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Ravishankar Nishad
Black Day India (शहीद श्रद्धांजलि संदेश Hindi): 14 फरवरी भारत के इतिहास में सबसे बुरा दिन माना जाता है। ये दिन जम्मू कश्मीर में हुई दुखद घटना को याद दिलाता है। 14 फरवरी ही वो दिन था जब जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सीआरपीएफ के काफीले पर आत्मघाती हमला हुआ था, जिसमें 45 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे ©Ravishankar Nishad Black Day India (शहीद श्रद्धांजलि संदेश Hindi): 14 फरवरी भारत के इतिहास में सबसे बुरा दिन माना जाता है। ये दिन जम्मू कश्मीर में हुई दुखद घटन
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KP GK SAGAR GK questions in Hindi video short ©KP STORY CREATOR नीलगिरी पहाड़ियां ❑ अंडों की टोकरी (एशिया) ➭ आंध्र प्रदेश ❑ राजस्थान का हृदय ➭ अजमेर ❑ सुरमा नगरी ➭ बरेली ❑ खुशबुओं का शहर ➭ कन्नौज ❑ काशी क
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KP GK SAGAR GK questions in Hindi ©KP STORY CREATOR #KP GK SAGAR GK #questions in #Hindi प्रश्न 1- किस मौर्य राजा ने दक्कन पर विजय प्राप्त की थी। उत्तर - कुणाल ने। प्रश्न 2- मेगास्थी
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KP GK SAGAR GK questions in Hindi video short Film festival ©KP STORY CREATOR ╭─❀⊰╯भारत के प्रमुख भौगोलिक उपनाम ╨───────────────────━❥ ❑ ईश्वर का निवास स्थान ➭ प्रयाग ❑ पांच नदियों की भूमि ➭ पंजाब ❑ सात टापुओं का नगर
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यह मोहब्बत न कभी मिटी है न ही मिटेगी, देखो जरा आज भी यह मोहब्बत जिंदा है, मोहब्बत के दिन ही उन वीरों ने जान गवां दी, फिर भी सरहद पर वो खड़ा जाबाज परिन्दा है। 🌟 पुलवामा अटैक १४ फरवरी को जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारतीय जवानों को ले जाने वाले CRPF के वाहनों के काफिले पर आत्मघात
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} (Om Namah Shivay) अमरनाथ धाम से जुडी शिव-पार्वती कथा एक बार देवी पार्वती ने देवों के देव महादेव से पूछा, ऐसा क्यों है कि आप अजर हैं, अमर हैं लेकिन मुझे हर जन्म के बाद नए स्वरूप में आकर, फिर से बरसों तप के बाद आपको प्राप्त करना होता है । जब मुझे आपको पाना है तो मेरी तपस्या और इतनी कठिन परीक्षा क्यों? आपके कंठ में पडी़ नरमुंड माला और अमर होने के रहस्य क्या हैं? महादेव ने पहले तो देवी पार्वती के उन सवालों का जवाब देना उचित नहीं समझा, लेकिन पत्नीहठ के कारण कुछ गूढ़ रहस्य उन्हें बताने पडे़। शिव महापुराण में मृत्यु से लेकर अजर-अमर तक के कर्इ प्रसंंग हैं, जिनमें एक साधना से जुडी अमरकथा बडी रोचक है। जिसे भक्तजन अमरत्व की कथा के रूप में जानते हैं। हर वर्ष हिम के आलय (हिमालय) में अमरनाथ, कैलाश और मानसरोवर तीर्थस्थलों में लाखों श्रद्घालु पहुंचते हैं। सैकडों किमी की पैदल यात्रा करते हैं, क्यों? यह विश्वास यूं ही नहीं उपजा। शिव के प्रिय अधिकमास, अथवा आषाढ़ पूर्णिमा से श्रावण मास तक की पूर्णिमा के बीच अमरनाथ की यात्रा भक्तों को खुद से जुडे रहस्यों के कारण और प्रासंगिक लगती है। पौराणिक मान्याताओं के अनुसार, अमरनाथ की गुफा ही वह स्थान है जहां भगवान शिव ने पार्वती को अमर होने के गुप्त रहस्य बतलाए थे, उस दौरान उन ‘दो ज्योतियों’ के अलवा तीसरा वहां कोर्इ प्राणी नहीं था । न महादेव का नंदी और नही उनका नाग, न सिर पे गंगा और न ही गनपति, कार्तिकेय….! सबसे पहले नंदी को पहलगाम पर छोड़ा महादेव ने :- गुप्त स्थान की तलाश में महादेव ने अपने वाहन नंदी को सबसे पहले छोड़ा, नंदी जिस जगह पर छूटा, उसे ही पहलगाम कहा जाने लगा। अमरनाथ यात्रा यहीं से शुरू होती है। यहां से थोडा़ आगे चलने पर शिवजी ने अपनी जटाओं से चंद्रमा को अलग कर दिया, जिस जगह ऐसा किया वह चंदनवाडी कहलाती है। इसके बादगंगा जी को पंचतरणी में और कंठाभूषण सर्पों को शेषनाग पर छोड़ दिया, इस प्रकार इस पड़ाव का नाम शेषनाग पड़ा। अगले पड़ाव पर गणेश छूटे :- अमरनाथ यात्रा में पहलगाम के बाद अगला पडा़व है गणेश टॉप, मान्यता है कि इसी स्थान पर महादेव ने पुत्र गणेश को छोड़ा। इस जगह को महागुणा का पर्वत भी कहते हैं। इसके बाद महादेव ने जहां पिस्सू नामक कीडे़ को त्यागा, वह जगह पिस्सू घाटी है। और शुरू हुर्इ शिव-पार्वती की कथा :- इस प्रकार महादेव ने अपने पीछे जीवनदायिनी पांचों तत्वों को स्वंय से अलग किया। इसके पश्चात पार्वती संग एक गुफा में महादेव ने प्रवेश किया। कोर्इ तीसरा प्राणी, यानी कोर्इ कोई व्यक्ति, पशु या पक्षी गुफा के अंदर घुस कथा को न सुन सके इसलिए उन्होंने चारों ओर अग्नि प्रज्जवलित कर दी। फिर महादेव ने जीवन के गूढ़ रहस्य की कथा शुरू कर दी। कथा सुनते-सुनते सो गर्इं पार्वती, कबूतरों ने सुनी :- कहा जाता है कि कथा सुनते-सुनते देवी पार्वती को नींद आ गर्इ, वह सो गर्इं और महादेव को यह पता नहीं चला, वह सुनाते रहे। यह कथा इस समय दो सफेद कबूतर सुन रहे थे और बीच-बीच में गूं-गूं की आवाज निकाल रहे थे। महादेव को लगा कि पार्वती मुझे सुन रही हैं और बीच-बीच में हुंकार भर रही हैं। चूंकि वैसे भी भोले अपने में मग्न थे तो सुनाने के अलावा ध्यान कबूतरों पर नहीं गया। वे कबूतर अमर हुए और अब गुफा में होते हैं उनके दर्शन :- दोनों कबूतर सुनते रहे, जब कथा समाप्त होने पर महादेव का ध्यान पार्वती पर गया तो उन्हें पता चला कि वे तो सो रही हैं। तो कथा सुन कौन रहा था? उनकी दृष्टि तब दो कबूतरों पर पड़ी तो महादेव को क्रोध आ गया। वहीं कबूतर का जोड़ा उनकी शरण में आ गया और बोला, भगवन हमने आपसे अमरकथा सुनी है। यदि आप हमें मार देंगे तो यह कथा झूठी हो जाएगी, हमें पथ प्रदान करें। इस पर महादेव ने उन्हें वर दिया कि तुम सदैव इस स्थान पर शिव व पार्वती के प्रतीक चिह्न में निवास करोगे। अंतत: कबूतर का यह जोड़ा अमर हो गया और यह गुफा अमरकथा की साक्षी हो गर्इ। इस तरह इस स्थान का नाम अमरनाथ पड़ा। मान्यता है कि आज इन दो कबूतरों के दर्शन भक्तों को होते हैं। अमरनाथ गुफा में यह भी प्रकृति का ही चमत्कार है कि शिव की पूजा वाले विशेष दिनों में बर्फ के शिवलिंग अपना आकार ले लेते हैं। यहां मौजूद शिवलिंग किसी आश्चर्य से कम नहीं है। पवित्र गुफा में एक ओर मां पार्वती और श्रीगणेश के भी अलग से बर्फ से निर्मित प्रतिरूपों के भी दर्शन किए जा सकते हैं। एन. एस. यादव। रोहिणी दिल्ही।। ©N S Yadav GoldMine {Bolo Ji Radhey Radhey} (Om Namah Shivay) अमरनाथ धाम से जुडी शिव-पार्वती कथा एक बार देवी पार्वती ने देवों के देव महादेव से पूछा, ऐसा क्यों ह
Divyanshu Pathak
तेरे बर्फ़ीले एहसासों की बानगी काजू की बर्फ़ी है ! सूखी शख़्त भुरभुरी पर मीठी बहुत मीठी ! तेरी बातों की तरी को मैंने चख कर देखा ओहो ! गुड़ शहद गुलकंद मकरंद से भी मीठी बहुत मीठी ! :💕🍨🍧💕👨🙋☕☕☕☕☕☕☕🙋💕🐒😊🍉🍉🍧🍨🍨 Good evening ji .... तेरी तलाश की है मैंने मन्दिर मैदान पहाड़ो में ढूढ रहा था तुझको यारा मैं खण्डर और खदानों में ! चा
DR. SANJU TRIPATHI
सैनिकों पर ही देश की सुरक्षा का भार होता है, सैनिकों के कारण हर नागरिक चैन से सोता है। परवाह नहीं करते ये अपनी जान की देश के लिए, बेखौफ लड़ते हैं दुश्मनों से कोई डर नहीं होता है। सैनिकों के जज्बे के कारण हम सुरक्षित रहते हैं हम सब मिल उनके जज्बे को सलाम करते हैं। दुश्मनों ने धोखे से वीर सैनिकों को मार दिया। लौट रहे थे अपने घरों को पीठ पीछे वार किया। धरती के स्वर्ग को लहू के लाल रंग से भीगो डाला, उन वीरों को एक साथ चिर निद्रा में सुला डाला। वीरों की शहादत को देखकर भारत मां भी रोई थी, परिवार वालों को अश्कों के सैलाब में डुबो दिया। सारे देश रोया था जब शहीदों की चितायें जली थी हर वीर अपनी देह को मातृभूमि के नाम कर गया। वह जो शहीद हुए उनके लिए श्रद्धांजलि अर्पित है, जो वतन के लिए खुद को आसमां में रोशन कर गए। सारे रिश्ते नातों को कुर्बान कर दिया देश के लिए, खुद शहीद होकर पूरे देश को गौरवान्वित कर गए। 🌟 पुलवामा अटैक १४ फरवरी को जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारतीय जवानों को ले जाने वाले CRPF के वाहनों के काफिले पर आत्मघात
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सरहद पर डटा रहा,बन कर पाषाण, पराक्रम और शौर्य की है पहचान, तिरंगे की शान को रखे बरकरार, ऐसा है हमारे वीर सैनिक जवान। देश के शहीद वीरों शत शत नमन है मेरा, मातृभूमि के रक्षक बन मिटाया डर का अंधेरा, जरूरत जब आन पड़ी रक्त का अंतिम कतरा तक बहाया, गौरव से सर ऊंचा करते जिसकी हो संतान। धन्य है वह मां जिसने दूध पिलाया, सिखा कर देशभक्ति का पाठ, मन में देश प्रेम जगाया, सौंप कर देश को अपना दिल का टुकड़ा, अपने फर्ज का दायित्वबोध निभाया। 🌟 पुलवामा अटैक १४ फरवरी को जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारतीय जवानों को ले जाने वाले CRPF के वाहनों के काफिले पर आत्मघात