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soniya verma
जो गुजर गया वो वक़्त था जो थम सा गया वो लम्हा था जो सिमट सा गया वो तेरा प्यार था जो मुझमे बाकि रह गयी वो तेरी यादें थी अब मैं, मैं कहा हूँ और मैं कहा हूँ ये तो मुझे भी नहीं पता ©soniya verma #तेरी यादें
#तेरी यादें
read moreHina Kumari my Instagram ID @Rakesh radhika sarda
White कौन समझेगा...??? क्या है रिश्ता हमारा.... कुछ ना हो कर भी... बहुत कुछ है हमारा.... ना जन्मों का बंधन.. ना उम्मीदो का दामन... ना पाने की चाहत.. ना बिछड़ने का ग़म... कुछ तो है.. जो हमें खींचते है दोबारा.. यूं ख्यालों में रहता है.. तुम्हारा आना -जाना... दुनिया के नजरों से परे.. बेनाम सा रिश्ता है हमारा...❤️🌻Radhey Radhey🌄🙏🙏 ©Hina Kumari my Instagram ID @Rakesh radhika sarda #G☕☕d__morning___guys तेरी यादें भी हैं ••••••• . तेरा ख्याल भी....... कुछ अपनी फितरत है, कुछ तेरा कमाल भी..... !
G☕☕d__morning___guys तेरी यादें भी हैं ••••••• . तेरा ख्याल भी....... कुछ अपनी फितरत है, कुछ तेरा कमाल भी..... !
read moreSuthar Surya 18
White बचपन में पैसे नहीं थे, पर वो दिन बहुत अच्छे थे यार 🥺 ©Suthar Surya 18 #Thinking #बचपन#viral
Praveen Raj
White उजाले अपनी यादों को हमारे साथ रहने दो न जाने किस गली में मेरी ज़िंदगी की शाम हो जाए !! ©Praveen Raj #Sad_Status #यादें की शाम😌
#Sad_Status #यादें की शाम😌
read moreBr.Raj Gaurav
White बचपन एक बचपन था बहुत शानदार बचपन कुछ बाध्यताओं के साथ वाला रंगीन बचपन! अनेक रंग थे जो जिंदगी रौशन किये रहते थे! उस बचपन का एक मौसम था ठंड का मौसम! तब इतनी सुख सुविधाएं नहीं थी! न बिजली न फोन न इतनी महत्वाकांक्षाएं हम और हमारा बचपन बहुत खुश था! किसी अलाव के चारों तरफ बैठ के किसी बुजुर्ग की शीत बसंत और राजा रानी की कहानी सुन के! कभी कभी तो कहानियां इतनी गंभीर होती थी कि हम रो देते थे! और अब हक़ीक़त पर भी रोने का समय नही है! ख़ैर ....... ज़िंदगी की इस रफ़्तार में अब ना वो ठंड है ना वो अलाव है और न ही वो बुज़ुर्ग! अब सिवाय अफ़सोस के इस जवानी में कुछ बचा नहीं है! बचपन की सुबह रोज़ तैयार होकर जल्दी स्कूल पहुंचने के लिए जिन रास्तों पर दौड़ लगाते थे! आज वो रास्ते तरस गए होंगे हमारे पैरों की थपक सुनने को जैसे अब हम तरस रहे हैं उन रास्तों पर पैदल चलने को! वो आम की डाली जिस पर ओला पाती खेल के हमने उसे जमीन से सटा दिया था! बरसों से वो झुकी हुई डाली एकटक गांव की तरफ़ देख रही है! उसकी आस को पता ही नही है कि आज का बचपन मोबाइल की स्क्रीन में डूब के असमय मर चुका है! और कल जो बचपन उसका साथी था वो कंधे पर बस्ता लटका के स्कूल की तरफ ऐसा दौड़ा कि फ़िर कभी वापस ही नही आया! वो बचपन अब जवान हो चुका है! उस बचपन के पास अब हफ़्ते के दिन और महीनों के मौसम को समझने का समय नही है! जो बचपन सौमनस्य से भरा था उस बचपन की जवानी अब वैमनस्य की शिकार है! ये सब आधी रात को लिखते हुए! सुदर्शन फ़ाक़ीर की एक ग़ज़ल याद आ रही है! ना मोहब्बत न दोस्ती के लिए वक्त रुकता नहीं किसी के लिए वक्त के साथ साथ चलता रहे यही बेहतर है आदमी के लिए वक्त रुकता नही किसी के लिए अलविदा बचपन! ©Br.Raj Gaurav #Thinking बचपन
#Thinking बचपन
read moreDiya
🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰 ©Diya #मासूम #नजर #बचपन#बचपन #diyakikalamse
#मासूम #नजर #बचपन#बचपन #Diyakikalamse
read moreBhomsha oad
White बहौत सालों बाद लिख रहा हूं यारों... पर ये सोचकर रुक जाता hun कि konsa किशा लिखूं ©Bhomsha oad #यादें
Ram Prakash
White गाजे बाजे से करती हैं यादें जख्म़ ताजे करती हैं ©Ram Prakash #World_Photography_Day यादें
#World_Photography_Day यादें
read moreTarun Rastogi kalamkar
जीवन यह अनमोल है, रखना इतना ध्यान। जिसने यह जीवन दिया,कर उनका सम्मान।। ©Tarun Rastogi kalamkar #यादें❣️
यादें❣️
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