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अभिषेक
नज़रों में चाँद क्या समाया आँखों के नीचे रात बैठ गई मने कह रहे है
अभिषेक
शब्दों के लिए अर्थ ढूँढना उतना मुश्किल नही जितना अर्थों के लिए शब्द ढूँढना! सुप्रभात मने कह रहे है
अभिषेक
तुम शब्द.. मैं स्याही.. राम-राम पहुँचे सबको सुप्रभात मने कह रहे है
अभिषेक
जिस क्षण हमें अनुभूति हो जाये कि हम ज्ञानी हो रहे है या हो चुके है हम उसी क्षण अज्ञानता की पराकाष्ठा पर विराजमान होते है !! मने कह रहे है
arjun dongare
वारे वादळे अन मने थिर झाली वाट एकटी ही अन भीती फार झाली शोध तुझा लावताना भीती ही दूर झाली वारे वादळे अन मने थिर झाली ©arjun dongare मने थिर झाली #alone
Armaan Ali
नशा याद है मने वो दीन जब मैं तेरे जाल में फसा था वो नशा नी था नशे ते भी भुण्डा नशा था तेरी नजरा ने देख मने अपना कालजा कसा था तने हंसती ने देख मेरा भी दिल हंसा था अरे तू भी करले याद जब तू मेरी जिंदगी में आयी थी तेरे आने ते मेरी जिंदगी मुस्कुराई थी ईब तू मने देख के अपनी नजरा ने घूमावे है तूए तो कहा करती या छोरी तने खुद ते ज्यादा चाहवे है कुछ दीन करके प्यार तने मै अपनी नजरा ते गिरा दिया यों साधा भोला मानस तने नशे का आदि बना दिया #अरमान याद है मने वो दीन....
Armaan Ali
जब गई तू मने छोड़ के लगा चांदने में भी अंधेरा रे याद करले मैडम जब में भी था तेरा रे तने कहा था रह ना सकूंगी तेरे बिन ज़माने बिन तो सर जागी जे तू ना मिला मने तो छोरी तेरे बिन या मर जागी याद है मने मीठी मीठी बात तेरी थी याद है मने वो दीन जब तू भी मेरी थी #अरमान जब गई तू मने छोड़ के...
Armaan Ali
हां मने भी इश्क़ करा था फेर........? फेर के था उड़गे तोते मेरे भी #अरमान हां मने भी इश्क़ करा था....
shubhangi sharma
सुना है उनकी बातों से फूल झड़ते है, मानो दिल से दिल मिलते है। हम भी उनकी निगाहों के लिए तरसते है, पर वो हमारी तरफ कहाँ देखते है। हमसे भी मिल लिया करो ए अजनबी, हम भी तेरे घर के पास रहते है। सुना है उनकी आँखें भी बाते करती है, मानो अनसुनी कहानी बयां करती है। के उनकी आँखे कुछ बाते छुपाये भी रखती है, कभी कभी आंसुओ के ज़रिए बयां करती है। उनके होंठ मानो मोती ओर रंगों का बसेरा, उनकी मुस्कुराहट को देख होता है मेरा सवेरा। बानी रहे यूं ही उनकी मुस्कुराहट सदा, दुआ करते है हम ये ही हमेसा। के उनके बाल भी काली घटा से कम नही, झटकते है जब वो उन्हें तो वो वर्षा से कम नही, मिला मौका उनकी काली घटा में खो जाने का, तो वो पल हमारे लिए किसी दुआ से कम नही। उनके पैर भी है बड़े नाज़ुक से, बंजर जमी पर चले तो वो भी खिल उठे। चलना चाहते है हम भी उनकी जमी पे, उम्मीद ये की कभी तो वो हमें राहों में मिले। ©shubhangi sharma हिंदी साहित्य में रसराज मने जाने वाले शिंगार रस में लिखी कुछ पंक्ति, उम्मीद है पसंद आये।