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Harry
किसी वीरान जंगल मे झूमता हुआ गुलमोहर का पेड़ कैसा होता है । बस तुमारे होने से मेरी ज़िन्दगी वैसे ही गुलज़ार है।। #NojotoQuote किसी वीरान जंगल मे झूमता हुआ गुलमोहर का पेड़ कैसा होता है । बस तुमारे होने से मेरी ज़िन्दगी वैसे ही गुलज़ार है।।
Vandana
बड़ी डरावनी कहानी एक बार जरूर पढ़िएगा एक अंधेरी काली रात में घनघोर बरसात में सुनसान वीरान जंगल के पास में एक अकेला वीरान घर के अंदर एक लड़की डरी सहमी सी जोर से बिजली की कड़कने
Nisheeth pandey
शीर्षक -तुम बिन कैसे गाउँ मंगल गीत जीवन की तुम बिन.... अब सुर लगता नहीं मेरा तुम बिन.. लिखूं तो लिखूं क्या ??? कोड़ा कागज़ पर तुम बिन ..… अब शब्द मिलते नहीं तुम बिन.... जाने किधर छुपा कर चली गयी तुम ....... बन्द कमड़े में बंद हूँ पर .... वीरान जंगल मे भटकता सा दिखता हूँ तुम बिन ..... बीस बाई बीस का कमड़ा भी बीस मील सा .... बंज़ड़ ही बंज़ड दिखता है तुम बिन .... नज़ारे धुंधला धुंधला सा है ..... अब मन विचलित विचलित है तुम बिन... ख्याल थिडक रहीं ..... भाभनाये कैद है .... कदम बंधा बंधा सा है तुम बिन.... ये कैसी मायाजाल है ..... ये कैसी चक्रभ्यूं में फसा फसा सा हूँ तुम बिन... किसको दिखाऊँ ज़ख्म पर भिनभिनाती मखियाँ .... सुना है लोग मलहम कम ज़ख्म खडोचते ज्यादा हैं .... तड़प की पीड़ा अपनी चरम की सीमाएं लांघ रहीं ... तुम ही बताओ अब किसको सुनाऊं अपनी व्यथा तुम बिन... अपने ढूंढते नहीं अब गैर से मिलते हम नहीं ..... भविष्य डुबा है अंधियारे में अब कौन दिखाए रोशनी तुम बिन ....... ज़िशम जो बीमारियों में लिपट लिपट सा गया है..... जिंदगीं भी नसीब नहीं मरघट भी नसीब नहीं तुम बिन.. ये कैसा जीवन का पड़ाव है ...... कैसे गाउँ मंगल गीत जीवन की तुम बिन... अब सुर लगता नहीं मेरा....✍ 🤔निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey शीर्षक -तुम बिन कैसे गाउँ मंगल गीत जीवन की तुम बिन.... अब सुर लगता नहीं मेरा तुम बिन.. लिखूं तो लिखूं क्या ??? कोड़ा कागज़ पर तुम बिन ..…
Pnkj Dixit
आज की कहानी "कहां है तुम्हारा गांव" 🌷👰💓💝 कहां है तुम्हारा गांव ? " स्नेहा ! "क्या याद है तुम्हें ,हमारी पहली मुलाकात ।" अरविंद ने किताब में मुंह गड़ाए हुए और चाय की चुस्कियां
Pnkj Dixit
आज की कहानी "कहां है तुम्हारा गांव" 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷👰💓💝 कहां है तुम्हारा गांव ? " स्नेहा ! "क्या याद है तुम्हें ,हमारी पहली मुलाकात ।" अरविंद ने किताब में मुंह गड़ाए हुए और चाय की चुस्कियां
रश्मि सचिन पाठक
इतनी जल्दी हार मान जाना इस सोच पर मैं हैरान हूँ| आत्महत्या ही एक विकल्प हो इस बात पर परेशान हूँ|| हर रात के बाद निश्चय ही आता हैं सवेरा|| वीरान हुए जंगल में फिर से होता हैं बसेरा|| सुन हे मानव ,जीवन होता हैं सबसे अनमोल|| अात्महत्या हैं सबसे बड़ा पाप बस खुद मे इसको बोल|| याद रख तू बस इतना कि जीवन हैं अनमोल ,इसका ना कोई मोल || 💞रश्मि 💞 वीरान हुए जंगल में होता हैं फिर से बसेरा....
Vibhan tyagi
घिरा हु मजबूरियों से अब हर पल आफत सा लगता है। जो मेरा अजीज है वो भी पराया सा लगता है।। मुद्दतें बितायी साम का कोई हिसाब नही मेरे पास। आज भीड़ का जत्था भी एक वीरान सा लगता है वीरान
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अनजान थे,अनजान हैं,अनजान ही रेह जाएंगे, तेरी राह तकते तकते,मेरे आंगन वीरान हो रेह जाएंगे :-ankahee_lafz #वीरान