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DR. LAVKESH GANDHI
किसी व्यक्ति की सोच उसकी लेखनी से झलक ही जाती है चाहे वह प्रेम पत्र हो या फिर लेटर पैड ही क्यों ना हो ©DR. LAVKESH GANDHI गंदी सोच का लेटर पैड # लेटर पैड का शायराना अंदाज #
DR. LAVKESH GANDHI
लेटर पैड लेटर पैड को ही तुमने प्रेम पत्र बना डाला अपनी वासना को विभागीय पत्र बना डाला आजतक यह समझ में ही नहीं आया मुझको कि मैंने शेर पाला है या फिर गधा पाला है मुझे तो उसकी समझ पर भी तरस आता है कैसे वह अपने को होशियार समझता है वह बार-बार यही गलती कर बैठता है कि उसे लगता है कि मेरी बात कोई जानता ही नहीं उसकी यही नादानी उसे बेवकूफ बनाती है तभी तो वह विभागीय लेटर पैड पर प्रेम पत्र लिखता है और अंत में वह अपनी नादानी का हस्ताक्षर करता है लेटर पैड # गंदी सोच का लेटर पैड # #yqsoch #yqbdniyat # #yqbaba #yqdidi #
Writer1
बगल वाले भईया पड़ोसी दीदी पर थे लट्टू, स्कूल टाइम में, लेटर पैड पर दीदी को सुगंधित क़लम से पत्र लिख, इश्क़ फरमाते थे, मुझे चॉकलेट खिलाकर, शाम चुपके से, गिफ्ट देकर, दीदी के घर जाने को कहते हैं। धीरे-धीरे दबे पांव जाना मत पकड़े जाना, थोड़ा बहादुरी और समझ से काम लेना, वरना होगी बड़ी धुलाई और पिटाई , मेरी खातिर मार खा लेना पर भूले से मेरा नाम न लेना। जब पकड़ा जाए तो हंँस देना, जब दीदी के घर वालों ने पकड़ लिया, तो होठों पर आया हल्का सा मुस्कुराना, और मासूमियत से मैंने कह दिया मेरा मकसद था, सिर्फ दीदी और भैया को मिलवाना। कितनी हसीन होती है बचपन और लड़कपन की है यादें, बड़े होते हैं सिर्फ सिर्फ रह जाती है इन यादों की बुनियादें, आंखों में आंसू दे जाती है कुछ खट्टी मीठी सी यादें, हां उस वक्त मैं पोस्टमैन था पर मुझे खुशी से, हर पल खुल कर जीया है, और दीदी और भाई का आशीर्वाद लिया हैं। "ध्यान रहे कि यह कोई प्रतियोगिता नहीं है" दिए गए शब्द (दीदी, बगल वाले भईया, पड़ोसी, स्कूल टाइम, चॉकलेट, मार खाना, मुस्कुराना, मिलवाना, पकड़े
THE SUNSHINE BELIEVER
सुनो, मेरी उदासी तुम वो हो जो कभी मुझसे जुदा नहीं होना चाहती पर मैं क्या करूं मैं तुम्हें अपना कहना भी नहीं चाहता जहां देखता हूँ बस तुम ही नज़र आती हो, खामखा-बेवजह ही अक्सर चली आती हो, जब भी तुमको मुझ पर प्यार आता है तो मेरी हमराज बन जाती हो और जब तुम्हें गुस्सा आता है तो मेरी दुश्मन बन जाती हो... मगर सुनो ना, ए मेरी उदासी मेरी बातो का बुरा मत मानना तुम ही तो हो जो मुझे अकेला पा कर मुझे अकेला नहीं छोड़ती और दूसरो को ये एहसास दिलाती हो कि कोई अभी भी उनका इंतज़ार बड़ी शीदाद से कर रहा है और इन सब के लिए तुम्हारा शुक्रिया मेरी उदासी। -तुम्हारी दोस्त #december #लेटर - मेरी उदासी
Sanam shona
दरवाज़ा खोलते ही मुझे एक लेटर मिला और वो लेटर मेरे मकान मालिक ने भेजा था।उस लेटर में लिखा था कि जितना जल्दी हो सके कमरा खाली कर दो। हम अपना मकान अब बेच रहें हैं। और उस लेटर में ये भी लिखा था कि हमारे घर में जो भी टूटा फूटा है वो सबके भी पैसे लूंगा। मुझे पता है कि तुमलोग पैसा देने से मना नहीं करोगे क्यूंकि तुमने किराया हर महीने टाईम पर दिया। कभी भी लेट या कोई बहाना नहीं बनाया। बल्कि मैंने तुम्हें बहुत परेशान किया हर बार तुमलोगों को सुनाता रहा बेवजह और तुम सुनते रहे बेवजह। मकान मालिक ने ये भी लिखा था कि.. मैंने तुमलोगो से ज्यादा किराया लिया और बाकी किरायेदारों से कम लिया और ये बात तुमको बताने से मना भी कर दिया। जबकि वो लोग साफ़ सफ़ाई भी इतनी नहीं रखते हैं और उल्टा कुछ बोलो तो अक्कड़ भी दिखाते हैं। खैर जो हुआ सो हुआ पर अब मैं माफी मांगता हूं। हो सके तो मुझे माफ़ कर देना भाई थोड़ा तो इंसाफ़ कर देना। मकान मालिक ने ये भी कहा कि मैं ये सारी बातें घर आके भी बता सकता था पर थोड़ी शर्म आ रही थी और फोन का रिचार्ज भी खत्म हो गया था। एक बात और थोड़ा कंजूस भी हूं ज़िंदगी से थोड़ा मायूस भी हूं। खैर ये कहानी तो यही खत्म हुई पर एक बात बता दूं कि.. जो किराएदारों से कम पैसे लेने वाली बात है वो मुझे पहले से ही पता थी। मैने मकान मालिक को उनसे कहते हुए सुन लिया था। और वैसे भी हमें क्या उनका घर चाहे वो फ्री में दे उनकी मर्ज़ी 🥀😊 ©Sanam shona 📨☺️ #लेटर #कहानी
Kasim Khan Samar
कालापन यूँ ही नही आ जाता उसके लिए कोरी मेहनत करनी पड़ती है ©Kasim Khan Samar लाइफ ऐ लेटर #GaneshChaturthi