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Sneh Prem Chand
काश कोई योग गुरु ऐसा भी होता जो हमें ऐसा अनुलोम विलोम करना सिखा देता, जिसमें अंदर सांस लेते हुए संग प्रेम,सौहार्द,अपनत्व और स्नेह ले जाएं, और बाहर सांस छोड़ते हुए अपने भीतर के ईर्ष्या,द्वेष, अहंकार,क्रोध,लोभ,काम सब छोड़ देवें।। दिल की कलम से ©Sneh Prem Chand अनुलोम विलोम #Hope
Anand Dadhich
"अनाप शनाप ख़यालों में कुछ लिख जाता हूँ, कभी कभी ओस की बून्द सा दिख जाता हूँ, अपनी धुन में खोया अदना सा लेखक हूँ, 'शब्द' बनकर कुछ पल आँखों में छप जाता हूँ।" कवि आनंद दाधीच, भारत ©Anand Dadhich #लेखक #शब्द #writer #kaviananddadhich #poetananddadhich #hindiquotes #poetsofindia
Raveena Mahto
लेखक का दर्द.. एक लेखक का दर्द किसने देखा हैं कि शब्दों को संग्रह करते वक़्त , कितनी पीड़ाओ को महसूस वो करता हैं। तब जाकर वो शब्दों को उडेल पाता है। अपने विचारों को दूसरे के सामने रख पाता हैं। अपने शब्दों से ही, अपनी प्यास, अपना डर, अपना गुस्सा और कहीं अपना प्रेम दिखाने की कोशिश वो करता हैं। एक छोटे से पन्ने में, पूरी दुनिया के प्रेम, दर्द, दुख, सुख को समेटने की कोशिश, कहीं वो करता हैं। खुद को पुरा निकाल कर, कहीं शब्दों को वो बयां करता हैं। तो एक लेखक का दर्द किसने देखा हैं। उसकी एक रचना के पीछे कितनी पीड़ा का एहसास होता हैं। रवीना ©Raveena Mahto लेखक का दर्द #NatureLove
Yashu
लेखक वो नहीं जो अपना दर्द शब्दों में बयां करके पन्ने पर उतार देता हो । लेखक तो वो है जो दूसरों के दर्द को महसूस करके उसे भी निखार देता हो ।। #लेखक का सही अर्थ ।।
NEERAJ SIINGH
लेखक को लेखक से प्रेम करने की जरूरत नहीं पड़ती लेखक, लेखक का खुद प्रेम होता है #neerajwrites लेखक का प्रेम
Madhav Jha
यात्रा ही केवल लेखक का होना तय नही करता। पूर्णतः मन का विचार केवल साहित्य पर निर्भर नही। एक दृष्टीकोण से ये सही है मगर लेखक अपने मन का प्रतिनिधि है। एक साहित्यकार और एक गंवार दोनो ही लेखक हो सकते हैं। केवल उनमें मन के भाव का उद्गम होना उनके परिस्थिति और समय के अनुसार जन्म लेता या मिट जाता है। अब.. घट ही पट है और पट ही घट है। ये सिद्धान्त के अनुसार अगर एक घड़ा ही कपड़ा है तो आश्चर्य है कैसे। एक घड़ा मिट्टी का अंश है। वहीं एक कपड़ा जो उसी मिट्टी से कपास के द्वारा बना वह भी मिट्टी है। जैसे एक शरीर मिट्टी है, मरणोपरांत जब भस्मविभूषित होता है तो बचती केवल मिट्टी है। सार्विक तातपर्य है कारण और उसके करण। ऐसे ही लेखक है जो मन से उपजता है और अथाह है। एक लेखक का परिचय