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सानू
कुछ वक़्त चला था जो वो मौसम अपना था, जो कुछ भी है ये है बाक़ी सब सपना था, अब उम्र बची जितनी नीलाम करानी है, ज़िन्दगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है। संतोष कुमार आनंद जी को समर्पित एक बंध.... #yqdidi #yqhindi
Vicky Kumar Anand
मैं बोला- तू जा कैसे सकती है ! बिल मैंने भरा तो मैं देश दुनिया में अनसुने कहानी, मोटिवेशनल बाते ,समाज सुधारक संगीत,हँसने हँसाने वाले चुटकुले और शायरी लेकर आता हूँ , हा मैं #विक्की_कुमार_आनंद कहलाता हूँ! हा ी विक्की कुमार आनंद कहलाता हूँ #love #nojotohindi #sad #lovequotes #shayari #motivational #jokes #vickykumaranand Satyaprem Internet Jock
Shivakant Pandey
समंदर का कोई किनारा हो जाऊंगा मोहब्बत मे मै भी आवारा हो जाऊंगा. अभी मोम हूं तो जीभर जला लो मुझे एक दिन मै भी ...शरारा हो जाऊंगा। शिवाकान्त पांडेय आनंद ही आनंद है
SB Shivam Mishra
मुश्किल से, जरा देर को सोती हैं लड़कियाँ, जब भी किसी के प्यार में होती हैं लड़कियाँ. पापा को कोई रंज न हो, बस ये सोंचकर अपनी हयात ग़म में डुबोती हैं लड़कियाँ. फूलों की तरह खुशबू बिखेरें सुबह से शाम किस्मत भी गुलों सी लिए होती हैं लड़कियाँ. उनमें...किसी मशीन में, इतना ही फर्क है, सूने में बड़े जोर से, रोती हैं लड़कियाँ. Shivam Mishra टुकड़ों में बांटकर कभी, खुद को निहारिये फिर कहिये, किसी की नही होती हैं लड़कियाँ. फूलों का हार हो, कभी बाँहों का हार हो धागे की जगह खुद को पिरोती हैं लड़कियाँ ‘आनंद’ अगर अपने तजुर्बे की कहे तो फौलाद हैं, फौलाद ही होती हैं लड़कियाँ. 📝 आनंद कुमार द्विवेदी #LookingDeep 📝 आनंद कुमार द्विवेदी wordsof_shadow Suman Zaniyan V@ishali Srivastava SwaTripathi Suhani Tiwari
CHANDAN KUMAR
चन्दन कुमार पंडित की कलम से✍️✍️ आनंद मोहन सिंह का जेल से निकलते ही बिहार की राजनीतिक सियासत कुछ इस प्रकार गरमा गई है कि हर जगह सिर्फ इसकी ही चर्चा हो रही है। लोग अपनी गरीबी, बेरोजगारी को भूलकर इसी पर विश्लेषक की भांति डिबेट कर रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि आनंद मोहन बाबू अच्छे आदमी हैं वही कुछ और लोगों का कहना है कि यह ठीक इसके विपरीत हैं यानी वे माफिया, डॉन, हत्यारा व अपराधी हैं। हालांकि इन सबके बीच सबसे बड़ी बात यह आ रही है कि आनंद मोहन की रिहाई के बाद, लोगों का न्यायिक व्यवस्था से विश्वास उठ चुका है । कई लोगों का कहना है कि भारत का कानून व्यवस्था अंधा हो चुका है तथा न्यायिक व्यवस्था बहरा व गूंगा बन चुका है। कुछ लोगों का कहना यह भी है की अब भारत का न्यायिक व्यवस्था व कानून सम्मत व्यवस्था राजनीतिक दलों के हाथों में आ गया है । न्यायपालिका अब कठपुतली बन राजनीतिक दलों के हाथों में जाकर बैठ चुकी है और उनके ही इशारों पर नाचती है व चलती है। लोगों का न्यायिक व्यवस्था पर इस प्रकार का सवाल जवाब करना, मेरे अनुसार उचित है। क्योंकि न्यायपालिका के द्वारा कानून सम्मत जिसे अपराधिक होने पर आजीवन कारावास की सजा मिली वह आज रिहाई हो रहा है और उनके रिहाई होने पर बिहार के कुछ खेमे में खुशी की लहर सी दौड़ आई है। और ये बात सिर्फ आनंद मोहन सिंह के लिए नहीं की जा रही है बल्कि आनंद मोहन जैसे ना जाने कितने और अपराधी हैं ,जो समय से पहले ही रिहाई हो जाते हैं तथा जिसका न्यायिक फैसला ही बदल दिया जाता है। अब सवाल यह उठता है की न्यायालय द्वारा कानून सम्मत सजा मिल जाने के बाद न्यायपालिका पर ऐसी कौन सी ऊपरी ताकत हावी हो जाती है जो न्यायिक सजा को कम कर देती है!! तथा न्यायिक सजा को निष्कासित कर देती है!!! क्या ये ऊपरी ताकत सिर्फ अपराधियों के लिए ही है ? या पैसे वालों के लिए ही है ? राजनीतिक तालुकात रखने वाले लोगों के लिए ही है ? या आम आदमी के लिए ? गरीबों के लिए ? मजदूरों के लिए? निर्दोष के लिए भी है ? यह सवाल उठता है ???????? अब सबसे अंतिम व महत्वपूर्ण बात:- बिहार के चौक-चौराहों ,पान की दुकानों, चाय की टपरीयाँ, फेसबुक, व्हाट्सएप ,ट्वीटर , इंस्टाग्राम पर जो यह राजनीतिक बहसा-बहसी, गरमा -गरमी, तर्क- वितर्क चल रहा है वह दरअसल इन दो व्यक्तियों का मसला था। आनंद मोहन शिवहर से पूर्व लोकसभा सांसद तथा गोपालगंज के पूर्व DM स्वर्गीय जी कृष्णैया इनके बारे में विशेष चर्चा तो मैं यहां नहीं करूंगा। आप इनके बारे में गूगल- यूट्यूब से पता कर सकते हैं। हालाँकि महत्वपूर्ण बात यहां पर यह है कि जब एक रिपोर्टर हैदराबाद जाकर जी कृष्णैया की पत्नी व बेटी से सवाल पूछता है तो उनका जवाब निम्नलिखित है। प्रश्न :-आप बिहार को भूल पाइयेगा? जवाब :-नहीं और ना ही बिहार कभी 'जी कृष्णैया' को भूल पाएगा। 30 वर्ष बीत चुके हैं अभी तक बिहार को नहीं भूल पायी हूँ। प्रश्न:- बिहार कभी आइएगा ? जवाब:- नहीं आना चाहती हूँ। क्या करूंगी आकर प्रश्न :-बिहार को लेकर आपके मन में क्या छवि है ? जवाब :- मुझे बिहार visit करने का दो-तीन बार मौका मिला था लेकिन मैं कभी गयी नहीं ।हर बार मना कर दिया और शायद कभी जाऊंगी ही नहीं। !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! आप सब अपनी प्रतिक्रिया कमेंट बॉक्स में जाकर जरूर दें। ©CHANDAN KUMAR बिहार की राजनीती का उठा- पटक #आनंद मोहन सिंह #नितीश कुमार #तेजस्वी यादव #जी कृष्णैया
Umed kumar
ईस पृथ्वी पर हर ईंसान "आनंद " की तलाश मे है! चाहे उसे पता हो या ना हो! - उमेद आनंद
Parasram Arora
यदि मुझे कविता लिखने की शक्ति और अलिखित कविता क़े आनंदमे से किसी एक को चुनने का मौका मिले तो निसंदेह मैं आनंद लेना अधिक पसंद करूंगा क्यों कि यह कविता से बेहतर है पर मेरे सभी मित्र और संबंधी इस बात पर सहमत हैँ कि मै अच्छी वस्तु को छोड़ कर बुरी वस्तु पसंद करता हूँ ©Parasram Arora आनंद.....
pandit bhudev shankhdhar
हम जो भी चीज चाहें अपने भीतर पैदा कर सकते हैं आनंद या दुख , डर या प्रेम , चिंता या परमानंद ©pandit bhudev shankhdhar # आनंद