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Rahul Bhandari
दिन कुछ ऐसे गुजारता है कोई। जैसे एहसान उतारता है कोई। गुजरा जब घर से उसके याद आया। मुझे इस घर में जानता है कोई। पक गया है फल शायद तभी तो पत्थर उछालता है कोई। राहुल comboof भण्डारी
akki jain
mera bhola hai भण्डारी jo चलाए duniya sari महाकाल ki bhakti me मे bitau उम्र sari जप le jo nam bhole ka badal jaye uski दुनियां sari ©akki jain भोला भण्डारी #Sawankamahina
मनुस्मृति त्रिपाठी
अफ़सोस मुझें अफसोस तो कभी नहीं होगा कि मैं ने तुम्हें चुना क्योंकि मेरे बचपन के अरमानो का सरजात तुम जैसा ही था तुम्हारे जैसी सोच,तुम्हारे जैसा चरित्र और तुम सा ही पागल भोले नाथ पता है लोगो को विष्णु चाहिए ताकि स्वर्ग में रहने को मिले पर मुझे तो बचपन से ही भोलेनाथ चाहिए थे जो निर्जन कैलाश में मेरे साथ रहे नर्गिस बेनूरी खज़ा व्रत रहती थी विष्णु का पर दिल तो भोलेनाथ का दीवाना था नहीं ख्वाहिश थी स्वर्ग की कभी,मुझे तो अपने भोले भण्डारी के साथ पर्वतों पर जीवन बिताना
ShUbBi
shubbi latest poem on you tube https://youtu.be/cZrelKLLqK4 पंचायत चुनाव 2019 पर गढ़वाली कविता ।।माँ सुरकण्डा प्रोडक्शन की एक नई प्रस्तुति।। ।।भण्डी ख़ांण कु जोगी बणी छो ।।
Yudi Shah
कहिले निर्मला झै बलाकृतको सिकार भए त कहिले मुस्कान झै एसिडको प्रहारमा परे कहाँ गए त ति महिला तथा बाल विकास मञ्च, कहाँ गए त ति महिला, बालबालिका तथा समाज कल्याण मन्त्रालय कहाँ गए त ति कृषि, महिला तथा बालबालिका विकास केन्द्र, कहाँ गए त ति महिला तथा बालबालिका विभाग कहाँ गए त ति महिला विकास योजना द्दण्ज्ञढ, कहाँ गए त ति महिला तथा बालबालिका कार्यालय काठमाडौं, कहाँ गए त ति महिला बालबालिका तथा जेष्ठ नागरिक मन्त्री, कहाँ गए त ति महिला विकास कार्यक्रम निर्देशिका, कहाँ गए त ति महिला बालबालिका तथा जेष्ठ ज्येष्ठ नागरिक को परिभाषा नागरिक मन्त्रालय कार्याबिधि, कहाँ गए त ति महिला तथा बालबालिका सेवा केन्द्र आदि झै कहाँ गए तँ ति मञ्चहरु खै देखेन त मैले जब सवम् देशका महिला राष्ट्रपति हुन (विद्यादेवी भण्डारी० खै सुनेन त वहाँ को मुखबाट दुई चार शब्द पनि ति दुखका ति मननहरु... ©Yudi Shah कहिले निर्मला झै बलाकृतको सिकार भए त कहिले मुस्कान झै एसिडको प्रहारमा परे कहाँ गए त ति महिला तथा बाल विकास मञ्च, कहाँ गए त ति महिला, बालबालि
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- त्रिशूलधारी त्रिकालधारी , तुम्हें पूजती दुनिया सारी । तुमसे हार-जीत का नाता , कैसै हो संभव त्रिपुरारी ।। त्रिशूलधारी त्रिकालधारी .... तुम अजर अमर हो सन्यासी , तुम ही वह पर्वत कैलाशी । दुनिया तुमको यह जान रही ,तुम ही बसते हो नित काशी ।। पर भूल गया यह मानव है, तुमसा न यहाँ है उपकारी । त्रिशूलधारी त्रिकालधारी ... मैं निर्गुण एक उपासक हूँ , क्या जानू विधि पूजन का मैं । बस नाम तुम्हारा जिव्हा पर , इतना ही अब आराधक मैं ।। अब शरण लगा लो हे स्वामी,जब तुम ही हो कण-कण धारी । त्रिशूलधारी त्रिकालधारी ..... नैन बिछाये व्याकुल बैठा , आओ संग आज महतारी । दो हाथ हमारे खाली है , सेवा में तेरे भण्डारी ।। अब देर नही तुम नाथ करो , नन्दी की अब करो सवारी । त्रिशूलधारी त्रिकालधारी..... त्रिशूलधारी त्रिकालधारी , तुम्हें पूजती दुनिया सारी । तुमसे हार-जीत का नाता , कैसे हो संभव त्रिपुरारी ।। १५/०७/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- त्रिशूलधारी त्रिकालधारी , तुम्हें पूजती दुनिया सारी । तुमसे हार-जीत का नाता , कैसै हो संभव त्रिपुरारी ।। त्रिशूलधारी त्रिकालधारी ..
Divyanshu Pathak
समं पश्यन्हि सर्वत्र समवस्थितमीश्वरम्। न हिनस्त्यात्मनात्मानं ततो याति परां गतिम्।। (गी. अ.13,श्लोक-28) जो ईश्वर को सर्वव्यापक के रूप में मानते हैं वे मनुष्य मृत्यु पर विजय प्राप्त कर परम् गति को प्राप्त होते हैं। हम प्रकृति के उपासक हैं और उन्हें माता के रूप में देखते हैं।परमात्मा और प्रकृति के संयोग से जीवात्मा पृथ्वी पर आता है। प्रकृति प्रेम की एक अनूठी दास्ताँ "खेजड़ली" गाँव की है। जो राजस्थान के जोधपुर जिले से लगभग 25 किमी दूर है। भादों शुक्ल पक्ष दशमी हमारे लिए विशेष तिथि है इस दिन राजकीय अवकाश भी होता है। #भादोंमाह_शुक्लपक्ष_की_दशमी का दिन राजस्थान के इतिहास में विशेष स्थान रखता है। नर-नारी के शौर्य और बलिदानों के लिए जाने वाली इस पावन भूमि की