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HARSH VARDHAN
घूम लिया सारा ज़हा पर मुझे कही ना अच्छा लगता हैं..।। लौट कर आया हुँ प्रयागराज हे गंगा मईया मुझे तेरी गोद मे सोना अच्छा लगता हैं..।। ✍️हर्षवर्धन💐 ©HARSH VARDHAN गंगा माँ
Anand Mishra
पथ का जो राही राह दिखाए, सबकी मंज़िल से नेह कराये, ऐसा दर्शन हृदय लगाऊं, क्यूँ?परि ये मन ध्यान लगाए! थी उत्कंठा निज साँसों की, कोई आकर मन को बहलाये, मन के अंदर की आंधी में भी, प्रेम का वो एक दिया जलाये! निश्चित ही अरि वेश- समाज की निज-द्वेष से सबको आंकी है, तन ही झूठा या झूठ ही तन है, ये कल्पित मन की झांकी है। आया हूँ तुमसे मिलने मैं, पर है समाधि की काया तय, मुझसे "मैं'को मिला दो ना! यदि 'मैं' ही अरि ,तो मिटा दो ना। ©Anand Mishra गंगा माँ🙏
Geeta Sharma
एक इबादत
देश में पापियों की तदाद बहुत अधिक हो गयी है गंगा उफान पर आयी उनके पाप धोने के लिए, लेकिन बेचारे जनता ही फंसे इसके भी जाल में बाकी पापी सब बैठे है सुरक्षित दिल्ली के दरबार में...!! #अरे कोविड़ के दौरान जो पाप किये है अपने पाप धो ले रे जाओ और वो गंगा माँ का बेटा कहां है उसे भी काशी ले जाना,बोलो गंगा माँ ने बुलाया है, क
✍ अमितेश निषाद
कुछ साल पहले इक नेता आया था खुद को गंगा माँ का बेटा बतलाया था गंगा माँ का बेटा हु कह -कह कर और न जाने क्या-क्या झुठलाया था जो था सच्चा बेटा उसने प्राण त्यागा है बेटा-बेटा कह कर माँ ने उसे बुलाया है माँ ने ये कह कर समझाया सब के सब झूठे है माँ माँ कह कर बेटा मुझ पर ही सब थूके है माफ नहीं करेगी जनता अगले सालो सालो तक एक बेटा चला गया सिकन न आई एक बेटा के माथे तक कुछ साल पहले इक नेता आया था खुद को गंगा माँ का बेटा बतलाया था गंगा माँ का बेटा हु कह -कह कर और न जाने क्या-क्या झुठलाया था जो था सच्चा बेट
गौरव दीक्षित(लव)
समूचा जिस्म जिनका द्रोहियों के पैर लेटा था, उड़ा कर खिल्लियां उन सबने ही मुद्दा समेटा था, वो केवल सीढ़ियाँ न थीं वो गंगा माँ का आँचल था, जो आँचल में था फिसला वो तो माँ गंगा का बेटा था। (कल कानपुर में गंगा घाट की सीढ़ियों पर मोदी जी के पैर फिसलने का मज़ाक उड़ाने वालो को दो टूक जवाब) गौरव दीक्षित ✍️✍️ (कल कानपुर में गंगा घाट की सीढ़ियों पर मोदी जी के पैर फिसलने का मज़ाक उड़ाने वालो को दो टूक जवाब) ---------------------------------------------
एक इबादत
कही हमसफ़र तो कही जीवनसाथी कही गुलाब तो कही अपनी लाडली कही बदमाश ,तो कही पागल लिखता हूँ प्रेम का अपने मैं नाम लिखता हूँ करके खुद को पूर्णतः उसका मैं स्वयं को अब आबाद लिखता हूँ निभाना हो तो निभाना उम्र भर प्यार को मेरे सारी ख्वाहि़श,सारे अरमां ,चाहत तेरी दिल में बेसुमार रखता हूँ झांक कर देखना कभी दिल में मेरे लग कर गले महसूस करना धड़कनों को सिर्फ़ तुम,सिर्फ तुम,बस तुम हर जगह कोई और नही बस सिर्फ कवि तुम मिलोगे मेरी जिंदगी हो तुम,मेरी दुनिया हो तुम और तेरे कदमों में ही खुद को निसार लिखता हूँ! मैं मराठा ,प्यार मेरा राजपूताना है पहचान खो चुका क्षत्रिय मैं,तुम अमर ,आबाद क्षत्राणी एक प्यार किया तुमसे बेइंतेहा सोचा एक अमर प्रीत कहान
Ankita Tripathi
सज गयीं दुकानें फ़िर से, हो हल्ला तमाम हो रहा लगता है एक दफ़ा फ़िर से वोटों का इन्तज़ाम हो रहा चौखट पे फ़िर से टिक रहा है हाथों को जोड़ कर कैसे ये तानाशाह नेता,फ़िर से जनता का ग़ुलाम हो रहा बस फ़िर से एक बार त्योहार आनें वाला है बोतलों में बंद करके वादे हजार लाने वाला है हाँ आपका प्रिय नेता वोट जो मांगने आनें वाला है😂😂😂 हर सरका
Ankita Tripathi
माँ तू आंचल में मुझको सुलाती रही आंखों में अपनी मुझको बसाती रही मेरे हिस्से का ग़म भी लिया तूने यूँ चाहे अनचाहे भी मुस्कुराती रही पूरी कविता अनुशीर्षक में माँ ❤ शायद पूरी कविता मेरे दिल की हर उस छोटी बात को कहने में सक्षम है जो हम तुमसे सामने से न कह पाएं 😍😍 माँ तुम्हें किसी एक दिन में बांध कर