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Dharma Bhardwaj
जो कहानी पड़ी मैंने,. वो तुम्हारी थी क्या?.. वो जो लिपट-लिपट कर मर गए इश्क़ में, उन्हें कोई बीमारी थी क्या?....!! तुम्हारा वजूद तो, अभी ज़िंदा है, उनकी खुदा पर, कोई उधारी थी क्या? उन्हें कोई बीमारी थी क्या?....!! इसमें वादे तो बहुत लिखें थे उन्होंने कि ना बिछड़ेंगे कभी, उनकी कोई अलग से तैयारी थी क्या?....!! रुख़सत हुआ मैं भी पड़ते पड़ते तुमसे, सच बताओ, तुम कोई हत्यारी थीं क्या?...!! ©Dharma Bhardwaj #हत्यारी💔
vikas agrawal
Nojoto नोजोटो है बिल्कुल मेरी बीवी की तरह__मेरी बीवी घर की रानी है, रानी नहीं बाबा पटरानी है। उसकी अलग कहानी है। आंख दिखाओ तो चिढ़ जाएगी। शॉपिंग करा दो तो खुश हो जाएगी। (नोजोटो और मेरी बीवी दोनों बहने हैं।) । ©vikash Agarwal बहन बहन, मौसी मौसी।। #WForWriters
hanif shaikh
दुध तो मेरा भी पीते हो पर सिर्फ गाय को ही माता कहते हो मुझे माँ नहीं पर कम से कम मौसी तो बुलाओ ©hanif shaikh मौसी
words of heart only for you
Maa मेरे दिल के करीब हो मेरी खुशियो की वजह हो बिन कहे सब समझती हो मां नही पर मां से कम भी नही हो ©Words of heart मौसी मां
Dr Ajay Padole
माँ की छवि मौसी में पिता प्रेम चाचा में बस समझ का फर्क है,, जिस बच्चे को मिले मौसी तुम जैसी उसे मिली माँ जैसी मौसी,, चिन्तु जैसे काका जिसके काका पापा दोनों एक जैसे,, @ *अजय पडोळे* @ 28/04/2020 माँ/मौसी
Sunil Kumar Maurya Bekhud
जाती हूँ सबके घर में मौसी हूँ सभी की लेनी न पड़ती मुझको इजाजत न कभी भी बच्चे बड़े सभी को प्यार मिलता है मेरा रिश्ता जुड़ा हुआ सभी के दिल का है मेरा आवाज मेरी कोई भी सुनता है कभी भी मुझको पसंद दूध मलाई है घरों की खाती हूँ शौक से मै किसी से न पूछती मुझसे न छुटती है ये आदत है कभी भी दिखती हूँ शेर जैसी डरपोक बहुत हूँ रखती मैं चूहे खाने का भी शौक बहुत हूँ मै छोडती कोई भी दावत न कभी भी ©Sunil Kumar Maurya Bekhud बिल्ली मौसी
R.b. Sharma
बिल्ली मौसी रोज हमारे घर चुपके से आती हैं। और दुधांड़ी के ढक्कन को पंजों से सरकाती हैं।।1 अम्मा घर के कामों में जब जाकर के लग जाती हैं। गरम-गरम वे दूध न पीतीं ठंडा चट कर जाती हैं। मछली,मुर्गा,ढूध-मलाई उनको खूब लुभाती है।।2 देख के उनकी भोली सूरत डरता छोटा भैया है अम्मा दौड़ो,अम्मा दौड़ो घर में घुसी बिलैया है।। डंडा लेकर अम्मा झपटे एक मार ना पाती हैं।।3 परेशान होके अम्मा ने बाँधा ऊंचा सींका है। फिर भी कोशिश करती रहतीं ढूंढें नया तरीका हैं। कई दिनों से देखा उनकी दाल नहीं गल पाती है।।4 ना जाने क्यों कुत्ते उनके जन्म-जन्म के बैरी हैं छत-छप्पर,दीवालें लांघे नयन मिलन की देरी है डर के मारे पागल सारे भूल पैंतरे जाती हैं।। बिल्ली मौसी (बाल कविता)