Find the Latest Status about अंधेरे netflix from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, अंधेरे netflix.
- Arun Aarya
बेख़ौफ़ थे पहले हम , अब रहते हैं डरे से ! रौशनी की चाहत में इश्क़ कर बैठें अंधेरे से..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #Health #अंधेरे से
Sandeep Kumar
Unsplash खुद को सहारा दो, वक्त लगेगा मगर, इस अंधेरे से मिलेगा रौशनी का सफर। हर टूटी चीज़ मुकम्मल हो सकती है, बस, उसे फिर से छूने की हिम्मत करनी है। ©Sandeep Kumar #खुद को सहारा दो, वक्त लगेगा मगर, इस अंधेरे से मिलेगा रौशनी का सफर। हर टूटी चीज़ मुकम्मल हो सकती है, बस, उसे फिर से छूने की हिम्मत करनी है।
#खुद को सहारा दो, वक्त लगेगा मगर, इस अंधेरे से मिलेगा रौशनी का सफर। हर टूटी चीज़ मुकम्मल हो सकती है, बस, उसे फिर से छूने की हिम्मत करनी है।
read moreSarfaraj idrishi
Night sms quotes messages in hindi सुनो हीरों को परखना है तो अंधेरे का इंतज़ार करें धूप मे तो कांच के टुकड़े भी चमकते हैं ©Sarfaraj idrishi हीरों को परखना है तो अंधेरे का इंतज़ार करें धूप मे तो कांच के टुकड़े भी चमकते हैं Islam Sarfraz Ahmad udass Afzal khan Sethi Ji बाबा ब्रा
हीरों को परखना है तो अंधेरे का इंतज़ार करें धूप मे तो कांच के टुकड़े भी चमकते हैं Islam Sarfraz Ahmad udass Afzal khan Sethi Ji बाबा ब्रा
read moreSarvesh kumar kashyap
नवनीत ठाकुर
दिन थे जब ख्वाबों को सिर्फ आँखों में पलते थे, अब हकीकत में मिले तो कुछ अधूरी सी लगती है। मुफलिसी की रातें थीं जैसे स्याह अंधेरे, अब ये रौशनी भी कुछ धुंधली सी लगती है। कभी जो जुदा हो गईं थीं तमन्नाएँ ए नवनीत, अब वो पूरी हुईं तो कुछ अधुरी सी लगती है। मंज़िल तक पहुँचने की ख़ुशी भी अब ग़म के साए में, अब ये बहार भी कुछ कटीली सी लगती है। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर दिन थे जब ख्वाबों को सिर्फ आँखों में पलते थे, अब हकीकत में मिले तो कुछ अधूरी सी लगती है। मुफलिसी की रातें थीं जैसे स्याह अंधेर
#नवनीतठाकुर दिन थे जब ख्वाबों को सिर्फ आँखों में पलते थे, अब हकीकत में मिले तो कुछ अधूरी सी लगती है। मुफलिसी की रातें थीं जैसे स्याह अंधेर
read moreनवनीत ठाकुर
मंज़िल न दे सके जो सुकूँ सफ़र को 'नवनीत', तो राह की गर्द से एक नई दास्ताँ लिख दीजिए। जहाँ तक भी चली हो मंज़िल की तलाश, उस रास्ते की हर धूल से अपनी आवाज़ कह दीजिए। ग़म और दर्द अगर न मिले राहत का निशाँ, तो हर एक क़दम से अपनी दुआ बना दीजिए। मंज़िल नहीं मिली तो क्या, सफ़र तो है, राहों की धूल से ही खुद को पहचान दीजिए। रोशनी मिलेगी अंधेरे के हर कोने से, वक़्त की चुप्प को अपनी हसरतों से सजा दीजिए। हमसफ़र नहीं तो क्या, इरादे हैं आसमान जैसे, हर घड़ी की राह को अपने ख्वाबों से बना दीजिए। कभी अगर ठोकरें लगे, तो उन्हें दिल से लगा लीजिए, वहीं छुपा है वो राज़, जो आपको मजबूत बना दीजिए। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर मंज़िल न दे सके जो सुकूँ सफ़र को 'नवनीत', तो राह की गर्द से एक नई दास्ताँ लिख दीजिए। जहाँ तक भी चली हो मंज़िल की तलाश, उस रास्
#नवनीतठाकुर मंज़िल न दे सके जो सुकूँ सफ़र को 'नवनीत', तो राह की गर्द से एक नई दास्ताँ लिख दीजिए। जहाँ तक भी चली हो मंज़िल की तलाश, उस रास्
read more