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👦Mysterious Words🧒

# फुट प्रिंट

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चलना संभलकर दुःख जाए न मेरे पांव 
उन राहों पर है मेरे कदमों के निसां
जहा तेरा है आशियाना # फुट प्रिंट

sriniwash pal ketu

मेरा चश्मा फुट गया

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तेरी यादों मे मै इसकदर खो गया,
की पता न चला कब आँख लग गयी,
और मैं चश्मा लगाए ही सो गयाll

स्वप्न में तू यूं ही दर्शन दी
मुस्कराते हुए, 
जुल्फों को बिखराते हुए,
अपनी अदाओं का जलवा दिखाते हुए,
छुप छुप के बालकनी से इशारे करते हुए,
मेरी बेताबी को बढ़ाते हुए,

मैं बहुत मजे में था 
जन्नत के छजे पे था 
की अचानक भोर हुआ 
कुछ कुछ शोर हुआ 
और तेरा मेरा कनेक्शन टूट गया ll
मैं तड़के से उठा 
तो देखा कि मेरा चश्मा फुट गया ll
O मेरा चश्मा फुट गया

Vikas Maurya Vikas Maurya

अण्डे फुट gaye 😂 #Comedy

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Manish Pinu

#lonely # सर फुट गया #लव

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Satyam Singh Shrinet

100m. ,200.m.and 800m. एथलीट runner all india university champion ....

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100m. ,200.m.and 800m. एथलीट runner 
all india university champion ....

Dharmendra Kumar

#ourstory बुलबुले तुम्हारे फुट ही जायेंगे।

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Kirshan Thory

फुट बाल से बचै खुश होते हैं #ज़िन्दगी

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Silent Girl001

62 फुट ऊंचा शिव लिंग हर हर महादेव #Mythology

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Ravindra Singh Bhati

पैरा ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट डॉ देवेन्द्र झाझङिया जी❤ #एथलीट #एथलेटिक्स #भारत #देवेन्द्रझाझङिया #स्पोर्ट्स

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Amit premshanker

do fut ki chatai दो फुट की चटाई #Rose #कविता

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नई पलंग पर मैं सोऊंगा
लड़ता था कभी यह कह के
नहीं मैं खाना खाऊंगा
मैं रूठ जाता था यह कह के
कहां लड़कपन छूट गई
जाने कब कैसे बड़े हुए
बीत चुके हैं कई बरस
हां तकियों से अब लड़े हुए।
क्या मम्मी,क्या पता तुम्हें मैं कब कब एका होता हूँ।
दो फुट की चटाई में, मैं कैसे सिमटकर सोता हूँ।।

नहीं मैं कपड़े धोऊंगा
ना खाना कभी बनाऊंगा
आज तो ठंडी बहुत है पापा
बारह बजे नहाऊंगा
कहते थे नालायक मुझे तो
मन ही मन में रोता था
नहीं रहे अब वो दिन जब मैं
आठ बजे तक सोता था।
देख ले आ के बाबुजी अब खुद ही कपड़े धोता हूँ।
दो फुट की चटाई में मैं कैसे सिमटकर सोता हूँ।।

आठ-दस का कमरा है
कमरे में ही एक मोरी है
चार-छः का एक चादर
सुती की बिल्कुल कोरी है
दिक्कत ना हो दुसरे को
हां ये भी ध्यान ज़रूरी है
पैर नहीं फ़ैला सकता
ये भी कैसी मजबूरी है।
कहते थे ना पापा तुम, मैं पैर चढ़ा कर सोता हूँ।
अब दो फुट की चटाई में मैं कैसे सिमटकर सोता हूँ

कर दिया बेगाना मुझको
घर की जिम्मेदारी ने
जो देखा ना, दिखलाया
इस पेट की दुनियादारी ने
मेरी मेहनताना से बस
इतनी सी एक आशा है
हंसी ख़ुशी परिवार रहे
हां यही मेरी अभिलाषा है
इसी आस से घर का बोझा अपने सर पर ढोता हूँ।
दो फुट की चटाई में मैं कैसे सिमटकर सोता हूं।।

कवि:- अमित प्रेमशंकर
एदला,सिमरिया,चतरा(झारखण्ड)

©Amit premshanker do fut ki chatai दो फुट की चटाई

#Rose
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