Find the Latest Status about यह भगवान from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, यह भगवान.
dev rajput
Sunil itawadiya
Samar mobile इंसान भगवान नहीं बन सकता तो कोई गम नहीं मगर इंसान इंसान बना रहे यह भगवान से कम नहीं 🙏🏻👍
VSK
क्यों ? पेड़ कहां जा रहे हैं, पंछी पहले पहले जैसे कहां गा रहे हैं , बादल बारिश के मौसम को छोड़कर , गर्मी के मौसम में क्यों छा रहे हैं , सात समुंदर बड़ी बड़ी नदियां होने के बावजूद गांव गांव पानी की कमी से लोग क्यों मर रहे हैं , पानी के लिए लोग क्यों लड़ रहे हैं, मंडी में सब्जियों के दाम क्यों बढ़ रहे हैं .....क्यों ? जंगलों को मिटाकर शहरों की तादाद क्यों बढ़ रही हैं , जंगली जीवो की जान आफत में क्यों पड़ गई है , Global warming, प्रदूषण यह चीजें क्यों बढ़ रही हैं "जरा पूछो अपने आप से जरा पूछो अपने आप से " प्रदूषण क्यों बन रहा है शहरों का आभूषण नदियों का हाल क्यों हो रहा है बेहाल, इंसान तो सारे यहां कमाना चाहते हैं माल , यहां क्यों हो रहे हैं कम उम्र में लड़कों के सफेद बाल , क्यों....? क्यों नदियों में अब पहले जैसी मछलियां नहीं गंदगी है हमारे यहां तैरती, बोरवेल के कितने झटके सह रही है आज यह धरती , इंसान की फितरत क्यों बदल रही है, उसे अपने स्वार्थ के सिवा ना कोई चीज आज दिख रही है , क्यों ....? सारे सवालों के जवाब है हमारे पास , अब धरती को भी नहीं रही होगी हमसे कुछ आस , अरे उसके पास जो कुछ था उसने वह दे दिया ना तुमको, बुद्धिमानी कल आते हो ना खुद को, धरती को बचाने की करते हैं सब बातें यहां... पर यह बातें बातें ही रह जाएगी पृथ्वी पृथ्वी ना रह पाएगी , फिर यह भगवान की अनमोल देन पृथ्वी नष्ट हो जाएगी ! मेरी 48 वी कविता based on enviromental & social issue क्यों ? पेड़ कहां जा रहे हैं, पंछी पहले पहले जैसे कहां गा रहे हैं , बादल बारिश के
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} मौसी माँ मंदिर :- 💮 रामेश्वर देउला ओडिशा के भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर से लगभग 2 किमी दूर स्थित है। मंदिर भगवान शिव के सम्मान में बनाया गया था। मंदिर को मौसी मां के नाम से भी जाना जाता है। यह एक पूजनीय मंदिर है और इसलिए विभिन्न स्थानों से भक्त देवता की पूजा करने आते हैं। मंदिर को रामेश्वर नाम मिला क्योंकि इसे भगवान राम ने भगवान शिव के लिए स्थापित किया था। मंदिर इतिहास और मंदिर किंवदंती :- 💮 मंदिर का इतिहास 9वीं शताब्दी का है। किंवदंती के अनुसार, जब भगवान राम लंका के राजा रावण को हराकर अयोध्या लौट रहे थे, तो देवी सीता ने भगवान राम से एक शिव लिंग स्थापित करने के लिए कहा क्योंकि वह भगवान शिव की पूजा और धन्यवाद करना चाहती थीं। इसलिए, भगवान राम ने एक शिव लिंगम का निर्माण किया। मंदिर को रामेश्वर के नाम से जाना जाता है क्योंकि यह भगवान राम द्वारा स्थापित किया गया था। मंदिर वास्तुकला :- 💮 रामेश्वर मंदिर की वास्तुकला प्राचीन कलिंग शैली से संबंधित है और इसे रेखा क्रम के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसमें ओडिसी कला और परंपरा की कई विशेषताएं भी हैं। मंदिर एक बलुआ पत्थर की संरचना है। अन्य मंदिरों के विपरीत इसमें कई विभाजनों का अभाव है। मंदिर में एक अतिरिक्त पीठा संरचना है जो स्वतंत्र रूप से खड़ी है। रामेश्वर मंदिर का मुख पूर्व की ओर है और इसलिए सूर्य की पहली किरण मंदिर पर पड़ती है। 💮 मंदिर एक एकल हॉल से युक्त है जिसमें एक लंबा पिरामिड शिखर है। इसमें कई तह हैं और आकर्षक डिजाइनों के साथ इसे उकेरा गया है। एकल हॉल में मुख्य देवता हैं। शिव लिंगम काले पत्थर से बना है। 0.35 मीटर लंबा शिव लिंग एक योनि पीठ पर रखा गया है और यह क्लोराइट से बना है। देवी दुर्गा की एक छवि भी देखी जाती है। त्यौहार और समारोह :- 💮 मंदिर में मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्योहार महा शिवरात्रि, मकर संक्रांति, कार्तिकी पूर्णिमा और दिवाली है। परंपरागत रूप से, भगवान लिंगराज एक बड़े रथ पर रामेश्वर देउला मंदिर में आते हैं, जिसे रुकुना रथ के नाम से भी जाना जाता है और अशोकष्टमी के दौरान चार दिनों तक रहता है, जो चैत्र महीने में राम नवमी से एक दिन पहले पड़ता है। कैसे पहुंचा जाये :- ट्रेन द्वारा: निकटतम रेलवे स्टेशन भुवनेश्वर है। ©N S Yadav GoldMine #MothersDay {Bolo Ji Radhey Radhey} मौसी माँ मंदिर :- 💮 रामेश्वर देउला ओडिशा के भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर से लगभग 2 किमी दूर स्थित है। मं
N S Yadav GoldMine
नारद जी की जन्म कथा :- {Bolo Ji Radhey Radhey} 🌺 देवर्षि नारद पहले गन्धर्व थे। एक बार ब्रह्मा जी की सभा में सभी देवता और गन्धर्व भगवन्नाम का संकीर्तन करने के लिए आए। नारद जी भी अपनी स्त्रियों के साथ उस सभा में गए। भगवान के संकीर्तन में विनोद करते हुए देखकर ब्रह्मा जी ने इन्हें शाप दे दिया। जन्म लेने के बाद ही इनके पिता की मृत्यु हो गई। इनकी माता दासी का कार्य करके इनका भरण-पोषण करने लगीं। 🌺 एक दिन गांव में कुछ महात्मा आए और चातुर्मास्य बिताने के लिए वहीं ठहर गए। नारद जी बचपन से ही अत्यंत सुशील थे। वह खेलकूद छोड़ कर उन साधुओं के पास ही बैठे रहते थे और उनकी छोटी-से-छोटी सेवा भी बड़े मन से करते थे। संत-सभा में जब भगवत्कथा होती थी तो यह तन्मय होकर सुना करते थे। संत लोग इन्हें अपना बचा हुआ भोजन खाने के लिए दे देते थे। 🌺 साधुसेवा और सत्संग अमोघ फल प्रदान करने वाला होता है। उसके प्रभाव से नारद जी का हृदय पवित्र हो गया और इनके समस्त पाप धुल गए। जाते समय महात्माओं ने प्रसन्न होकर इन्हें भगवन्नाम का जप एवं भगवान के स्वरूप के ध्यान का उपदेश दिया। 🌺 एक दिन सांप के काटने से उनकी माता जी भी इस संसार से चल बसीं। अब नारद जी इस संसार में अकेले रह गए। उस समय इनकी अवस्था मात्र पांच वर्ष की थी। माता के वियोग को भी भगवान का परम अनुग्रह मानकर ये अनाथों के नाथ दीनानाथ का भजन करने के लिए चल पड़े। एक दिन जब नारद जी वन में बैठकर भगवान के स्वरूप का ध्यान कर रहे थे, अचानक इनके हृदय में भगवान प्रकट हो गए और थोड़ी देर तक अपने दिव्य स्वरूप की झलक दिखाकर अन्तर्धान हो गए। 🌺 भगवान का दोबारा दर्शन करने के लिए नारद जी के मन में परम व्याकुलता पैदा हो गई। वह बार-बार अपने मन को समेट कर भगवान के ध्यान का प्रयास करने लगे, किंतु सफल नहीं हुए। उसी समय आकाशावाणी हुई, अब इस जन्म में फिर तुम्हें मेरा दर्शन नहीं होगा। अगले जन्म में तुम मेरे पार्षद रूप में मुझे पुन: प्राप्त करोगे। 🌺 समय आने पर नारद जी का पांच भौतिक शरीर छूट गया और कल्प के अंत में वह ब्रह्मा जी के मानस पुत्र के रूप में अवतीर्ण हुए। देवर्षि नारद भगवान के भक्तों में सर्वश्रेष्ठ हैं। यह भगवान की भक्ति और महात्म्य के विस्तार के लिए अपनी वीणा की मधुर तान पर भगवद् गुणों का गान करते हुए निरंतर विचरण किया करते हैं। इन्हें भगवान का मन कहा गया है। इनके द्वारा प्रणीत भक्ति सूत्र में भक्ति की बड़ी ही सुंदर व्याख्या है। अब भी यह अप्रत्यक्ष रूप से भक्तों की सहायता करते रहते हैं। 🌺 भक्त प्रह्लाद, भक्त अम्बरीष, ध्रुव आदि भक्तों को उपदेश देकर इन्होंने ही उन्हें भक्ति मार्ग में प्रवृत्त किया। इनकी समस्त लोकों में अबाधित गति है। इनका मंगलमय जीवन संसार के मंगल के लिए ही है। यह ज्ञान के स्वरूप, विद्या के भंडार, आनंद के सागर तथा सब भूतों के अकारण प्रेमी और विश्व के सहज हितकारी हैं। 🌺 अविरल भक्ति के प्रतीक और ब्रह्मा के मानस पुत्र माने जाने वाले देवर्षि नारद का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक भक्त की पुकार भगवान तक पहुंचाना है। वह विष्णु के महानतम भक्तों में माने जाते हैं और इन्हें अमर होने का वरदान प्राप्त है। भगवान विष्णु की कृपा से यह सभी युगों और तीनों लोगों में कहीं भी प्रकट हो सकते हैं। ©N S Yadav GoldMine नारद जी की जन्म कथा :- {Bolo Ji Radhey Radhey} 🌺 देवर्षि नारद पहले गन्धर्व थे। एक बार ब्रह्मा जी की सभा में सभी देवता और गन्धर्व भगवन्नाम का
Rishab Raj Gupta
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} सोमवार व्रत भगवान सोमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए सोमवार के दिन किया किया जाता है आइये विस्तार से जानिए !! 🍏🍏 {Bolo Ji Radhey Radhey} सोमवार व्रत विधि :-🍋 सोमवार का उपवास जैसा कि ज्ञात है कि यह भगवान शिव के नाम पर मनाया जाता है। सोमवर शब्द संस्कृत के सोम शब्द से बना है जिसका अर्थ है चंद्रमा अर्थात हिंदू देवता चंद्र। साथ ही भगवान शिव को सोमेश्वर के रूप में जाना जाता है क्योंकि वे अपने उलझे हुए बालों पर अर्धचंद्राकार चंद्रमा पहनते हैं। 🍋 सोमवार व्रत भगवान सोमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए सोमवार के दिन किया किया जाता है, और इससे मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। भले ही यह व्रत किसी भी सोमवार को मनाया जाये लेकिन हिंदू कैलेंडर में विशेष सोमवारों का उल्लेख है, जिसमें अमावस्या के दिन सोमवार बहुत लोकप्रिय है। जी हाँ, किसी भी महीने की अमावस्या के बाद पहला सोमवार बहुत लोकप्रिय है। 🍋 यह महीना शिवरात्रि पर्व के लिए जाना जाता है। जब कोई चंद्र दिवस या अमावस्या सोमवार को नहीं पड़ती है, तो सोमवार व्रत करना बहुत सही माना जाता है। इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है। 🍋 इसके अलावा इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है परसाद चढ़ाई जाती है। इस व्रत के दिन भक्त भगवान शिव को भस्म (विभूति) और बिल्व पत्र भी चढ़ाते हैं क्योंकि ये भगवान के पसंदीदा माने जाते हैं। इस दिन नैवेद्य या विशेष भोजन का प्रसाद भी चढ़ाया जाता है। जबकि शिवलिंग पर सफेद फूल चढ़ाने का भी बहुत महत्व है। 🍋 भक्त सुबह के सामान्य अनुष्ठान और प्रार्थना करने के बाद अगले दिन अपना उपवास समाप्त करते हैं। फिर प्रसाद को अन्य भक्तों में बांटते है। आमतौर पर सोमवार व्रत करने वाले भक्त सुबह और शाम के समय किसी भी भगवान शिव के मंदिर जाते हैं। यदि फिर भी, यह संभव नहीं है, तो उनके घर पर ही प्रार्थना की जा सकती है। ये है सोमवार व्रत के लाभ :- 🍋 वैसे तो सोमवार व्रत से हर किसी को लाभ होते है लेकिन कुछ अलग भी है जिनके बारे में आपको जानना चाहिए। बता दें कि युवा अविवाहित लड़कियां अच्छे पति पाने के लिए इस व्रत का पालन करती हैं। जबकि विवाहित जोड़े भी व्रत का पालन करते हैं और शिव और पार्वती के दिव्य जोड़े की प्रार्थना करते हैं और शांतिपूर्ण पारिवारिक जीवन की मांग करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि सोमवर व्रत के पालनकर्ता को दुनिया के सभी सुखों का आनंद लेने के लिए आशीर्वाद मिलता है। इस व्रत से घर में हमेशा शांति बनी रहती है और सुख रहता है। ॐ नमः शिवाय जी।। ©N S Yadav GoldMine #phool {Bolo Ji Radhey Radhey} सोमवार व्रत भगवान सोमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए सोमवार के दिन किया किया जाता है आइये विस्तार से जानिए !! 🍏🍏
Atul Sharma Atul Sharma
एक बार एक भिकारी रात में भीख मांग कर खाना खाता है और सो जाता है फिर वह ख्वाब देखता है कि वह मर गया और मर के स्वर्ग पहुंच गया वह देखता है कि
Amar Anand
काशी अविनाशी है !!! विशेष नीचे कैप्शन में... काशी तो काशी है, काशी अविनाशी है!!!!!! पंचकोशी काशी का अविमुक्त क्षेत्र ज्योतिर्लिंग स्वरूप स्वयं भगवान विश्वनाथ हैं । ब्रह्माजी ने भगवान क