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Anuraag Anuj

बोतलों के दौर में ठंडाई ढूंढता हूँ.. यहाँ हर सू उजाला है मैं अपनी परछाई ढूंढता हूँ ~ अनुराग अनुज #Shayari #Pehlealfaaz

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#Pehlealfaaz बोतलों के दौर में 
ठंडाई ढूंढता हूँ..
यहाँ हर सू उजाला है 
मैं अपनी परछाई ढूंढता हूँ

~ अनुराग अनुज बोतलों के दौर में 
ठंडाई ढूंढता हूँ..
यहाँ हर सू उजाला है 
मैं अपनी परछाई ढूंढता हूँ

~ अनुराग अनुज

kavi shubham shrivastava

कर रहा हूं मैं तो इंतजार ,तेरे जवाब का बोतलों के बीच ढूंढता है जैसे ,कोई कतरा एक शराब का देख कर मुझे जो रास्ता बदल लेते थे कभी, मिलता भी न

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कर रहा हूं मैं तो इंतजार ,तेरे जवाब का 
बोतलों के बीच ढूंढता है जैसे ,कोई कतरा एक शराब का 
देख कर मुझे जो रास्ता बदल लेते थे कभी, मिलता भी न

सुसि ग़ाफ़िल

तुमको लगता है , इश्क की बेचैनियों से हम गुजरे नहीं है , आज भी हम वही बेफिक्रे हैं सुधरे नहीं हैं ! तुमको लगता है मैं बेदर्द हूं दर्द से गु

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तुमको लगता है ,
इश्क की बेचैनियों से हम गुजरे नहीं है ,
आज भी हम वही बेफिक्रे हैं सुधरे नहीं हैं !

तुमको लगता है 
मैं बेदर्द हूं दर्द से गुजरे नहीं हैं ,
आज भी हम वही पत्थर है सुधरे नहीं है !

तुमको लगता है
मैं खिलाड़ी हूं पर खेल से गुजरे नहीं है ,
आज भी हम खिलौनों से खेलते हैं सुधरे नहीं हैं!

तुमको लगता है 
मैं शराबी हूं पर मैं मयखानों से गुजरे नहीं हैं !
आज भी हम बोतलों के शौकीन हैं हम सुधरे नहीं हैं।

तुमको लगना चाहिए
हम सिगरेट के आदी हैं , 
पर इसको छोड़ने की लत से हम गुजरे नहीं है ,
हां हम सच में पीते हैं तेरी याद में अब भी सुधरे नहीं हैं! तुमको लगता है ,
इश्क की बेचैनियों से हम गुजरे नहीं है ,
आज भी हम वही बेफिक्रे हैं सुधरे नहीं हैं !

तुमको लगता है 
मैं बेदर्द हूं दर्द से गु

Naresh Chandra

केदारनाथ में लगभग पच्चीस हजार श्रद्धालु मर गये थे* तीन दिन चली इस भीषण तबाही में कांग्रेस की सरकार ने केदारनाथ में फंसे श्रद्धालु भक्तों की

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गतांक से आगे कृपया अवलोकन अवश्य करें
🙏🙏🙏

©Naresh Chandra केदारनाथ में लगभग पच्चीस हजार श्रद्धालु मर गये थे*
तीन दिन चली इस भीषण तबाही में कांग्रेस की सरकार ने केदारनाथ में फंसे श्रद्धालु भक्तों की

दीक्षा गुणवंत

सुकून भरी इस ज़िन्दगी में एक महामारी आई है, आज इस शहर में फ़िर से एक नई बिमारी आई है। लोगों से भरे रास्ते आज कुछ सुनसान से हैं, चका-चोंध होते

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सुकून भरी इस ज़िन्दगी में एक महामारी आई है,
आज इस शहर में फ़िर से एक नई बिमारी आई है।

लोगों से भरे रास्ते आज कुछ सुनसान से हैं,
चका-चोंध होते थे परिवार से जो आंगन, वो आज कुछ विरान से हैं।
कभी खुली हवा में साँस लेने को निकलना ज़रूरी सा लगता था,
आज उसी हवा से बचने को मुँह धकना मजबूरी सा लगता है।।

भरे रहते थे बाज़ार लोगों की ख्वाहिशों से कभी,
आज उन्ही लोगों से अस्पताल भरे हैं।
बिक रही है मौत खुले आम जहाँ 
आज के समय में हम ऐसी हवा में जी रहे हैं।। 

कभी शराब की बोतलों के लिए कतार में, 
तो आज बोतल में चंद साँसें पाने को भटक रहे हैं। 
क्या करवट ली है समय ने,
आज दो वक़्त की रोटी से ज़्यादा, दो पल की साँसों को तरस रहे हैं।। 

दूर नहीं वो दिन जब फ़िर से खुली हवा में घूमेंगे
चार दिवारों में नहीं, खुले आंगन में पुरानी खुशियाँ ढूढेंगे।
अपनो से आज कुछ दूर रहना मजबूरी है,
मजबूरी ही सही पर आज कुछ एह्तियाद ज़रूरी हैं।। 

क्योंकि.. 
सुकून भरी इस ज़िन्दगी में एक महामारी आई है,
आज इस शहर में फ़िर से एक नई बिमारी आई है।।
        
                         -लफ़्ज़-ए-आशना "पहाडी़" सुकून भरी इस ज़िन्दगी में एक महामारी आई है,
आज इस शहर में फ़िर से एक नई बिमारी आई है।

लोगों से भरे रास्ते आज कुछ सुनसान से हैं,
चका-चोंध होते

Naresh Chandra

मित्रों लाशों के व्यापारी आज कल बहस चल रही है किस सरकार ने आपदा समय में क्या किया तो मुझे 2013 की बाबा केदारनाथ धाम मे भीषण बादल फटने की घट

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कांग्रेसियों का आपदाओं मे योगदान कृपया कैप्शन मे पढ़े🙏

©Naresh Chandra मित्रों 
लाशों के व्यापारी
आज कल बहस चल रही है किस सरकार ने आपदा समय में क्या किया तो मुझे 2013 की बाबा केदारनाथ धाम मे भीषण बादल फटने की घट

Sunita Bishnolia

#दर्शन--धरती धोरां री हर वर्ष की भाँति इस बार भी 'शिक्षक दिवस' से पूर्व शैक्षणिक भ्रमण हेतु छात्रों को ऐतिहासिक स्थलों के दर्शन श्रृंखला में #कुछ #सुनीता #हाड़ी

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मैंने मेहनत करना सीखा, लड़ना सीख न पाई
जो मुझको मिलता मेहनत से  पाकर खुशी मनाई
जीवन के संघर्षों में ठोकर पग-पग पर मिलती है
सुख-सुविधाएँ होतीं क्या हैं मैं अब तक जान न पाई।
 #दर्शन--धरती धोरां री
हर वर्ष की भाँति इस बार भी 'शिक्षक दिवस' से पूर्व शैक्षणिक भ्रमण हेतु छात्रों को ऐतिहासिक स्थलों के दर्शन श्रृंखला में

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 13 - हृदय परिवर्तन 'मैडम! यह मेरा उपहार है - एक हिंसक डाकू का उपहार!' मैडम ने आगन्त

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
13 - हृदय परिवर्तन

'मैडम! यह मेरा उपहार है - एक हिंसक डाकू का उपहार!' मैडम ने आगन्त

Mayaank Modi

खाली बोतलों में सजाकर 
टूटे ख्वाब़ रखे है ।
पुरानी किताबों में छिपाकर
सूखे गुलाब रखे है ।
मत फुर्सत से आना तुम,
सवालों को लिये ।
इस बार भी हमने,
अधूरे, कई जवाब रखे है ।
 #फुर्सत #बोतलों #गुलाब #जवाब #yqhindi #yqdidi #yqbaba

Keshav pratap Kannaujia

#Motivational #Emotional तेरे हिस्से का पानी भी इन बोतलों में बंद हैं,,, #विचार

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