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Akhil Sharma
Dr.Vinay kumar Verma
दिनेश कुशभुवनपुरी
श्रीमद् शंकराचार्य द्वारा लिखित श्री गणेश गणपति स्तुति मुदा करात्त मोदकं सदा विमुक्ति साधकं कलाधराव तंसकं विलासि लोकरञ्जकम्। अनाय कैकनायकं विनाशिते भदैत्यकं नताशु भाशु नाशकं नमामि तं विनायकम् ।। १।। नते तराति भीकरं नवो दितार्क भास्वरं नमत् सुरारि निर्जकं नताधिका पदुद्धरम् । सुरेश्वरमं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ।। २।। समस्त लोकशंकरं निरस्त दैत्यकुञ्जरं दरे तरोदरं वरं वरेभ वक्त्रमक्षरम् । कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं नमस्करं नमस्कृतां नमस् करोमि भास्वरम् ।। ३।। अकिंच नार्ति मार्जनं चिरंत नोक्तिभाजनं पुरारि पूर्वनन्दनं सुरारि गर्व चर्वणम् । प्रपञ्च नाशभीषणं धनंजयादि भूषणं कपोल दानवारणं भजे पुराण वारणम् ।।४।। नितान्त कान्त दन्त कान्ति मन्त कान्त कात्मजम चिन्त्यरुप मन्तहीन मन्तराय कृन्तनम्। हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां तमेक दन्तमेव तं विचिन्त यामि संततम् ।। ५।। महागणेश पञ्चरत्न मादरेण योऽन्वहं प्रगायति प्रभातके हृदिस्मरन् गणेश्वरम् । अरोगताम दोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां समाहिता युरष्ट भूति मभ्युपैति सोऽचिरात् ।। ६।। ©दिनेश कुशभुवनपुरी #गणेश_स्तुति #शंकराचार्य #GaneshChaturthi Ritu Tyagi Subhash Chandra एक अजनबी Anjali Maurya पथिक.. singer shailesh Tripathi Mysterious G
खामोशी और दस्तक
केरला की सच्ची घटना ©खामोशी और दस्तक *केरला की सच्ची स्टोरी* *वीरांगना नगेली कौन??* वीरांगना नगेली *‼️जब हिन्दू धर्म में महिलाओं को स्तन ढकने का भी अधिकार नहीं था इसलिए स्त
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पाताल भुवनेश्वर गुफ़ा किसी आश्चर्य से कम नहीं है इस मंदिर के इतिहास के बारे में विस्तार से जाने !! 🔔 {Bolo Ji Radhey Radhey} पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर :- मान्यता है की यहां रखा है भगवान गणेश का कटा हुआ सिर:- 🎷 उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा भक्तों की आस्था का केंद्र है। यह गुफा विशालकाय पहाड़ी के करीब 90 फीट अंदर है। यह गुफा उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के प्रसिद्ध नगर अल्मोड़ा से शेराघाट होते हुए 160 किलोमीटर की दूरी तय कर पहाड़ी वादियों के बीच बसे सीमान्त कस्बे गंगोलीहाट में स्थित है। पाताल भुवनेश्वर गुफ़ा किसी आश्चर्य से कम नहीं है। यहां विराजित है गणेशजी का कटा मस्तक :- 🎷 हिंदू धर्म में भगवान गणेशजी को प्रथम पूज्य माना गया है। गणेशजी के जन्म के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव ने क्रोधवश गणेशजी का सिर धड़ से अलग कर दिया था, बाद में माता पार्वतीजी के कहने पर भगवान गणेश को हाथी का मस्तक लगाया गया था, लेकिन जो मस्तक शरीर से अलग किया गया, वह शिव ने इस गुफा में रख दिया। 🎷 पाताल भुवनेश्वर में गुफा में भगवान गणेश कटे शिलारूपी मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल सुशोभित है। इससे ब्रह्मकमल से पानी भगवान गणेश के शिलारूपी मस्तक पर दिव्य बूंद टपकती है। मुख्य बूंद आदिगणेश के मुख में गिरती हुई दिखाई देती है। मान्यता है कि यह ब्रह्मकमल भगवान शिव ने ही यहां स्थापित किया था। पत्थर बताता है कब होगा कलयुग का अंत :- 🎷 इस गुफाओं में चारों युगों के प्रतीक रूप में चार पत्थर स्थापित हैं। इनमें से एक पत्थर जिसे कलियुग का प्रतीक माना जाता है, वह धीरे-धीरे ऊपर उठ रहा है। माना जाता है कि जिस दिन यह कलियुग का प्रतीक पत्थर दीवार से टकरा जायेगा उस दिन कलियुग का अंत हो जाएगा। पौराणिक महत्व :- 🎷 स्कन्दपुराण में वर्णन है कि स्वयं महादेव शिव पाताल भुवनेश्वर में विराजमान रहते हैं और अन्य देवी देवता उनकी स्तुति करने यहाँ आते हैं। यह भी वर्णन है कि त्रेता युग में अयोध्या के सूर्यवंशी राजा ऋतुपर्ण जब एक जंगली हिरण का पीछा करते हुए इस गुफ़ा में प्रविष्ट हुए तो उन्होंने इस गुफ़ा के भीतर महादेव शिव सहित 33 कोटि देवताओं के साक्षात दर्शन किये। द्वापर युग में पाण्डवों ने यहां चौपड़ खेला और कलयुग में जगदगुरु आदि शंकराचार्य का 822 ई के आसपास इस गुफ़ा से साक्षात्कार हुआ तो उन्होंने यहां तांबे का एक शिवलिंग स्थापित किया क्या है इस गुफा मंदिर के अंदर? 🎷 इस मंदिर में प्रवेश करने से पहले मेजर समीर कटवाल के मेमोरियल से होकर गुजरना पड़ता है। कुछ दूर चलने के बाद एक ग्रिल गेट मिलता है जहां से पाताल भुवनेश्वर मंदिर की शुरुआत होती है। यह गुफा 90 फीट नीचे है जो बहुत ही पतले रास्ते से होकर इस मंदिर के अंदर घुसा जाता है। थोड़ा आगे चलने पर इस गुफा के चट्टान एक ऐसी कलाकृति बनाते हैं जो दिखने में 100 पैरों वाला ऐरावत हाथी लगता है। फिर से चट्टानों की कलाकृति देखने को मिलती है जो नागों के राजा अधिशेष को दर्शाते हैं। कहा जाता है कि अधिशेष ने अपने सिर के ऊपर पूरी दुनिया को संभाल कर रखा है। 🎷 पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर में चार द्वार हैं जो रणद्वार, पापद्वार, धर्मद्वार और मोक्षद्वार के नाम से जाने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि रावण की मृत्यु के बाद पापद्वार बंद हो गया था। इसके साथ कुरुक्षेत्र की लड़ाई के बाद रणद्वार को भी बंद कर दिया गया था। यहां से आगे चलने पर चमकीले पत्थर भगवान शिव जी के जटाओं को दर्शाते हैं। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान गणेश के कटे हुए सिर को स्थापित किया गया था। इतना ही नहीं इस मंदिर में प्रकृति द्वारा निर्मित और भी कलाकृति मौजूद हैं। कैसे पहुंचे पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर? 🎷 अगर आप रेलवे के रास्ते हैं यहां आना चाहते हैं तो आपके लिए सबसे करीब टनकपुर रेलवे स्टेशन पड़ेगा। आप चाहें तो काठगोदाम रेलवे स्टेशन से भी यहां सकते हैं। अगर आप एयरवेज के रास्ते से यहां आना चाहते हैं तो पंतनगर एयरपोर्ट यहां से 226 किलोमीटर दूर है। N S Yadav... ©N S Yadav GoldMine #boat पाताल भुवनेश्वर गुफ़ा किसी आश्चर्य से कम नहीं है इस मंदिर के इतिहास के बारे में विस्तार से जाने !! 🔔 {Bolo Ji Radhey Radhey} पाताल भ
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Vedantika
कहते है जिसे नगर कृष्ण का, आज रहस्य बना है। द्वारका तो है इस धरा पर, द्वारकाधीश कहाँ हैं? मानव मन के विश्वास में हुई हैं उसकी प्राण प्रतिष्ठा, न कोई भय रहा उसको कृष्ण करें जिसकी रक्षा। जबसे मानव जीवन का आरंभ हुआ है तबसे ईश्वर के प्रति आस्था और अनास्था को लेकर बहस का अस्तित्व भी उत्पन्न हो गया। यह एक ऐसा विवाद है जहाँ कितने
sanjana Bhardwaj
लेकर "गुरु" का नाम, करने होते काम शुरू हैं। प्रिय परिवारजनों को गुरु नानक जंयती की हार्दिक शुभकामनाएँ। गुरु पर्व के नाम से जाने जाने वाले इस पर्व को पूरे देश में बड़े ही उत्साह के साथ