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Ravi Shankar Kumar Akela
भारत में 6 प्रकार के न्यायालय स्थापित किए गए हैं| वह 6 न्यायालय कुछ इस प्रकार हैं, उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय, जिला और अधीनस्थ न्यायालय, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रेक कोर्ट और लोक अदालत। भारत का शीर्ष न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय है , जो कि राजधानी दिल्ली में स्थित है। ©Ravi Shankar Kumar Akela भारत में 6 प्रकार के न्यायालय स्थापित किए गए हैं| वह 6 न्यायालय कुछ इस प्रकार हैं, उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय, जिला और अधीनस्थ न्यायालय,
Aurangzeb Khan
बुझते हुए चराग को हवा दे गया कोई मौसम ए खिजा में भी गुल खिला गया कोई थम चुकी थी जिनकी उम्मीदें इंसाफ के लिए इस जुल्म के अंधेरों में वक्त रहते ही इंसाफ का दीया फिर जला गया कोई #सर्वोच्च न्यायालय ©Aurangzeb Khan #सर्वोच्च न्यायालय
Kavita jayesh Panot
न्याय की कतार अन्यायों की बस्तियों में, देखो न्याय के लिए कतार लगी है। छोटी नही है कोई आवाजे , दिल की गहराइयों से गुहार लगी है। सुनने वाला जैसे बेहरा हो, आँखों से दृष्ट राज । राज सभा में द्रोपतियो की भीड़ लगी है। सरेआम छल ली जाती है , इज्जत बाजारों में किसी बेकसूर की। जैसे किसी हैवान की वासना मुख में सजी हो। किसी के घर पकवानों की थालियां सजती है, तो कोई भूख से तड़प कर मौत की नींद सो जाता है। कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा, कोई लुटा देता है अपनी बुढ़ापे की जमा पूँजी भी, एक न्याय की आस में। फिर भी वर्षो से कागजातों में बंद उम्मीदे पड़ी है। कोई अपने हक की कमाई के लिए , गिड़गिड़ाता है, लाठी के सहारे भी पेंशन आफिस के चक्कर लगाता है। न जाने ये न्याय का कैसा रास्ता है? अधिकारों और न्याय की सुनवाई तो, मन्दिरों के द्वार पर भी धागों में बंधी है। अन्याय की इस बस्ती में , न्याय की कतारें लगी है। न्याय की गद्दी पर बैठा अंधा है, अन्यायों की महफ़िल हर जगह जमी है। कोई मखमली लिबाज पहनें तो, किसी को कफ़न भी न नसीब है। ईश्वर ने बनाया इंसान , ये इतनी सारी अलग -अलग पहचान कैसे ,क्यों बनी है? चलो अब इंसानियत को अपना मूल धर्म बना, भेदों को जहाँ से मिटा दे। हर इंन्सा को उसके मूलभूत अधिकार दिला, ख़ुशनुमा औरो के जीवन भी बना दे। चलो आज समाज को सामाजिक न्याय और, कर्तव्यों के सही मायने सीखा , अन्याय की बस्ती में आग लगा दे।। कविता जयेश पनोत ©Kavita jayesh Panot #न्यायालय #न्याय#इंसानियत
Ek villain
हाल ही में सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार देश के उच्च न्यायालयों में 30% और सुप्रीम कोर्ट में 21% जजों की कमी है भारत की 28 में से 2 उच्च न्यायालय को छोड़कर सभी में 12 से 46% पद रिक्त है राजस्थान और गुजरात के हाई कोर्ट में 46% जज कम है उत्तराखंड उच्च न्यायालय में 36% प्रयागराज में 38% हिमाचल में 35% पद रिक्त चल रहे हैं सुप्रीम कोर्ट में कुल स्वीकृति जजों की संख्या 34 में से 27 कार्य करत है मतलब देश के सर्वोच्च न्यायालय में 7 जजों के पद रिक्त है देश के उच्च न्यायालयों में 1008 जजों के पद स्वीकृत है जबकि कुल 773 पदों पर ही जज कार्य करते हैं और 30% यानी 335 पद स्वीकृत है ©Ek villain #nightsky #जजों की कमी से जूझ रहे है न्यायालय
Ashok Topno
सबसे बड़ा न्यायालय हमारा मन होता है क्या सही है और क्या गलत है उसे सब पता होता है ©Ashok Topno न्यायालय#nojoto #hindi#viral
sundram kashyap sd
शयाही सूख भी नही पाती अखबारो की नई खबर आ जाती है बलात्कारों justice for Dr priyanka reddi ये सुनकर बहुत कष्ट हो रहा है और न्यायालय को कुछ दिख नही रहा है क्या
Ek villain
चुनाव प्रचार के समय धर्म जाति संप्रदाय भाषा क्षेत्र लिंग आदि पर आधारित भेदभाव प्रतिबंध राजनीति दलों को अपनी नीतियों को इस प्रकार प्रचार करना चाहिए कि वह संप्रदाय या जाति वादी प्रतीति ना होवे विडंबना यह है कि समाचार पत्रों या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जब भी चुनाव में संभावित का विश्लेषण किया जाता है सर्वप्रथम हिंदू मुस्लिम के आंकड़े प्रस्तुत किए जाते हैं इसके बाद हिंदुओं की जाति आधारित संख्या ब्राह्मण ठाकुर निषाद यादव जाट बनिया आदि पाठ पर दृष्टिगोचर होने लगती है मुस्लिम के भीतर फिर के होते हैं तथा सिया सुधि अहां में दिया खरीद कुर्ती आदि लेकिन जानबूझकर खुशी में पैदा की जाती है यही एकजुट होकर मतदान करते हैं विभिन्न राजनीतिक दल ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित करते हैं एक मुस्लिम यादव का तो दूसरा दलित मुस्लिम का नारा दलित का कुछ राजनीतिक दल ऐसे में भी जो सारे मुस्लिम को अपने लिए लाना चाहते हैं यह सारे प्रयास आश्रय दैनिक हैं सुप्रीम कोर्ट को संज्ञा लाते हुए ऐसे विश्लेषण ऑफर तत्काल रोक लगा देनी चाहिए ©Ek villain # उच्चतम न्यायालय समझाई बात #Walk
Ek villain
इलाहाबाद उच्च न्यायालय का एक कथन बहुत उचित है कि व्यापक गड़बड़ी पाए जाने पर भर्ती परीक्षा नियंत्रण करना है वह चयन बोर्ड पर बयान कायम रखने की दृष्टि से यह कदम सर्वोत्तम है कि उत्तर प्रदेश में भर्ती परीक्षाओं की परी कितनी सुंदर होगी उसमें किसी प्रकार की सेंध लगाना संभव ही नहीं हो सका कि इन प्रयासों के बावजूद अब तक संभव नहीं हो सका ऐसी कम दुरुस्त करने वाली छोटी बताने के प्रयास चाहे जितने तरीके अभ्यार्थियों के मन में विश्वास पैदा कर दे दी जाती है तो और भी सफलता नहीं मिलती उसने सेवा चयन आयोग के ग्राम विकास अधिकारी ग्राम पंचायत अधिकारी और सुपरवाइजर भर्ती परीक्षा की है भर्ती परीक्षा कराई गई है जिन लोगों ने सीट खाली जमा किए उन्होंने घोषित कर दिए गए हैं परिणाम घोषित होते हुए करने वाले का फैसला लिया गया और समय लगता है परीक्षा के साथ भाभी करियर के सपने पलटते हैं और जब वही एक आदेश से टूट जाते हैं तो फिर अंतः पीड़ा होती है यह 900000 अभ्यर्थी में सेवा परीक्षा दी होगी जने लगता होगा कि चयन के योग दे कि तू भ्रष्ट व्यवस्था ने उसका पर्स छीन लिया ©Ek villain #भरोसे का प्रश्न न्यायालय का #election