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Ghanshyam Ratre
White आपके जुदाई में ऐसा लगता है जिंदगी विराना सा हो गया है। आपके यादों के गम में हमारे रातों की नींद दिन की चैन उड़ गया है।। ©Ghanshyam Ratre जुदाई के गम
जुदाई के गम
read moreLalit Saxena
हमने ख़ुद को ज़िंदा जलते देखा है रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है सांस-सांस पीर कसमसाती रहती मुर्दा सपने पांवपांव चलते देखा है उगते सूरज के जलवे देखे हर दिन उदास शाम को भी उतरते देखा है ख़्वाहिशें, सारे ही रंग उतार देती है उम्रदराज़ को भी, मचलते देखा है दरवाजे पर नहीं कोई दस्तक हुई हर सुब्ह उन्हें वैसे गुज़रते देखा है दिन बुरे हों, तो ये दरिया भी सूखे बुलंदियों को भी, बिखरते देखा है ©Lalit Saxena ग़ज़ल
ग़ज़ल
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
#poetryunplugged #ग़ज़ल 'दर्द भरी शायरी' Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) abhishek sharma RAVINANDAN Tiwari दुर्लभ "दर्शन" Rekha💕Sharma
read moreKulwant singh
हाथ में मेंहदी पांव महावार मांग सजाना कुमकुम को। उसके साथ तो पड़ेगा जाना जो घोड़ीचढ़ लेने आयेगा तुमको। रुखसत होकर तुम मुझसे साजन के घर जाओगी। पर मुझको तुम भूल ना जाना पाकर अपने प्रीतम को। ©Kulwant singh #रुखसत ए गम
#रुखसत ए गम
read moreParasram Arora
White आदमी की जिंदगी दरिया भी है सहरा भी है लेकिन कोहरा गम का दोनों पर बराबर गिरता है ©Parasram Arora गम का कोहरा
गम का कोहरा
read moreLalit Saxena
क़लाम -------- मुन्तज़िर सांसों का रूख़सते- वक़्त मुकर्रर हुआ है लगा है दरिचो पर परदे हया के दीदे- दुभर हुआ है --- बे - सम्त हवाओं ने फिर इस ओर रूख़ किया है खुशी से ये दिल फिर से आसमां के बराबर हुआ है --- न उठा निग़ाहें हम पर कुछ तो दर्मियां राज़ रहने दे दफ़्न है इन्हीं में हसरते-ख़्वाब जो उजागर हुआ है --- इक़ तेरे ही हिज़्र ने इस दिल को मज़रूह किया है वर्ना दुन्यां में ऐसा कुछ नहीं जो न मयस्सर हुआ है --- बड़ी मुक़द्दुस-निग़ाहो से देखा किया है शामो-सहर उन तल्ख़ निग़ाहों का क्या जो दिल पत्थर हुआ है --- जिस्म पे आ पड़ी जो ज़लालतो की बारिशें क्या हो मज़बूर ये खाना-बदौश इस दुन्यां में बे-घर हुआ है --- ' ललित'कौन आता है इस विरान में मेरा हाल पुछने सुना है की कभी इस ओर तेरा रह - गुज़र हुआ है ©Lalit Saxena #good_night 'दर्द भरी शायरी' 'दर्द भरी शायरी'
#good_night 'दर्द भरी शायरी' 'दर्द भरी शायरी'
read moredharmendra kumar yadav
White मज़ाक था या सच जाने क्या सोचकर आया था मेरा अज़ीज़ मुझको गिफ्ट में आईना लाया था वो आसूं सिर्फ आसूं नहीं बाग़ी भी हो सकते थे पर क्या शख्स रहा था वो जो फिर भी निभाया था जिससे ज्यादातर नाराज़ ही रहता रहा ये दिल उसको ही अपने बुरे दिनों में अपने साथ पाया था वो मेरी जान से जिक्र की है कि वो मेरी होती जो मुझे उन दिनों बर्बाद ओ बेकार बताया था ©dharmendra kumar yadav ग़ज़ल
ग़ज़ल
read moreBenZil (बैंज़िल)
White तिमिर को हाथ मलता छोड़ आया हूँ दिया इक घर में जलता छोड़ आया हूँ चला आया हूं घर से तन को बस लेकर वहीं मन को तड़पता छोड़ आया हूँ इसी उम्मीद में कल फिर से निकलेगा मै सूरज आज ढलता छोड़ आया हूँ हमारी आँख से लूटे गए तो क्या ? हजारों ख़्वाब पलता छोड़ आया हूँ सितारा मेरी क़िस्मत का भी चमकेगा मै इक जुगनू चमकता छोड़ आया हूँ यहाँ शबनम की बूंदे भी हैं तरसाती वहाँ सावन बरसता छोड़ आया हूँ जो जाता ही नही है गांव तक मेरे नगर का वो मै रस्ता छोड़ आया हूँ कहीं पथरा न जाएं उनकी वो आँखें मै जिनको राह तकता छोड़ आया हूँ नही आया अभी तक शेर ए मक्ता है ग़ज़ल उसको जो पढ़ता छोड़ आया हूँ ©BenZil (बैंज़िल) #ग़ज़ल शायरी हिंदी में शेरो शायरी शायरी 'दर्द भरी शायरी' हिंदी शायरी
#ग़ज़ल शायरी हिंदी में शेरो शायरी शायरी 'दर्द भरी शायरी' हिंदी शायरी
read moreHARSHIT369
White घर मे बैठे बैठे क्या करें चलो ब्रमांद कि सैर पर चलते है.. काम धाम तो कुछ है नहि हमारा मिलता हि नहि कहि से कुछ भी चलो आज रेत के दाने गिन लेते है ... बैठ जाते है यहि रेत के ढेर पर बिजनेश करने को पैसे कहां से आयेगे यहि सोचकर रोना आता है मुझे, कब तक ताकते रहेगे किसी दुसरे का मुंह चलो रेत को गीला करते है पानी डालकर..!! ©HARSHIT369 #गम भरी सायरी 'दर्द भरी शायरी'
#गम भरी सायरी 'दर्द भरी शायरी'
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