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N S Yadav GoldMine
Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey} मन भवरा बन दौड़ा जाए, श्री हरि, श्री कृष्ण, श्री राम। संभालो मुझ अधम को, में तो श्री हरि, तुमरी शरण।। जय श्री राधेकृष्ण जी!! N S Yadav GoldMine. ©N S Yadav GoldMine #snow {Bolo Ji Radhey Radhey} मन भवरा बन दौड़ा जाए, श्री हरि, श्री कृष्ण, श्री राम। संभालो मुझ अधम को, में तो श्री हरि, तुमरी शरण।। जय श्री र
#snow {Bolo Ji Radhey Radhey} मन भवरा बन दौड़ा जाए, श्री हरि, श्री कृष्ण, श्री राम। संभालो मुझ अधम को, में तो श्री हरि, तुमरी शरण।। जय श्री र
read moreVinod Mishra
Shiv Narayan Saxena
अंतर के गृह - युद्ध से, बल-मद टूटा जाय। हरि ने करुण पुकार पे, गज को लिया बचाय।। ©Shiv Narayan Saxena #सुप्रभातम हरि ने करुण..... hindi poetry
#सुप्रभातम हरि ने करुण..... hindi poetry
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} सत्ता, ताकत, जवानी, जन्म- मरण, खुसी, गम सबकी एक्सपायरी डेट हैं, दुखी व चिंता मे मत जियो, कुछ भी नही होना और न ही कुछ कर सकते हो? भगवान श्री हरि का भजन करो जी।। ©N S Yadav GoldMine #good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} सत्ता, ताकत, जवानी, जन्म- मरण, खुसी, गम सबकी एक्सपायरी डेट हैं, दुखी व चिंता मे मत जियो, कुछ भी नही हो
#good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} सत्ता, ताकत, जवानी, जन्म- मरण, खुसी, गम सबकी एक्सपायरी डेट हैं, दुखी व चिंता मे मत जियो, कुछ भी नही हो
read moreअपनी कलम से
रंग (Colours) किसी पे चढ़ गया रंग प्रेम का, तो कोई बैरागी बनकर घूमता, कोई खो गया दुनिया के रंगीनियों में, तो देखो, कोई सत्यवादी बनकर घूमता... कभी लाल, कभी नीला, कभी गुलाबी, कभी पीला, कभी बैंगनी, कभी भूरा, कभी नारंगी, कभी हरा, कभी खाकी, कभी धूसर, कभी स्यान, कभी सैलमन... ये रंग न जाने किस-किस को रंगीन करती, ये रंग न जाने कितनों को रंगहीन करती... कभी भाती है आँखों को, कभी मन इसे ओझल है करती... मानों सत्य से ऊपर है ये सभी, हमें ख़ुद में मिला जाती है... हमें सिखाती है तरसना अक्सर, ऐसे हीं खुद में घुला जाती है... ........... ©अपनी कलम से #Color #Rang #colours #Colour #Colors Arshad Siddiqui कवि और अभिनेता हरिश्चन्द्र राय "हरि" BIKASH SINGH vineetapanchal pinky masrani h
अपनी कलम से
रंग (Colours) किसी पे चढ़ गया रंग प्रेम का, तो कोई बैरागी बनकर घूमता, कोई खो गया दुनिया के रंगीनियों में, तो देखो, कोई सत्यवादी बनकर घूमता... कभी लाल, कभी नीला, कभी गुलाबी, कभी पीला, कभी बैंगनी, कभी भूरा, कभी नारंगी, कभी हरा, कभी खाकी, कभी धूसर, कभी स्यान, कभी सैलमन... ये रंग न जाने किस-किस को रंगीन करती, ये रंग न जाने कितनों को रंगहीन करती... कभी भाती है आँखों को, कभी मन इसे ओझल है करती... मानों सत्य से ऊपर है ये सभी, हमें ख़ुद में मिला जाती है... हमें सिखाती है तरसना अक्सर, ऐसे हीं खुद में घुला जाती है... ........... ©अपनी कलम से #Color #Rang #colours #Colour #Colors Arshad Siddiqui कवि और अभिनेता हरिश्चन्द्र राय "हरि" BIKASH SINGH vineetapanchal pinky masrani h