भाषा में, कुछ लिखने का प्रयास किया गया है ्शीर्षक ्
मनुज जणम जोणि में धरम करम का रोणा में,
रौवे जींव जगत का‌ मैला ढोने लाग्या रै््।।1।।
।म्हणे मनुज जणम पायोजी मैंने,,
थाके सेवाणी गौवंश गौसेवा में,
 सजल नयन अश्रुजल से,नहलायो तन मन को।।2।।
चौरासी लख जणम जोणि में,,
पण मण धण में जींव म्हारो असो लांगे।।3।।
माणो गौरक्षधाम प्यारों श्याम सुंदर णे ,
माखण मिश्री की मटकी फोड़ी,
ग्वाल धेनूबाल संग वन में रोटीयां से ,
माखण सब कुछ,बांटचुटकर खावी जावे।।4।।
तण मण जोगण बरसाणा में,,
लागी लगण राधिका श्याम में।।5।।
मण धण में जींव म्हारो घट में,,
लुफ्त है प्राण असो प्यारो लांगे रै।।6।।
मण आंन्दणो जाणो माणो,,
गौरक्षधामणो में पंछी बणके,
रचिया बसिया चुगणा लाग्या।।7।।
प्रेम भक्ति का दाणा चुगिणे ,,
चाल्या अपणा अपणा घोंसला में।।8।।

््कवि शैलेंद्र आनंद ्
4, दिसंबर 2024,,

©Shailendra Anand  भक्ति सागर
                  कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद

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रचना दिनांक 3 दिसम्बर 2024
वार  मंगलवार
समय सुबह दस बजे
््भाव रस से भावचित्र ््
्निज विचार ्
्््छाया चित्र में दिखाया गया जिसे हम इस नश्वर शरीर में
 प्राण वायु और पंचतत्व से बना हुआ प्राणतत्व में
माया मोह में फंसे हुए जीवन में कर्मलीला कर्मशील नायक बम्हदेव वरदानित 
भाव है क्या देव असुर, यक्ष, किन्नर, गन्धर्व, मनुज देह है प्राण गंवाए है मारिच असूर सर्वग्य भाव में निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता कोटीश्यं प्रमाणितं
 ब़म्हकर्मसाक्ष्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम है ््
्््
,,निज मानस स्वरचित है भावचित्र स्वज्ञान है,,
़््
कंचन मृग मारिच असूर,मन हरण,
सियाजानकी रघुराज लीला करत ,मारिचप्रान  अधार करंहि,,
 लखन राम राम उच्चारण ही हरण,शरण, 
दासहनुं््यमदूत शोकविनाशमं काल है,।।
छल माया मोह ््मद सब धर्मों में,
भेद नहीं भाव नहीं है,
सब कर्म भूमि पर जातक जींवजीवाश्म प्राणी में ,
प्राण वायु सब कुछ एक है,,
््कवि््शैलेन्द़ आनंद ््
3,, दिसंबर 2024,,

©Shailendra Anand  भक्ति सागर
         कवि शैलेंद्र आनंद

Sunil Kumar Sunil Kumar

भक्ति सागर

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Shailendra Anand

#good_night भक्ति सागर ््कवि शैलेंद्र आनंद

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White रचना दिनांक 19,,11,,2024,
वार, मंगलवार,
समय,सुबह, पांच, बजे,
्       ््भावचित्र ््
           ्् निज विचार ््
             ्् शीर्षक ््
                  ््््निज विचार ््
     ््््भावचित्र ््
      भज लिया सो राम,,
     कर लिया सो काम।1 ।
       यह जीवन है विश्राम ,
      कुछ पल,घड़ी विलक्षण प्रतिभा ,,
    अनमोल विचार प्रवाह प्यार में बदल रहे ।2।         परिवर्तन शील प्रयोग परीक्षा प्रतिभा अनमोल है,, 
    जो सत्य है वो जन्म, मरण, परण, जस,           अपजस, लाभ ,हानि ,कर्म, विधी,विधाता के         अनुसार है।3।
     धर्म ,अर्थ ,काम, मोक्ष, मूलं,कारकं,दिव्य      ज्योति,,   
प्राकट्य ,प्रकट,स्वधर्म परिपालन केअनुसार है।4।।
     प्रतिभा जींव प्राणी जीवाश्म में कर्म भूमि पर     जातक के प्रारब्ध, भविष्य, और वर्तमान, ही,,
 ,      सुन्दर छबि मनोमय नरोत्तम उत्तमशक्ति       परमपुरुष परमात्मा से प्रार्थना, योग,भोग,         अन्नपूरणेश्वरी देवीभ्यो नमः।।5 ।।
   पेट भरा फिर भी हो खाली हाथ चला,,
    कि वो लफ्जो से भावना मन से लिख दिया ।।।।6।।
    ईश प्राप्ति वंदना कीर्ति यश वरदान ब़म्ह           कर्ममंत्र यंत्र देवत्व कलाओं से परिपूर्ण हो,,
      यही याचना करने से सम्पूर्ण जीवन कर्म      फलित है,
    निर्राकारआकारहीन ईश्वरपूर्ण रूप सम्पूर्ण है।।7।।
     यही सनातन विचार सच का मूल मंत्र शक्ति         दिव्यता प्रदान एक दस्तावेज उदगम 
    स्त्रोत स्थल जो जीना सिखाता है,,
     सच्चा धर्मगुरु सच्चा दोस्त सच्चाई कर्मभूमि    मृत्युलोक है।।8 ।।
        यहां इन्सान जो बनकर आया है,,
     वह वास्तव में फिर लौटकर देवलोक गमन हो   जाना है।। 9।।
     ना कोई संदेश ना कोई चिट्ठी,,
       यह सब कुछ प्रभू कृपा प्राप्त एक बहानाहै ।  ।।10।।
    सम्भल जाओ यह मृत्युलोक सर्व धर्म कर्म     का,,     
मर्म सुंदर सुजान है ,यही हिन्दूस्तान की       ्         पहचान है।।11 ।।
      
सम्भल जाओ यह मृत्युलोक सर्व धर्म कर्म का,, मर्म सुंदर सुजान है
यही हिन्दूस्तान की पहचान है।।11 ।।
         ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््
19 , नवम्बर 2024,,





19,, नवम्बर 2024,,

©Shailendra Anand #good_night  भक्ति सागर
््कवि शैलेंद्र आनंद

Sunil Kumar Maurya Bekhud

#सागर

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सागर

गहरा सागर हूँ पर उठने का
करता यत्न निरंतर
पूरी ताकत से लहरों को
भेज रहा हूँ ऊपर

बार बार गिरती हैं फिर भी
नहीं मानता हार
जोर लगता हूँ मैं फिर से
चकित देख संसार

शरण सभी को देता हूँ मैं
जो भी दर पर आता
उसे गोद में लेकर अपने
हाथों से नहलाता

बेखुद मेरा आश्रय पाकर
सुखी सहस्रों जीव
बेशकीमती रत्नों से है
भरी हमारी नीँव

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #सागर
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