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UD
औरत एक मां जो हमारे हर स्थिति में साथ है। औरत एक बहन जो अपने पिता के घर से लेकर पति के घर तक की जिम्मेदारी निभाती है। औरत एक बेटी जो पिता के घर पर रहकर पारंपरिक बेड़ियों को तोड़कर इस समाज से लड़ कर शिक्षा और अपने जीवन के लिए संघर्ष करती है। औरत एक दादी जो सब कुछ अपने बच्चों के लिए करें फिर बाद में अनाथ आश्रम में रहे। औरत एक बुआ जो अपने भाइयों की कभी लाडली बहन और माता-पिता की सारी जिम्मेदारियां लिए रहती है। औरत एक अध्यापिका जो हमें अज्ञानता से ज्ञानता की ओर ले जाती है। सभी रूपों में औरत दुनिया की सबसे यूनिक पर्सनैलिटी है। जो सभी क्षेत्रों में अपने होने की भूमिका का निर्वहन कर रही है और आज जल थल वायु तक अपने होने का प्रमाण भी है। ।।। यस्य पूज्यंते नर्यस्तु तत्र रमन्ते देवातः।।। ©Ud महिला दिवस
ajay panday
"क्या कहती हो ठहरो नारी! संकल्प अश्रु-जल-से-अपने। तुम दान कर चुकी पहले ही जीवन के सोने-से सपने। नारी! तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास-रजत-नग पगतल में। पीयूष-स्रोत-सी बहा करो जीवन के सुंदर समतल में। आँसू से भींगे अंचल पर मन का सब कुछ रखना होगा- तुमको अपनी स्मित रेखा से यह संधिपत्र लिखना होगा। #लज्जा ©ajay panday #महिला दिवस
yash gauttam
जाने कहां से हंसना सीखी है औरतें कड़वी सी दुनिया में मीठी है औरतें । हम घर से निकलते है जीने को जिंदगी चूल्हे और चौके को जीती है औरतें । बांटी है रिवाजों ने बस प्यास ही इन्हें घूंघट में पसीने को पीती है औरतें। छाया है , ममता है और दोस्त सरीखी दादी है , अम्मा है , हर रूप जीती है औरतें। घर में ये वाकिफ है हर इक की नब्ज से हर मर्ज में दवा की शीशी है औरतें । - यश गौतम महिला दिवस
KaviSushilkumarjatav
एक दिन की शुभकामनाएं नहीं, पूरे साल का सम्मान चाहिए। सिर्फ़ आज की तारीफ़ नहीं रोज़ की टिपण्णीयों से आज़ादी चाहिए। किसी का एहसान नहीं , अपने हक़ का मन चाहिए । रंग आकार ,सूरत और पड़ से नहीं , मुझे मेरी सीख से पहचान चाहिए। #महिला दिवस
शैलेन्द्र यादव
भले ही तुम नही हो अब मेरे साथ, मगर कमरे में आज भी सुनाई देती है तुम्हारी बातें, जैसे- आपका नहाने का पानी गर्म हो गया है, आज टिफिन ले जाओगे या घर और ही खाना खा के जाओगे, आपके कपड़े प्रेस करके टेबल पे रख दिये है, ओर न जाने ऐसी कितनी है अनगिनत बातें सुनाई देती है, ओर फिर अपने सपनो को पूरा करने स्कूल की ओर चल पड़ती थी, एक महिला के लिए घर संभालना, पति, बच्चे, ओर फिर खुद की ड्यूटी, बड़ा मुश्किल काम होता है... ©Shailendra Yadav महिला दिवस