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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Mili Saha
चारू चंद्र की चंचल किरणें चारु चंँद्र की चंचल किरणें, स्वर्ण सी आभा निश्छल किरणें, शनै:-शनै: स्नेह स्पर्श कर वसुंधरा को, विस्तृत स्वरूप दर्शाती हैं ये स्वच्छंद किरणें। रात की चुनर से छन कर आती, तम में निखरती उज्जवल सी लगती, चहुँओर बिखेरकर स्वर्ण सी नर्म चांँदनी, कल-कल बहती सरिता के जल को है छूती। चंँद्र संग इठलाती और बलखाती, कभी शर्माती हुई वो मंद-मंद मुस्काती, स्याह अंँधेरी रात में देखकर चंँद्र की झलक, प्रीत रंग में रंग कर फूलों सी खिल-खिल जाती। कभी तरु कभी कुसुम का श्रृंगार, कभी बन ये रत्नगर्भा के गले का हार, पवन की ताल पर नृत्य मुद्रा में सुसज्जित, अपना संपूर्ण सौंदर्य यह प्रकृति में बिखेर देती। कभी ले जाए यह यादों के पार, कभी खोले है किसी के दिल का द्वार, देख चंचल किरणों की ये मनोरम चंचलता, चंद्र भी स्वप्न तरी में विराजित होकर करे विहार। लेखक के कलम की कहानी, कवियों के दिल से निकलती वाणी, चारु चंँद्र की चंचल किरणों की आगोश में, कभी कोई नज़्म तो कभी ग़ज़ल बनती सुहानी। किरणों से सजा धरा का कण-कण, देखकर ही आनंद विभोर हो जाता मन, अद्वितीय छटा झलकती चंद्र संग किरणों की, जिसे देखने को किसके व्याकुल नहीं होते नयन। ©Mili Saha चारू चंद्र की चंचल किरणें चारु चंँद्र की चंचल किरणें, स्वर्ण सी आभा निश्छल किरणें, शनै:-शनै: स्नेह स्पर्श कर वसुंधरा को,
Motivational indar jeet group
जीवन दर्शन 🌹 सबको प्रसन्नचित मुद्रा में देखना , व स्वयं भी प्रसन्न रहना ही ईश्वर की पुजा है !.i. j ©Motivational indar jeet guru #जीवन दर्शन 🌹 सबको प्रसन्नचित मुद्रा में देखना , व स्वयं भी प्रसन्न रहना ही ईश्वर की पुजा है !.i. j
Phool Singh
ध्यान मुद्रा स्वयं की खोज ही आत्मज्ञान कहलाती, सत्य का कराती बोध एक बिंदु पर ध्यान लगाओ तो जानों क्या झूठ-सच में भेद।। मीन की आँख बने केंद्र बिंदु जब, माया-छाया न टिकती देर अंकुर फूटता तब ज्ञान प्रकाश का निर्माण ब्रह्माण्ड का होता देख।। ज्ञान पाने के होते दो ही रास्ते, गुरू से या खुद से सीखते देख पर सच्चा ज्ञान तुम्हे खुद ही मिलेगा तेरी जो खुद से कराता भेट।। कट जाओगे तब जग-संसार से, जब स्वयं को अंतर्ध्यान में खोते देख प्रकाशित होगा तन-मन ज्ञान से तो पाओ विभिन्नता में सत्ता एक।। धुल जायेगा मैल दिल से, हृदय में दोष न रहेगा एक निर्मल-निश्छल जीवन होगा तब कष्ट न रहेगा एक।। कोई न वस्तु अप्राप्तय होगी, हर पल प्रशंसा-प्रसिद्धि में बढ़ोत्तरी देख जग जीवन से मन ऊब जायेगा स्वयं को तब ध्यान में डूबा देख।। ©Phool Singh ध्यान मुद्रा
Gaurav Verma
Ajay Amitabh Suman
Deepak verma
Deepak Prajapati
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर