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Stories related to कुमकुम भाग्य मालिका

Parul Sharma

सुबह का सत्कार और 
शाम का इंतजार 
यूं  हर दिन के ललाट पर
कुमकुम सजता है

©Parul Sharma # goodmorning #सुप्रभातम #ललाट #इंतजार #सत्कार   #कुमकुम  #शाम  #सुबह

संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

चिलमन=पर्दे ख़लिश=शिकायत राफ़्ता= संबंधित दरमियां ए साहिल= मझधा, मुकद्दर(भाग्य) स्वलिखित गज़ल शीर्षक समंदर आंखों का विधा गज़ल भाव वास्त

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N S Yadav GoldMine

#sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} याद रखना भगवान हमारा भाग्य नही लिखता, हमारी सोच-समझ, हमारे कर्म, हमारा आचरण, हमारे बोल, हमारे आध्यात्मिक

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White {Bolo Ji Radhey Radhey}
याद रखना भगवान हमारा भाग्य
नही लिखता, हमारी सोच-समझ,
हमारे कर्म, हमारा आचरण, हमारे
बोल, हमारे आध्यात्मिक चिंतन से
हमारा भाग्य और भाग्य के फल
का निर्माण होता है।।
जय श्री राधेकृष्ण जी।।

©N S Yadav GoldMine #sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey}
याद रखना भगवान हमारा भाग्य
नही लिखता, हमारी सोच-समझ,
हमारे कर्म, हमारा आचरण, हमारे
बोल, हमारे आध्यात्मिक

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर वो नहीं जो भाग्य को दोष दें, हम वो जो खुद से अपनी राहें चुनते हैं। ग़म के साए में भी हम मुस्कान सजा लेते हैं, मुसीबतों के दरवाज

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" वो नहीं जो भाग्य को दोष दें, हम वो 
जो खुद से अपनी राहें चुनते हैं।
ग़म के साए में भी हम मुस्कान सजा लेते हैं,
मुसीबतों के दरवाज़े को भी खुद खोला करते हैं।
हम वो हैं, जो हालात को नहीं, अपनी ताकत को बदलते हैं।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर वो नहीं जो भाग्य को दोष दें, हम वो 
जो खुद से अपनी राहें चुनते हैं।
ग़म के साए में भी हम मुस्कान सजा लेते हैं,
मुसीबतों के दरवाज

gudiya

#love_shayari nojotophoto #nojotohindi #nojotoenglish वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती प

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White वह तोड़ती पत्थर;
 देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर -
वह तोड़ती पत्थर 
कोई ना छायादार 
पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार ;
श्याम तन, भर बंधा यौवन,
 नत नयन ,प्रिय-  कर्म -रत मन,
 गुरु हथोड़ा हाथ ,
करती बार-बार प्रहार ;- 
सामने तरु -मालिका अट्टालिका ,प्राकार ।

चढ़ रही थी धूप;
 गर्मियों के दिन 
दिवा का तमतमाता रूप; उठी झुंझलाते हुए लू 

रूई - ज्यों जलती हुई भू
गर्द   चिनगी छा गई,
 प्राय: हुई दुपहर :- 
वह तोड़ती पत्थर !
देखे देखा मुझे तो एक बार 
उस भवन की ओर देखा,  छिन्नतार;
 देखकर कोई नहीं,
 देखा मुझे इस दृष्टि से 
जो मार खा गई रोई नहीं,
 सजा सहज सीतार ,
सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार;
 एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर,
ढोलक माथे से गिरे  सीकर, लीन होते कर्म में फिर जो कहा -
मैं तोड़ती पत्थर 
                'मैं तोड़ती पत्थर।'
- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

©gudiya #love_shayari 
#Nojoto #nojotophoto #nojotoquote #nojotohindi #nojotoenglish 
वह तोड़ती पत्थर;
 देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर -
वह तोड़ती प

संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक तरु की दुराशा विधा निजी विचार भाव वास्तविक भवन्तः जानन्ति यत् भवन्तः दोषैः परिपूर्णाः स

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Mukesh Poonia

#good_night भूमि और भाग्य का एक ही स्वभाव है जो भी बोया है, वो निकालना तय है। नये अच्छे विचार शुभ विचार आज का विचार अनमोल विचार बेस्ट सुविचा

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White भूमि और भाग्य का एक ही स्वभाव है
जो भी बोया है, वो निकालना तय है।















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©Mukesh Poonia #good_night भूमि और भाग्य का एक ही स्वभाव है जो भी बोया है, वो निकालना तय है। नये अच्छे विचार शुभ विचार आज का विचार अनमोल विचार बेस्ट सुविचा
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