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Mahesh Patel
White सहेली...... आंखें उसकी सजल है.. बातें उनकी सरल है.. घूंघट में मिला हुआ चेहरा कमल है.. कैसे कहूं यारों.. वह गीत है वह मित भी है.. यह दर्द में डूबी हुई.. फिर कोई हमारी गजल है.. लाला..….. ©Mahesh Patel सहेली... गजल... लाला....
सहेली... गजल... लाला....
read moreMohan Sardarshahari
Unsplash दोस्तों से मुश्किल है हकीकत छुपाना जैसे हवा से अलग रवानी को रखना। जिंदगी के अनुभव बेशक अलग-अलग होंगे मुश्किल नहीं मगर एक दूजे की कहानी समझना। इशारों में समझाना बहुत कर लिया चलो दोस्तों से करते हैं वही व्यवहार बचकाना। यदि कभी कुछ सुनाना पड़े दोस्तों को बस याद उनकी एक-एक शैतानी दिलाना। मिलकर यदि किसी दोस्त से छलक जाए आंसू शाम को उड़ा देना उनको तेरे नाम के पैमाना। देखी होंगी दशकों में कई नायाब इमारतें तूने होना हो रूबरू जवानी से, बार-२ तेरे कॉलेज जरूर जाना।। ©Mohan Sardarshahari # गजल
# गजल
read morepramod malakar
**!!** बागेश्वर धाम **!!** बागेश्वर सरकार शक्ति अपरम्पार, तुम हो सनातनी सनातन से है प्यार।। दूनिया अचंभित है कट्टरपंथी चिंतिंत है, देख रहा है अपना वो हार।। बालाजी महाराज बताते हैं सब का छुपा हुआ राज, ठठरी सबका लगाते हैं प्यार बहुत जताते हैं।। विरोधी बहुत डराने चले थें, धिरेन्द्र शास्त्री को हड़काने चले थें, सनातन को जो समझा नहीं, हिन्दू को वो मिटाने चले थें।। यह भारत है....ऋषि मुनियों का.......शक्ति है यहां अपार, बागेश्वर सरकार शक्ति अपरम्पार।। जो भी दुखी यहां आता है भाग्य उसका खुल जाता है, रोते-रोते आता है मुस्कुरा कर जाता है।। बागेश्वर वाले बालाजी.....है वो चंचल मतवाला जी, साधू जी हैं बड़े प्यारे... गुरु देव हैं बड़े निराले।। एक दिन चलो बागेश्वर धाम ... छोड़कर आपना काम, प्रमोद भी साथ चलेगा करने बालाजी को प्रणाम। राम नाम का जो जाप करेगा.... धरती पर अमर रहेगा, श्री राम को गाली देने वाले .... बेमौत मरेगा।। यह है भारत कि भुमि....यह है सच्चा दरबार, बागेश्वर सरकार .... है शक्ति अपरम्पार।। !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! प्रमोद मालाकार....08.10.24 ©pramod malakar #बागेश्वर धाम....
#बागेश्वर धाम....
read moreSatish Deshmukh
White वाटले होते मला की वाटिका आहे जिंदगी सारी इथे शोकांतिका आहे शेतमालाची फुकट बोली तुम्ही लावा कास्तकाराला कुठे उपजीविका आहे वाटते वाचून घ्यावे मी तुला आता केवढी सुंदर तुझी अनुक्रमणिका आहे भिमरायाचा उजळ माथा बघितल्यावर वाटतो हा सूर्यही आता फिका आहे बारशाचे एवढे कौतुक नको ना रे जन्म माझा तेरवीची पत्रिका आहे ©Satish Deshmukh गजल
गजल
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