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Rabindra Kumar Ram
" इश्क़ हैं की जनाब क्या बात करे हम, उलफ़ते-ए-हयात नवाइस कर तो देते , आखिर किस दरिया में उतरते ऐसे में हम, कुर्बत मुनासिब हो जो भी जैसा भी हो , फ़ुर्क़ते-ए-हयात अब जो भी हो सो हो , मैं तुम्हें इस मलाल से छोड़ तो नहीं देते. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " इश्क़ हैं की जनाब क्या बात करे हम, उलफ़ते-ए-हयात नवाइस कर तो देते , आखिर किस दरिया में उतरते ऐसे में हम, कुर्बत मुनासिब हो जो भी जैसा भ
" इश्क़ हैं की जनाब क्या बात करे हम, उलफ़ते-ए-हयात नवाइस कर तो देते , आखिर किस दरिया में उतरते ऐसे में हम, कुर्बत मुनासिब हो जो भी जैसा भ #शायरी
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White ***औरत का वजूद*** कोई भी शादीशुदा औरत अपने सुसराल में केवल अपना जिस्म लेकर नहीं आती है...? वो लाती है अपनी परवरिश के साथ अच्छे अखलाक, इल्म,तालीम,और अपना जहीन जहन...... फिर उसकी पहचान,उसकी अजमत,अस्मत,आजादी और अल्हड़पन कहाँ खो जाती होगी... गजाला सी चंचल चितवन वाली पिंजरेनुमा सुसराल में कैद मैना सी,शिरीन जुबा से रस उड़ेलती अनजान लोगों से सबकी जी हुजूरी में खिदमते करती बोलती, झिड़कियां,तंज,रंज गाली ग्लोच झेलती और इसी उधेड़बुन में सब्र करती बस...... फिर इसी कशमकश में संतानोत्पत्ति के बाद खुद से ही जिहाद करती हुई,अपनी गृहस्थी संभालती,भूलती रही,अपने जिस्म और रुह पर पड़े जख्मों की थकन से चकनाचूर,अपनी आप बीती को डायरी के पन्नो पर लिखती,संजोती........... वो एक बेनाम,औरत एक रोज मर जाती रही अपना फर्ज निभाकर,और भूल जाते हैं ये मतलबी लोग,.... यही सब सुनते और देखते आ रहे हैं,पता नहीं कब से.? मौजूदा दौर मे तो रिश्ते बस समझौते भर रह गए है..? सुनो बीन्त हव्वा 🎤अबअपने जिस्म को बिछौना बनाकर नहीं जीना...? तुम्हारी वुसअती तो (फैलाव) ला_मेहदूद(अनंत) है!! तुम इब्न आदम की नस्ल बढाने वाली हो,निस्वार्थ उल्फ्तें बांटने वाली हो, तुम अदबन हो अदब के काबिल हो... औरत ही मर्द की संपूरक है,और मर्द औरत से ही संपूर्ण और परिपूर्ण है.!! आदमी मतलबी,अना परस्त,ढीठ,तंगदिल,संगदिल सा हो सकता है,मगर औरत संजीदा,आब ए हयात की मानिंद.हयात देने वाली होती है।जैसे मानो पूरी कायनात बिन औरत के वजूद के अधूरी और बेमानी हो..! मुख्तसर बात यही है के आदमी जरिया है तो औरत तामीरदा(निर्माता)..... बनना और मिटना,औरत से ही है,तो फिर ये बेमिसाल औरत पर आदमी को फजीलत देने वाला,पुरुष प्रधान मुआश्रा क्यूं भूल जाता है औरत के वजूद को....???Bolg by✍️ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #sad_shayari ***औरत का वजूद*** कोई भी शादीशुदा औरत अपने सुसराल में केवल अपना जिस्म लेकर नहीं आती है...? वो लाती है अपनी परवरिश के साथ अच्छे
#sad_shayari ***औरत का वजूद*** कोई भी शादीशुदा औरत अपने सुसराल में केवल अपना जिस्म लेकर नहीं आती है...? वो लाती है अपनी परवरिश के साथ अच्छे #Motivational #shamawritesBebaak
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White जो हक बात कहने से इंकार कर रहा है,वो जरूर माल विरसे का अकेले डकार रहा है//१ गर है जो जमीर से जिंदा,तो समझिए,वो जरूरजी अपने अहदो वकार में रहा है//२ अपनी औलाद से अदल परवरिश का सबूत है, जो ऐसा न कर सके वो जरूर बेकार रहा है//३ जो भोला*पाड़ा हड़प लें अपने हमशीरी का*विरसा, वो जरूर दोगली भैंस का *शीर चटकार रहा है//४ जिसने की है बसर हयात को सब्र शुक्र गुजारी में, जरूर उनके चश्म में बेशुमार अश्कों का गुबार रहा है/ "शमा"जो नही रहते अपने ईमान पे कायम, उनका हश्र,बरोजे महशर कितना दुश्वार रहा है//६ #SjamawritesBebaa ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #sad_shayari जो हक बात कहने से इंकार कर रहा है,वो जरूर माल*विरसे का अकेले डकार रहा है//१*विरासत गर है जो जमीर से जिंदा,तो समझिए,वो जरूर जी
#sad_shayari जो हक बात कहने से इंकार कर रहा है,वो जरूर माल*विरसे का अकेले डकार रहा है//१*विरासत गर है जो जमीर से जिंदा,तो समझिए,वो जरूर जी #Live #Trending #writersofindia #nojotohindi #poetsofindia #shamawritesBebaak #SjamawritesBebaa
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nojoto बूस्ट के बिना भी वायरल करिए मेरी मेहनतों को तेरा*विसाल है मुझको *मसर्रतो की तरह,बिछड़के मर ही न जाऊँ,मैं*जांसितां की तरह//१ *मिलन*हर
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तेरा*विसाल है मुझको *मसर्रतो की तरह,बिछड़के मर ही न जाऊँ,मैं*जांसिता की तरह//१*मिलन*हर्ष *जानलेवा मिटा न डाले कहीं *जुल्मत्तों के सन्नाटे, मेरी हयात में आजा महरबा की तरह/२ *घोर अन्धकार *शाश्वत मेरे फ़सानो के किस्से बहुत रसीले है,के लोग पूछते रहते है,लापता की तरह//३ ये*वहश्तो के तकाजे यहीं पे रहने दो,क्यूं पूछते हो मिरा हाल राजदां की तरह//४ कई दफा तेरे*हुजरे से होके गुजरें है,तेरे दीदार में *खांबिदा की तरह//५ *इबादतगाह *निद्रालु दशा तुम्हारे साथ तो सेहरा में भी मेरे हमदम,ये खिंजा भी मुझे लगती है *गुलसिता की तरह/६ *पुष्पाच्छादित चमन तेरी मसर्रते*आराइयां कहाँ"अख्तर"हो*मयस्सरे विसाल*नौख़ेज़ दास्ता की तरह//७ *संवारने वाला *मिलन*उपलब्ध *नया उत्पन्न/नया नया #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Nojoto तेरा*विसाल है मुझको *मसर्रतो की तरह,बिछड़के मर ही न जाऊँ,मैं*जांसिता की तरह//१ *मिलन*हर्ष*जानलेवा मिटा न डाले कहीं *जुल्मत्तों के स
तेरा*विसाल है मुझको *मसर्रतो की तरह,बिछड़के मर ही न जाऊँ,मैं*जांसिता की तरह//१ *मिलन*हर्ष*जानलेवा मिटा न डाले कहीं *जुल्मत्तों के स #shamawritesBebaak
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*** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं , खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये , तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं , बात जो भी फिर कहा तक जार बेजार , तेरे ज़िक्र की नुमाइश की पेशकश की जाये , लो ज़रा सी इबादत कर लूं भी मैं , इश्क़ की बात हैं मुहब्बत कर लूं मैं , तेरे ख्यालों की नुमाइश क्या ना करता मैं , ज़र्फ़ तेरी जुस्तजू तेरी आरज़ू तेरी , फिर इस हिज़्र में फिर किस की ख़्वाहिश करता मैं , उल्फते-ए-हयात एहसासों को अब जिना आ रहा मुझे , जो तेरे ख्यालों के तसव्वुर से रफ़ाक़त जो कर रहा हूं मै . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मु