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ले के खुशियों की बहार

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theABHAYSINGH_BIPIN

#Hope वक्त के साथ किरदार बदलता है, वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं। कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर, वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं। वक्त के

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वक्त के साथ किरदार बदलता है,
वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं।
कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर,
वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं।

वक्त के साथ मिटती हैं दूरियाँ,
वक्त के साथ अपने भी बदलते हैं।
क्यों पकड़े हो कसकर पतंग की डोर,
इशारे में थामो, उड़ान बदलती है।

क्यों बढ़ने हैं तुम्हें सब एक दिशा से,
वक्त के साथ रिश्ते भी बिखरते हैं।
क्यों आवेश में पड़े चिंतित हो,
वक्त पर ही सारी पहेलियाँ सुलझती हैं।

हर रिश्ते में वो जज़्बात रहते हैं,
हर रिश्ते में वो तड़प रहती है।
क्यों हो इतना भी बेकरार तुम,
वक्त पर ही नींद सुकून की आती है।

जिंदगी का फ़लसफ़ा किसे पता,
वक्त पर ही जिंदगी सब सिखाती है।
क्यों कार्यों के बोझ तले डूबे हो,
वक्त ही वक्त ख्वाहिशें जगाता है।

नासूर ज़ख्मों की परवाह क्यों,
वक्त पर ही दवा मिलती है।
दिल अगर टूटा है तो क्या हुआ,
वक्त पर ही अपने मिलते हैं।

क्या हुआ जो मौसम सावन चला गया,
वक्त पर ही तो सारे मौसम बदलते हैं।
क्या हुआ जो रिश्ते पतझड़ बन गए,
वक्त पर ही बसंत की बहार खिलती है।

छोड़ दो बेफिक्री में बेफिकर उसे,
वक्त पर ही दबे राज भी खुलते हैं।
वक्त पर सब कुछ अच्छा मिलता है,
वक्त पर ही सही, नक्षत्र मिलते हैं।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Hope  
वक्त के साथ किरदार बदलता है,
वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं।
कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर,
वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं।

वक्त के

Parul Sharma

दाल रोटी की जगह पिज्जा बर्गर मिठाई की जगह केक चाकलेट नमकीन की जगह कुरकुरे चिप्स Fastival or birthday पर gift परोसने वाले santa हम लोग -

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दाल रोटी की जगह पिज्जा बर्गर 
मिठाई की जगह केक चाकलेट 
नमकीन की जगह कुरकुरे चिप्स 
Fastival or birthday पर gift 
परोसने वाले santa 
हम लोग ---
मकरसंक्रांति पर तिलकुट खिचड़ी 
बसंत पंचमी पर पीले वस्त्र चावल
होली पर गुजिया इनरसा
एकादशी पर घड़ा पंखा खरबूज शरबत
गणतंत्र दिवस पर बूंदी
रक्षाबंधन पर घेबर
जन्माष्टमी पर पंजीरी चरणामृत 
नौ दुर्गा में पूरी हलुआ 
शरद पूर्णिमा पर खीर
महिलाओं के त्योहार पर श्रंगार के सामान 
दशहरा दिवाली पर खीर खिलौने बताशे 
बाँटते और दान करते है
हम गिफ्ट नहीं लेते 
List में कुछ और रह गया है तो
Santa आप भी बता सकते हैं 
कुछ ले भी जा सकते हैं 
हमारे त्योहारों पर
मित्रों आप ही बताइए 
लगता है बहुत कुछ रह गया है

©Parul Sharma दाल रोटी की जगह पिज्जा बर्गर 
मिठाई की जगह केक चाकलेट 
नमकीन की जगह कुरकुरे चिप्स 
Fastival or birthday पर gift 
परोसने वाले santa 
हम लोग -

Sanatan_Sanskriti_Shubhash

सावन और हरिद्वार -- एक उत्कृष्ट संयोग Sawan and Haridwar - a wonderful combination Follow for more.... #mahadev #harharmahadev #lordshiva

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Jeetal Shah

#poem दिसंबर की सर्दियों का जादू दिसंबर की सर्दियों का जादू, चिलचिलाती ठंड, और हरियाली का नजारा।

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White दिसंबर की सर्दियों का जादू

दिसंबर की सर्दियों का जादू,
चिलचिलाती ठंड, और हरियाली का नजारा।

साग-सब्जियों की बहार, और गरमा-गरम सूप का आनंद,
सर्दियों की रातों में भी, दिल को गरम रखने का मौसम।

क्रिसमस की धूम, और सांता क्लॉज़ की कहानी,
एक्समास ट्री की सजावट, और चर्च में प्रार्थना की धुन।

साल के अंत में, नए साल का स्वागत,
365 नए दिन, नए विचार, नए लक्ष्य, और नए सपने।

भूल जाने को पुराने दिन, और नए साल की शुरुआत,
नए संकल्पों के साथ, और नए जोश के साथ।

दिसंबर की सर्दियों का जादू,
हमें नए साल की ओर ले जाने का एक मौसम।

©Jeetal Shah #poem 
दिसंबर की सर्दियों का जादू


दिसंबर की सर्दियों का जादू,

चिलचिलाती ठंड, और हरियाली का नजारा।

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर तेरी आमद ने दिये दिल को सुकून ऐसे, कि हर लम्हा ख़ुशी में गुलज़ार गुज़री है। तेरा ज़िक्र आया तो माहौल महक उठा, कि जैसे गुलों से ल

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तेरी आमद ने दिये दिल को सुकून ऐसे,
कि हर लम्हा ख़ुशी में गुलज़ार गुज़री है।
तेरा ज़िक्र आया तो माहौल महक उठा,
कि जैसे गुलों से लिपटी बहार गुज़री है।

तेरी राहों में जो ठहरे थे सिलसिले,
वो सब रातों में बनके खुमार गुज़री है।
तू जो आया तो एहसास यूँ हुआ नवनीत,
ज़िंदगी अब तलक बेकरार गुज़री है।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
तेरी आमद ने दिये दिल को सुकून ऐसे,
कि हर लम्हा ख़ुशी में गुलज़ार गुज़री है।
तेरा ज़िक्र आया तो माहौल महक उठा,
कि जैसे गुलों से ल

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर दिन थे जब ख्वाबों को सिर्फ आँखों में पलते थे, अब हकीकत में मिले तो कुछ अधूरी सी लगती है। मुफलिसी की रातें थीं जैसे स्याह अंधेर

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दिन थे जब ख्वाबों को सिर्फ आँखों में पलते थे,
अब हकीकत में मिले तो कुछ अधूरी सी लगती है।

मुफलिसी की रातें थीं जैसे स्याह अंधेरे,
अब ये रौशनी भी कुछ धुंधली सी लगती है।

कभी जो  जुदा हो गईं थीं तमन्नाएँ ए नवनीत,
अब वो पूरी हुईं तो कुछ अधुरी सी लगती है।

मंज़िल तक पहुँचने की ख़ुशी भी अब ग़म के साए में,
अब ये बहार भी कुछ कटीली सी लगती है।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
दिन थे जब ख्वाबों को सिर्फ आँखों में पलते थे,
अब हकीकत में मिले तो कुछ अधूरी सी लगती है।

मुफलिसी की रातें थीं जैसे स्याह अंधेर

Anjali Singhal

"तेरे प्यार की महकती खुशबू से, मैंने सपनों के रंगीन ख्वाब बुने; तूने बहार ही बहार भरी जीवन में, तुझ जैसा कोई कहाँ मिले? तेरे कदमों की आहट से

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kuldeepbabra

सावन की शुरू हुई कावड़ हरिद्वार से उज्जैन तक wbhakti bhajan

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neelu

#sad_quotes मेरी #नानी कहती थी जो सवाल तक नहीं रुकते वह जवाब तक कैसे रुकेंगे.. जो सावन में नहीं भीगते वह कार्तिक कैसे नहाएंगे

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White मेरी नानी कहती थी 
जो सवाल  तक नहीं रुकते 
वह जवाब  तक कैसे रुकेंगे..
जो सावन में नहीं भीगते
 वह कार्तिक कैसे नहाएंगे

©neelu #sad_quotes मेरी #नानी कहती थी 
जो सवाल  तक नहीं रुकते 
वह जवाब  तक कैसे रुकेंगे..
जो सावन में नहीं भीगते
 वह कार्तिक कैसे नहाएंगे
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