Nojoto: Largest Storytelling Platform

New विधवाओं के लिए सरकारी नौकरी Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about विधवाओं के लिए सरकारी नौकरी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, विधवाओं के लिए सरकारी नौकरी.

Stories related to विधवाओं के लिए सरकारी नौकरी

    LatestPopularVideo

Srinivas

#love_shayari जीत के लिए नहीं, बल्कि खुद के लिए जीतो। #शायरी

read more

Ghanshyam Ratre

किसानों के लिए #Life

read more

Rashmi singh raghuvanshi "रश्मिमते"

#पंछियों के लिए 🙏 #Motivational

read more

ankit Yadav

अपने प्यार के लिए #शायरी

read more

Akash

#fathers_day पिता के लिए #शायरी

read more
White सबसे खुशकिस्मत है वह इंसान, जिसके पास है पिता के प्यार की बेशुमार दौलत।





पिता के लिए 
एक लाइक बनता है

©Akash #fathers_day पिता के लिए

Rekha Singh

#sad_shayari काम के लिए #विचार

read more

Anuj Ray

# पहली नौकरी " #कविता

read more

Dilip Kumar

#Sad_shayri सरकारी नौकरी #मोटिवेशनल #Kumardil143

read more

रिपुदमन झा 'पिनाकी'

अजी नौकरी का भी  अपना मज़ा है।
जहां अपनी चलती नही कुछ रज़ा है।
हुकम  हाकिमों  का  बजाते रहो बस-
यहांँ  ज़िन्दगी  हर घड़ी  इक क़ज़ा है।

दवाबों तनावों  की बोझिल फ़ज़ा है।
बिना  पाप  के  भोगता  नित सज़ा है।
सवालों जवाबों से परहेज़ कर चल-
यहाँ  कोई  सुनता  नहीं  इल्तिज़ा  है।

रहो जब तलक भी किसी नौकरी में।
न कुछ और सोचो कभी ज़िन्दगी में।
भुला  दो  सभी  रिश्ते नाते  जरूरत-
लगा  दो  अरे  आग अपनी ख़ुशी में।

नियम  हाकिमों  के  नए  रोज  बनते।
कि साहब यहां ख़ुद ही उलझन में रहते।
करें गलतियांँ  हम  तो  सुनते  हैं  बातें -
मगर इनकी ग़लती मुनासिब ही रहते।

करो  हर  घड़ी  सबकी  तीमारदारी।
जताए  बिना  अपनी  कोई  लचारी।
न छुट्टी, न अर्जी, न आराम कुछ दिन-
लगाए  रखो  नौकरी  की   बिमारी।

ज़हन में ख़याल इसका ही जा-ब-ज़ा हो।
अमल  हुक़म  हो  चाहे  बेजा  बजा  हो।
चलेगी  नहीं  हुक्म  उदूली  एक  भी -
कि  इसमें  तुम्हारी  न  बेशक  रज़ा  हो।

पड़ो चाहे बीमार या मर ही जाओ।
मगर नौकरी अपनी पहले बचाओ।
न जो कर सको तो अभी बात सुन लो-
उठाओ ये झोला तुरत घर को जाओ।

कभी  कुछ न सोचो सिवा नौकरी के।
नहीं तुम हो कुछ भी बिना नौकरी के।
चलाता  है  घर  बार  यह  नौकरी  ही -
करो रात - दिन हक़ अदा नौकरी के।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki #नौकरी

ABRAR

चाह कर कौन छोड़ता है घर अपना हम मुहाजिर हैं इक नौकरी के लिए - अबरार Reeda #Shayari

read more
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile