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Rajesh Khanna
Nature Quotes छम छम करती पायल तेरी दिल को मदहोश करती है कभी सुबह तो कभी शाम को पागल करती है और पागल तो मैं केई बार हुआ हू तेरी यादो में बस एक बार दिख जाती सपनों में तो रात भर नींद नहीं आती ©Rajesh Khanna #NatureQuotes छम छम करती पायल
ashish gupta
यादों का जंगल है जहा छम छमकर आती हो तुम जगनुओ की तरह बज उठता है दिल घुनगुरूओ की तरह महक जाता है हर पल खुसबुओं की तरह ©ashish gupta #BehtiHawaa यादों का जंगल है जहा छम छमकर आती हो तुम जगनुओ की तरह बज उठता है दिल घुनगुरूओ की तरह महक जाता है हर पल खुसबुओं की तरह
DR. LAVKESH GANDHI
छतरी छतरी तो खोल जरा बारिश होने वाली है मौसम है सुहाना किसी से मुलाकात होने वाली है वर्षों बीत गए उनसे मुलाकात किए हुए आज बारिश में छतरी के नीचे चलने की बारी है ©DR. LAVKESH GANDHI #baarish # # बारिशों की छम-छम में #
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- मन सुंदर नित रखना भोले , बस इतनी ही जिज्ञासा है । सुंदर तन से अक्सर देखा , बस आती हाथ निराशा है ।। मन सुंदर नित रखना भोले .... माना हर युग में सुंदरता , प्रिय नारी को आभूषण है । पर युग बदला कलयुग आया,इसमे यह आज कुपोषण है ।। यही विनय तो नाथ लिए अब,करती हम सब अभिलाषा है । मन सुंदर नित रखना भोले .... देखा है उपवन में जाकर , कौन पुष्प है तोड़ा जाता । दया न आती उस माली को , जिन हाथों वह रोपा जाता ।। ऐसे जग में सुंदरता से , नारी को अब क्या आशा है । मन सुंदर नित रखना भोले ... काले-काले बादल ही नित , बरसाते छम-छम है पानी । उजले बादल की सबने तो , पढ़ ली देखो आज कहानी ।। मोर पपीहा भी समझे नित , आज पवन की परिभाषा है । मन सुंदर नित रखना भोले ... मन सुंदर नित रखना भोले ,बस इतनी ही जिज्ञासा है । सुंदर तन से अक्सर देखा ,बस आती हाथ निराशा है ।। १०/०७/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- मन सुंदर नित रखना भोले , बस इतनी ही जिज्ञासा है । सुंदर तन से अक्सर देखा , बस आती हाथ निराशा है ।। मन सुंदर नित रखना भोले .... मान
_Ram_Laxman_
एक लड़की...🥰 जब मैं एक लड़की को देखा तो मुझे उसकी चेहरे पर मासूमियत नजर आ रही थी । कितनी भोली भाली लग रही थी वो मुझे । मानो ऐसा लग रहा था कि वो ये बढ़ते समय और आज कल के प्यार, मोहब्बत से वो एकदम अनजान लग रही थी । वो मुझे इस बैर भरी जमाना में एक मेहमान की तरह लग रही थी । और यार मै एक बात बताऊं..? वो अपने पापा के साथ ऐसे हाथ पकड़ कर चल रही थी कि कहीं खो जायेगी जैसे मानो वो एक छोटी सी बच्ची है । और यार उसकी छम छम करती पैरों की पायल, उसकी आंखें, उसकी हवा में लहरती कान की झूंमके और उसकी चेहरे पर झलक रही मासूमियत मुझे और मेरे मन को बेहद भा गया यार... और तब से वो मेरे ख्यालों में, मेरे सपनों में आती जाती रहती है यार.. और इसलिए बस उसकी एक झलक देखने के लिए मेरा दिल तरसता है यार..। कास और मै उसे एक बार देख पाता तो मेरा दिल को बेहद सुकून मिलता यार..। ©_Ram_Laxman_ एक लड़की...🥰 जब मैं एक लड़की को देखा तो मुझे उसकी चेहरे पर मासूमियत नजर आ रही थी । कितनी भोली भाली लग रही थी वो मुझे । मानो ऐसा लग रहा था
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Mahima Jain
"छम छम करती पायल तेरी" छम छम करती पायल तेरी, खुशियों का दीप जला गई। तू तो सीते कुछ ना बोली, तेरी छन छन, राम राम बोल गई। (पूर्ण कविता अनुशीर्षक में) "छम छम करती पायल तेरी" छम छम करती पायल तेरी, खुशियों का दीप जला गई। तू तो सीते कुछ ना बोली, तेरी छन छन, राम राम बोल गई। छम छम करती पायल ते
Sarita Shreyasi
पर है तो प्रकृति ही ना, परिवर्तित तो होगी ही, अब ना तुम पीछे भागते हो ना वो ही पीछे-पीछे आती है, उसके सन्निध्य में जो आया उसे लगा कि वो बड़ा हो गया, पर वो तो अपना विस्तार समेट रही है, अपनी उपस्थिति का भी अहसास नहीं कराती अब तो ढूंढो तो है, नहीं तो पलक झपकते अंधेरा, ना तेरा, ना मेरा, जागेगी लेकर नया सबेरा। (Read in caption) जीवन में उसका पदार्पण, सर्दी के दिनों की सुबह की मीठी धूप तरह, सकुचाती शर्माती,वदन चुराती जिसकी झलक पाने के लिए, जिसमें रोम-रोम भींगाने के ल
Sarita Shreyasi
ठिठुरती ठंड में चलती हूँ गुनगुनी धूप के साथ, जैसे ख़यालों में खड़ी हूँ थाम कर तुम्हारा हाथ। पंक्तिबद्ध पेड़ों की घनी पत्तियों में उलझ जाती है, छिप के,छाँह से छन के,छम से चमक जाती है, ये सर्दियों की धूप भी ना,थोड़ी तुम जैसी है, जिनका साथ पाने को मैं छोटे-मोटे नियम नज़र अंदाज़ कर देती हूँ, उपस्थिति में ठहर कर आराम से चलती हूँ, गैरहाजिरी में तेजी से लम्हें, कदम फाँद कर निकल लेती हूँ। समय और सड़क दोनों ही पार कर लेती हूँ, दो घड़ी संग जीने के लिए कीमती पल यूँ ही बीता देती हूँ। ठिठुरती ठंड में चलती हूँ गुनगुनी धूप के साथ, जैसे ख़यालों में खड़ी हूँ थाम कर तुम्हारा हाथ। पंक्तिबद्ध पेड़ों की घनी पत्तियों में उलझ जाती है,