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Abhishek tripathi#chgr@c
मजदुर की मजबूरी कितना पशीना बहाती हैं। थक कर सोजाता हैं तब हवा भीं प्यार जताती हैं।। #फुट पात... ©Abhishek tripathi#chgr@c #adventure
OMG INDIA WORLD
तुझसे #बिछड़ कर #टूट सा गया हूं. अब इस #जिंदगी से #रूठ सा गया हूं. यकीन ना हो तो आकर देख मुझे. इस दुनिया की भीड़ में #छूट सा गया हूं.!! सब ने तो मुझे #तोड़ा था. एक तू ही तो थी जिसने मुझे #जोड़ा था. तेरे बिना खुद से अब #रूठ सा गया हूं. वक्त के हाथों में भी तो #पत्थर है. और मैं सीसे जैसा #फुट सा गया हूं.!! सोना मुझे तेरी #जरूरत है हर पल. हर वक्त तेरा ही #ख्याल है. बस #मौत ही बाकी रह गई है मुझको. क्योंकि तेरे बिना बहुत बुरा #हाल है.!! तुझे देखकर #ख्यालों में खुश रहता था मैं. सारे #दर्दो ग़म हंसकर सहता था मैं. थी दिल में लाख #रंजिशें पर. पूछे जाने पर #मजे में हूं कहता था मैं.!! कैसे कह दूं कि मैं तुझसे #इश्क नहीं करता. हर पल तेरी ही #आरजू होती है. तू नहीं है तो इस जहां में भी #सूनापन सा है. अब दिल को सिर्फ तेरी #जुस्तजू होती है.!! चल माना हो गई #गलती मुझसे. तू #जिद तो करती मेरे पास आने की. तू वजह तो बनती मेरे #मुस्कुराने की. अब भी #लौट आ मेरे यार #सोना. तेरी यादों में टूट सा गया हूं. हो सके तो #पुरा कर देना मुझे. क्योंकि कोरे कागज की तरह छूट सा गया हूं.!! ©OMG INDIA WORLD तुझसे बिछड़ कर टूट सा गया हूं. अब इस #जिंदगी से रूठ सा गया हूं. यकीन ना हो तो आकर देख मुझे. इस दुनिया की भीड़ में छूट सा गया हूं.!! सब ने तो मुझे तोड़ा था. एक तू ही तो थी जिसने मुझे #जोड़ा था. तेरे बिना खुद से अब रूठ सा गया हूं.
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मुझे शिकायत है मेरी परछाई से..वो मेरी ठीक ठीक आकृति नहीं बनाती |कभी मेरे कद से छोटी तो कभी मेरे कद से बड़ी तो कभी मेरे दोनों पैरों के इर्द गिर्द एक गोल घेरा बना लिया करती है | मैं उससे छूपने को कभी पेड़ो की ओट में तो कभी दीवारों का सहारा लिया करता हूँ नज़र घुमा कर देखता हूँ तो मेरे सहारे को मुझ से जोड़ एक नई आकृति गढ़ रही होती है| मैं उससे भागता हूँ ,बेतहाशा ,उससे कोशों दूर निकल जाना चाहता हूँ पर हमेशा उसकी जिद्द मेरे पैरों में लिपटी हुई मिलती है| मैंने उससे कई बार कहा ठीक ठीक हिसाब क्यों नहीं लगा लेती ,तुम मुझे ठीक वैसा ही पेश क्यों नहीं करती जैसा मैं हूँ,उसने कुछ नहीं कहा, कभी नहीं कहा, चुप चाप मेरी आकृति बनाती रही| एक दिन मैं गुस्से से घर से नहीं निकला ,आज मैं खुश था कि उससे मुलाकात नहीं होगी तभी खिड़की से झांकती रौशनी का एक टुकड़ा मेरे से आ लगा ,पलट कर देखा तो परछाई दिवार पे एक आकृति लिए हुए,मैं उसके करीब जाने लगा और करीब ,जितना करीब गया वो मुझसे दूर होने लगे,मेरे अंदर एक अजीब सी टिस उठी उसके खो जाने की,मैं समझ नहीं रहा था जिससे इतने दिनों तक भागता रहा उसके खो जाने से मैं दुखी क्यों हूँ!!! मैं भावों का गुणा भाग नहीं करना चाहता था ,मुझे समझ आ गया कि उसका जिद्दीपन मुझे अच्छा लगने लगा है और उससे भागना खुद से भागना है,मैं फुट फुट कर रोने लगा एक बच्चे की तरह..मैं बिलकुल खाली हो जाना चाहता था उस रोज परछाई #RDV19
Rustam Ali Anjum
मोसमे बाहरा की हर अदा सताती है ! फूल जख्म देते है और चांदनी जलाती है ! फुट फुट कर हम तो उस वक़्त बहुत रोते है, जब कभी तन्हाई मे तेरी बहुत याद आती है ! मै तुम्हे छोड़ कर कभी नहीं जाउंगी रुस्तम, सुकून मिलता है दिल को ज़ब जहन मे तेरी ये बात आती है ! शायर Rmk मैरे नये अल्फाज़
Aashish Choudhary
कैसे कह दूँ अपनी कलम से की रोना छोड़ दे। मोहब्बत की है जनाब दर्द फुट फुट कर निकलेगें।।
Ramank Bhargav
रोया तो बचपन में भी था फुट फुट कर तब बड़ा बेचैन होता था मगर आज माँ बाप के साये से दूर होने के बाद जब रोता हु तो याद आते है वो दिन क्योकि आज पता चला असली रुलाती तो दुनिया है ~ Ramank बचपन की यादो से
sanu
वो दोस्ती का क्या खूब नज़ारा था नवीं का याराना था और अभिनन्दन का रास्ता था, थी थोड़ी नोंकझोंक पर प्यार भी बहुत सारा था वो दोस्ती का क्या खूब नज़ारा था,, चिठ्ठियों का सिलसिला था कभी रूठना कभी मनाना था सनावदा रोड़ छुपकर जाना था और राजवाड़ा की जलेबी का स्वाद था वो दोस्ती का क्या खूब नज़ारा था,, कोई किसी का क्रश था कोई किसी का लवर था कइयों ने रास्ते बदले थे तो कोई इरादा बना कर बैठा था वो दोस्ती का क्या खूब नज़ारा था,, वो रितिक की चौकीदारी थी वो 11वी का फिज़िक्स था वो फिर भागकर अभिनन्दन जाना था क्योंकि केमिस्ट्री भी तो बहुत प्यारा था वो दोस्ती का क्या खूब नज़ारा था,, वो अंत भी कितना प्यारा था अपने कैरियर का फिक्र था फुट फुट कर रोना था और गले लगाकर हसीन पलो को याद करना था वो दोस्ती का क्या खूब नज़ारा था,, - शोहराब शैख़ (शानू) #shaikh
Madanmohan Thakur (मैत्रेय)
Abhang Nair
#OpenPoetry मेंने गजलें बनती देखी है मेंने मसला बनते देखा है अरे तु क्या देखेगा मुझे मेंने तेरी रुह को नंगा देखा है अरे तुझे क्या खबर के फुट फुट कर रोया हु मैं जब जब इन आँखो से जातपात पर दंगा देखा है #nojoto #nojotohindi #life #learning
Nikita Negi
मेरी आंखों का समुद्र भी आज फुट फुट कर रोया हैं🖤 सुना है उसके शहर में भी आज सैलाब आया है। सैलाब 🙃 #nojoto