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White दहलीज़ पर कविता" बहुत पछताए ,घर की लांघ के "दहलीज़"हम लड़कपन में, बड़ा भरोसा था जिनके वादे पे, मौसम की तरह रंग बदल गए कुछ दिन में। अनुजकुमार हेयय क्षत्रिय © # दहलीज़ पर कविता"
# दहलीज़ पर कविता"
read moreShailendra Anand
रचना दिनांक 25 जनवरी दोहजार पच्चीस वार शनिवार समय सुबह पांच बजे ््भावचित्र ् ््निज विचार ् ््शीर्षक ् ।््तेरी रुहानी रुह में अल्फाज़ नगीना लिखने वाले अच्छे ख्यालात की इबादत है,, संविधान में न्याय पाओ मर्यादा में रहो यही सही समय की मर्यादा और प्रतिष्ठा सौगात दी गई है।। राजनीति और धर्मांन्धता और अर्थ व्यवस्था में सुधार समरसता बहुत जरूरी है ्् पच्चीस जनवरी दोहजार पच्चीस अंक शास्त्र में 25बराबर25तारीख और साल में एक समान है। श्रुति स्मृति चिन्ह प्रदान देश में, अवाम में खुशहाली में एक विधान संविधान का आलेख सुलेखा की पूर्व संध्या पर , हम दिलों से पूजा करें जनसेवा ही मानव सेवा है जिसे हम गणतंत्र दिवस कहते हैं,।। माना कि तुम मेरे लिखे शब्दों से सहमति असहमति जताते हुए , जनस्वीकारोक्ति निस्वार्थ भाव को नहीं नकार सकते हो।। यही उत्तेजना यन्त्र तंत्र को मजबूत करने वाले, संविधान विशेषज्ञ दल में शामिल समन्वय समिति द्वारा स्थापित विचार संगोष्ठी में, आन्तरिक रूप से एक अन्तिरम निम्नांकित विषय वस्तु धारा नियमावली पर आपसी सहमति बहस में विचारों का आदान प्रदान करने वाली अग्नि परीक्षा स्वलेखक और सहयोगीयो में, एक सम निदान हेतु सेतुबंध में कुछ मन का अन्तर्द्वंद से सजाया गया जिसे हम अनुसरण करें अंनत आख्यान संहिता दर्शन शास्त्र ज्ञान दर्शन है।। । तथ्यों पर विचार प्रवाह में बह निकले ध्वनि तरंगों में एक गाढे खून पसीने की पीड़ा हो, किसी धनवान का आयना नज़रिया जो भी व्यक्ति पहले इन्सान नागरिक हैं ।। तदपश्यात प्रृथ्वीतले परिभ़मणं लोककल्याणं नरलीला में, जाति, धर्म, भाषा, सम्बन्धी कहावतें से पूजा करने वाले हो सकते है।। जो इन्सान आज अपने विचार व्यक्त आस्था प्रकट कर रहा है, वह उस समय की मर्यादा काल्पनिक दशा का आख्यान व्याख्यान कर रहा हूं। यह जग मग माया मोह ््मद से जलरंहा रहा है,, और यह सुखद अहसास दिया गया जिसे हम देश का संविधान कहते हैं।। यह आज का दर्शन मैं शैलेंद्र आनंद जो देख सकता हूं ,, वह अदभुत झलकियां हकीकत में रचती बसती है । दीप्ति नवल किशोर मेरे दिल में दीपक कलश स्वस्तिक कुंभ राशि में पच्चीस जनवरी दोहजार पच्चीस की सुबह स्वागत में ,, सुंदरता को परखना तन मन को निखारना स्वयं को पढ़कर अभ्यास से मन को लिखने वाले आत्ममंथन को आनंद कहते हैं।। ््कवि शैलेंद्र आनंद ् 25 जनवरी। 2025 ©Shailendra Anand देशभक्ति और देश संविधान में न्याय में देश में अवाम में खुशहाली आती है भक्ति भाव से पुजा करने वाले अच्छे लगते देश भक्ति में संनिहित है वि
देशभक्ति और देश संविधान में न्याय में देश में अवाम में खुशहाली आती है भक्ति भाव से पुजा करने वाले अच्छे लगते देश भक्ति में संनिहित है वि
read moreRamji Tiwari
Unsplash जय माँ शारदा विधा-सरसी छंद १६/११ पदान्त २१ भगवत गीता में मिलता है,सब ग्रंथों का सार। मानव जीवन की खातिर है,जीवन का आधार। जो गीता प्रतिदिन पढ़ते हैं, कभी न खाते खार। गीता ज्ञान बिन नहीं होगा, मानव का उद्धार।। स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari #Book #poem #छंद #कविता #भक्ति भक्ति भजन
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read moreRamji Tiwari
*महाकुंभ(२०२५)* प्रयागराज में लगा है लोगों का हुजूम। महाकुंभ की खुशी में लोग रहे सब झूम। पतित पावनी नदियों का पुनीत यह संगम, तीर्थराज प्रयाग परम पावन देव भूम।। दुनिया से लोग आते करने शाही स्नान। अमृत बूंद जहां गिरी यही वह पावन स्थान। सभी संत इस पुनीत अवसर पर आते हैं, संतों के अखाड़े हैं महाकुंभ की शान।। कई सदियों से यहाँ पर लगता है मेला। कुछ आते समूह में कोई सिर्फ अकेला। हर दिन लंगर चलते रहते सुबह शाम हैं, झोली भर घर जाते जेब न हो इक धेला।। गंगा यमुना सरस्वती का पवित्र संगम। त्रिवेणी नदियों का दृश्य है बहुत विहंगम। महाकुंभ अवसर पर देव धरा पर आते, शाही स्नान हेतु आता संतों का जंगम।। कुछ दर्शन को आते ,कुछ लेने गुरु दीक्षा। हर एक जन को मिलती यहाँ सनातन शिक्षा। भूखे को भोजन, प्यासे को पानी मिलता, कोई खाली न जाता सबको मिलती भिक्षा।। बारह -बारह से गुणा तब आता यह पर्व। सनातनी इस पर्व पर हमें बहुत है गर्व। पावन त्रिवेणी तट की महिमा बड़ी अपार, जिसकी गाथा गाते जन ,देव, मुनि, गन्धर्व।। स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari #महाकुंभ2025 #मुक्तक #कविता #भक्ति #संगीत भक्ति भजन
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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset *हरि नाम नहीं भजते हैं* इक मृगनयनी के चक्कर में पागल बनकर फिरते हैं महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं इक लड़की मोनालिसा जिसने सबका चैन चुराया माला बेचन वाली ने सब के ऊपर जादू चलाया कुंभ के सारे श्रद्धालु अब उसकी माला जपते हैं महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं इस सुन्दरी का महाकुंभ में हो रहा प्रचार- प्रसार मोनालिसा की ही खबरें छाप रहे सारे अखबार मोहित रुप के सम्मुख सारे धर्म- कर्म न लिखते हैं महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं जानें कैसा रोग लगा है? इन भक्त जनों के मन को छोड़कर त्रिवेणी पावन तट को पूज रहे बस तन को भजन कीर्तन छोड़ रुप के पीछे सारे चलते हैं महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं तन के पीछे पागल फिरते होते चरित्रवान नहीं जो नारी करे अनादर होता उसका सम्मान नहीं धर्म- कर्म के काम छोड़कर रुप ताक़ते रहते हैं महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं सालों की प्रतीक्षा के बाद यह शुभ अवसर आया है एक सुन्दरी के चक्कर में अपना समय गँवाया है हरि भक्ति को छोड़ सभी बस वीडियोग्राफी करते हैं महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं कुछ समय की यह तन सुन्दरता रुप काम न आएगा अन्त समय में बस संग दान, धर्म, कर्म ही जाएगा भक्ति भजन को छोड़ रुप के क्यों चक्कर में पड़ते हैं महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari #हरिनामनहींभजतेहैं #कविता #महाकुंभ२०२५ #भक्ति Hinduism
हरिनामनहींभजतेहैं कविता महाकुंभ२०२५ भक्ति Hinduism
read moreParasram Arora
New Year 2025 ये कैसी देश भक्तिहैँ. जो युदधो को उत्तेजित करती हैँ और तुच्छ वस्तुओं की प्राप्ति के लिए नरसंहार करती हैँ और जो इंसानियत का विनाश करती हैँ ©Parasram Arora देश भक्ति
देश भक्ति
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