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Divyanshu Pathak
मैं दादूजी का ज्ञान और पन्ना का बलिदान हूँ ! मैं राणा की रणनीति हूँ हार कभी नही मानूँगा मैं मीरा का प्रेम अनोखा विष अमृत कर डालूँगा मैं जौहर पद्मावत का ,है स्वाभिमान जीवन मेरा मैं मान और मर्यादा का अभिमान हूँ, हाँ मैं रंगीला राजस्थान हूँ । सुप्रभातम साथियो...😊 30-मार्च हमारे लिए विशेष महत्व की तारीख़ है । इसी दिन बर्ष 1949 में - जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय
Kumar Lalit
मरुधरा तुझ पर न्यौछावर मेरा सुख ओर चैन है प्रेम तेरे आँचल से मिट्टी में माँ की गोद सा दुलार है #राजस्थान-दिवस🙏 #NojotoQuote #राजस्थान #30मार्च #30march धरती धोरां री ! ईं नै मोत्यां थाल बधावां, ईं री धूल लिलाड़ लगावां, ईं रो मोटो भाग सरावां, धरती धोरां री !
Star Goyal
Ameesa(VARSHA )
कभी धरती हरी नीली दिखती थी । आज काले कोहरे से घिरी दिखती है । जो कभी मुस्कुराती थी आज । आज रोती है । जख्मो से भरी है , तो भी बच्चो का पेट भरती है । वाहरी धरती माता क्या कहु तुझे तु तो भारत की माताओ से माहन निकली है । AMEESA PATEL वाह री धरती माता
Ran parmar
"आ सावन धरती धोरा री" आ सावन धरती धोरा री अरे आ सावन धरती राजस्थानी उमड़ घुमड़ कर चले बादल भई चारों दिशा गगन अंधेर काले काले बादल घोर घटाएं छाई रिमझिम रिमझिम बरसे काले बादल चेक महक पंछियों की होने लगी मधुर सुराग कोयल सुनाएं रिमझिम रिमझिम टपके पानी ऐसा नाच दिखाएं मोर पपाया भर आते ताल तलैया खुश हो जाती धरती मम्मा छाई छतरी हरी भरी हरियाली अगन गगन उमड़े रण के आस चलती पहाड़ों पर ठंडी पवन पत्ते पत्ते छोड़ मुरझाई देख आसमां चलते पहाड़ों में खल खल झरने कल-कल करती बहती नदियां जब उठ लाते आते सावन खुश हो जाती धरती मम्मा आ सावन धरती धोरा री अरे आ सावन धरती राजस्थानी By poet - Ran parmar आ सावन धरती धोरा री