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संजय निराला
Alone धन्य हुआ देख जीवन , ये हमारे देश की संस्कार , गूंज उठा शंख ध्वनि , चहुंओर गूंज उठा , घंटियों तालियों की शोर हुंकार , देख कोरोना के जनक , ये हैं हमारे अखंडता का हुंकार , हम मानवता के रक्षक , कमर कस उतर चुके , दो दो हाथ करने को तुमसे आज ।🤔 धन्यवाद 🙏 जय हिन्द 🇮🇳 ______संजय निराला ✍️ हुंकार
Saurabh Raj Sauri
उत्तराखण्डी हुंकार Justice Justice बोली यख बैरा क़तई नि सुणदा अब चौकीदारू थै ऐना का पैथर की सचै बथौण ही पौड़ली आगी का मुच्छयाल सड़क्यू मा लेकि अब कुछ नि होंणु बैरी अर कुकर्मियों की कुड़्यू मां आग लगौण ही पौड़ली ©Saurabh Raj Sauri उत्तराखण्डी हुंकार #JusticeForAnkitaBhandari
Deepali Singh
प्रकृति की हुँकार कब से आस लगाये बैठी थी ये प्रकृति इसे भी मिल जाए सांस लेने की अनुमति धुआँ ही धुआँ दिखता था हर जगह और हो रहे थे ज़ुल्म इसपर बेवजह ढूंढ रही अपने अस्तित्व को जाने कब से, चुप बैठी थी गुमसुम सी इतने वर्षों से ठहरी थी जिंदगी बहुत दूर इससे पर ऐसी बर्बादी कतई ना थी मंज़ूर इसे, रहती थी खोई सी,खामोशियों मे सोई थी उन दूषित गर्म हवाओं में खुद को पिरोई भी काया से इसके लिपट कर वायु ने स्वच्छ शीतल चंचल उड़ान था भरा उन नर्म साँसों में, ठहरी ठंडी रातों में सरसराते इठलाते बहकते पत्तों में, धड़कते पत्थर के उन सहमे दरारों में छुकर अपने धरा के कर कण-कण को मस्ती में इतराते अपने हस्ती पे फ़िर उड़ता चला चुमने गगन को वो मतवाला मनचला बहता चला आज़ाद सोंच में झूमता उठता रहा फिर कैद हुआ कुछ के क्रूर गुरुर से और तड़प रहा गुब्बारों में तो सिलेंडर में सुकून सा देकर तेरे घुँटते फेफड़ों को जो जीवन दिया वो ये वायु ही तो जिताकर तुझे ऐसे जीवन जंग से लौटना है इन्हें उपवन जंगल में जो बनाता रहा दूरी कुदरत से क्या खोया है ज़रा पूछ खुद से प्रकृति के आगे हम मजबूर ठहरे इनकी नज़रों से कुछ भी नहीं परे प्रकृति को हमारी ज़रूरत नहीं पर हमें प्रकृति की ज़रूरत ज़रूर है यूँही नहीं प्रकृति को खुद पर गुरुर है तभी तो प्रकृति खुद मे मगरूर है ©Deepali Singh प्रकृति की हुंकार
Darlo the king 🦁🐯
हूंकार भरी मेरे दिल ने भी ईश्क के जज़्बात जगा बैठा जो कभी हो नहीं सकता था मेरा उसका ही नाम बता बैठ। मैने भी इसको कुछ यूं समझा डाला फांसला कितना गहरा है दोनों में ए इसको बता डाला। ये कहा सुने बाला था कोई मेरी बात ए ईश्क ही कुछ चीज ऎसी है दिल को कुछ और नहीं समजने देती जब तक ना पड़े इसे अपने ही लोगों से लात। ये फ़िर भी ना माना गलती पे गलती दोहराता रहा जब भी हो इसमें कोई हल चल फिर कुछ नए नाम बताता रहा इस पागल को क्या पता था जिसे करता रहा ईश्क वहीं इसे आजमाता रहा। फिर इसको भी समझ आने लगा जहां जिस और चला जा रहा है बो तेरा रास्ता नहीं छोड़ दे ईश्क करना इसे तेरा को वास्ता नहीं। फिर भी कहा माना मन की ये बात अब गमो में उसके बिताता है हर रात। ये दिल है साहब ये अपने आगे तो उस खुदा की भी नहीं सुनता और जिसको ना हो इसकी कद्र उसी को है चुनता । ..... ✍️ साधु बाबा दिल की हुंकार
vinay vishwasi
हुंकार भरें छात्र सकल,पीर अभी है। सरकार करे काम अगर,ठीक तभी है। अब झूठ नहीं बोल यहाँ, और चलेगा। ये मूर्ख न जनता कि सदा,दौर चलेगा। #बिहारी_छंद #हुंकार #विश्वासी
DANVEER SINGH DUNIYA
मुझे चुप ही रहने दो तो अच्छा रहेगा क्योंकि व्यंगों के स्थान पर मैं भी अब्बल हूं... ©DANVEER SINGH DUNIYA हुंकार हुकुम का...