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sanjaysaha Saha
White गर्मी से राहत दिलाता है सावन का महिना साथ मे आ जाएं रमजान का महिना वाह भाई वाह तेरा क्या कहना दिला देना मुझे सोने का गहना। ©sanjaysaha Saha #cg_forest सावन का महीना
#cg_forest सावन का महीना #शायरी
read moreVikas Sahni
White कल कविता ने फिर से कहा, "तूने गाना छोड़ दिया; तूने दोहराना छोड़ दिया; तूने जाना छोड़ दिया कोशिशों की कोशिकाओं में उठ, और चल पीकर और लेकर जल तपती हुई हवाओं में तू चलता चल! अवश्य देगा सुख का सावन नभ का नल। कभी-न-कभी तो थमेगा ताप का तूफान, कहीं-न-कहीं तो जमेगा अपना अड्डा अथवा स्थान। धरतीधारक अनंत है परेशान, पीले पेड़ों को देख वसंत है परेशान। दे देना कहीं और ध्यान जब संगीत सुनते-सुनते थक जाएं दोनों कान और इसी तरह जगे रहना और अपनी कविता में लगे रहना!! इसी प्रकार प्यार में कल भी सहना मसलन तुमने आज है सहा।" कल कविता ने फिर से कहा।। ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #फिर_से_कहा कल कविता ने फिर से कहा, "तूने गाना छोड़ दिया; तूने दोहराना छोड़ दिया; तूने जाना छोड़ दिया कोशिशों की कोशिकाओं में उठ, और चल प
#फिर_से_कहा कल कविता ने फिर से कहा, "तूने गाना छोड़ दिया; तूने दोहराना छोड़ दिया; तूने जाना छोड़ दिया कोशिशों की कोशिकाओं में उठ, और चल प #Poetry
read moreअज्ञात
कजरी-काय,, तुम्हाई समझ में नइ आ रइ का गुल्लु.. गुल्लु-काय का हो गओ कजरी.. कजरी-कल हमने खड़की से देखो हतो.. तुम छत पे खड़े वा मुरहउ खे मुटुर मुटुर घूर रये थे..! बताओ सच है कि नाय.. गुल्लु-अर्रे ना रे कजरी वो तो... कजरी- (चटाक्क्क.. 👋) हमें का सुरई को समझ रओ तैं..! अच्छे अच्छे की नियत डोल जात है पराई चुड़ैलन देख खे.. फिर तेरी तो लार टपकी पड़त है गुल्लु-काय मार दइ हमें..लग गई ने हमें जोर से.. कजरी-अबे तो एकइ पड़ो है जादा उड़े तो बकला नीछ लेहें.. लुहारन आयें हम.. समझो.. . हम मतलब हम कोनउ और ने तो तुम्हारे दिल में घुसे और ने दिमाग़ में.. बरना घंटा बजा देहें हम... गुल्लु-अरी तैं तो सुनइ नई रई आय और बकबक करी जा रइ है..! कजरी-बकबक और हम.. सुन ले कान खोल के गुल्लु..हमनें फ़ैसला कर लइ.... .तुम हमाये खसम बन हो मतलब बन हो...चाहे तुम्हारो मन मिले या न मिले और..???? कोई दूसरी अगर हमाये बीच में कूदी तो दैरी खे घसीटी बुआ के कुआँ में फेंक आ हों.राम धई.. गुल्लु-इत्तो चाहत हो हमें.. कजरी-ठठरी के..हम तो चाहत हैं खूबई मनो काय रे जो कैसो प्यार है तुमहाओ.. जब हमने कह दइ कि हमें तुमहाओ तोहफ़ा कबूल है.. कबूल है..कबूल..तो काय मर रये ओहे घूर रये थे... गुल्लु-मनो तुमने तो कल भी हमें जड़ दओ थो... अबे लौ दगदगा रओ गाल.. लाल सुरख हो गओ... कजरी-हाँ तो बई के बाद तो हमें समझ आई कि तुम्हई सही रह हो हमाये लय. .देखो हम साफ साफ आखिरी बार कहे दे रये.. अब अगर हमने तुम्हें बा मुरहउ खे घूरत देखो तो जान लइयो बा भी ने बच है हम से और तुमहाओ तो हम कचूमर निकाल देहें.. और सुनो कल से एक करिया सो मुरहा आ है हमाओ खत लेखे ओहे रोज दो रुपिया दे दइयो..बिस्कुट खान खे, अब से वोइच हमारो मोबाल रह है,,ओही के तुम भी अपनों मोबाल कर लईओ और हमें ओइ मुरहा के हाथ खत भेज दइए.. अब से बरहमेस तुम्हाई.. कजरी.... ©अज्ञात #इश्क़ धमाका
Richa Dhar
घटा सावन की जिस रोज़ बरसती थी वो क्षण आज भी अविस्मरणीय है काले बादलों के बीच बारिश की बूंदों के साथ खाली सड़क पर तुम्हारा यूं घूमना और बेवजह अनगिनत बूंदों को हथेलियों पर गिनना और कनखियों से मुझे भी देखना मैं समझ लेती थी तुम्हारी मनोभावना को और मुस्कुरा कर तुम्हारा पागलपन देखती थी सब कुछ याद है मुझे याद है तुम्हारा खिड़की के बाहर हाथ निकाल के अपनी हथेलियों को गीला कर लेना और याद हो तुम,भीगी सड़कों पर चलके मेरे सूखे मन पर अपने पैरों के निशान को छोड़ना और मेरे मन को भिगो देना..... ©Richa Dhar #loyalty सावन की घटा
लेखक ओझा
सावन भादों घिर आते है जब अपने भी जेठ आसाढ बन जाते हैं।। ©लेखक ओझा #Dhund सावन भादो
#Dhund सावन भादो
read moreSaleem
21 पॉइंट तक ध्यान से पढ़िए/देखिये तब समझ में आएगा* 590/- में बंपर धमाका ऑफर *अब आएगा मज़ा* 👇 1. अब केवल 590 में बड़ा धमाका💥 2. लेबल-1 में #समाज
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