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Neetu
Ravendra
Ravendra
Ravendra
Mahi Raj
Shreya Tripathi
जब एक बच्चें का जन्म होने वाला होता है तब एक स्त्री तमाम उलझनों, परेशानियों, उतार-चढ़ाव के साथ एक बच्चे को जन्म देती है । जिसमें रिवाजो के हिसाब से घर के लोगों को उसके द्वारा कुछ दिया जाता है। असल मामले में लेने की हकदार तो स्वयं वो स्त्री होती है ,जो मुश्किलों से बच्चे को जन्म देती है। पूरे 9 महीनें के समय मे असहनीय दर्द,उल्टियां,गुस्सा,चिड़चिड़ापन,मूड स्विंग,दवाइयां और जाने क्या क्या समस्याएं वो सहती है। फिर एक बच्चे का जन्म होता है। बच्चे के जन्म समय कहते है 20 हड्डियां एक साथ टूटने इतना दर्द होता है। मानव शरीर 45 डेल (यूनिट) तक दर्द सह सकता है जबकि बच्चे को जन्म देते वक्त मां को 57 डेल (यूनिट) तक का दर्द होता है. यह दर्द इतना अधिक है जैसे किसी व्यक्ति की 20 हड़्डियां एक साथ टूट रही हों”. मगर फिर भी उस बहु को ना कोई गिफ्ट मिलता है ना ही सम्मान हर घर की लगभग यही कहानी है... रही बात बेटी और बेटे की तो दोनों के जन्म में शायद एक से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है दर्द एक सा ही होता है फिर भी भेद-भाव किया जाता है ... समाज को चाहिए कि जिसने बच्चे को जन्म दिया दुनिया मे लाई उस माँ को उपहार स्वरूप कुछ भेट करे, क्योंकि वो आपके वंश को आगे बढ़ा रही है आपको सुखद अनुभव कराती है। एक पति को चाहिए कि अपनी पत्नी को स्वमं कोई उपहार दे क्योंकि उसनें उसके परिवार को पूरा किआ है उसका इतना हक तो बनता है परम्पराएँ तो सिर्फ एक रूढ़िवादी सोच है जो पीढ़ियों दर पीढ़ियों से सिर्फ एक दूसरे द्वारा निभाई (ढोई) जा रही वो भी बिना मन के या बिना सहमति के। शायद यह बिचार गलत लगे मेरा मग़र यह बिचार केवल मेरे अकेले का नही है मुझ जैसी न जाने कितनी लड़कियों के दिमाग मे यही बात आती है मगर वो कहती नही बाकी सहमति-असहमति वो लोगो के ऊपर निर्भर करता है समाज ना ऐसे खुश है ना वैसे🙏 Shreya Tripathi ©Shreya Tripathi #sagun #रश्मों_रिवाज जब एक बच्चें का जन्म होने वाला होता है तब एक स्त्री तमाम उलझनों, परेशानियों, उतार-चढ़ाव के साथ एक बच्चे को जन्म देती
Ravendra
Kulbhushan Arora
मेरे जीवन की सबसे यादगार दिवाली थी 1981 वाली दिवाली, उसी साल जनवरी में उषा के भाई प्रेम का एक्सीडेंट हुआ था, प्रेम मेरे दूर की एक बुआ का बेट
Kulbhushan Arora
मेरे जीवन की सबसे यादगार दिवाली थी 1981 वाली दिवाली, उसी साल जनवरी में उषा के भाई प्रेम का एक्सीडेंट हुआ था, प्रेम मेरे दूर की एक बुआ का बेट
Kulbhushan Arora
इंदु...मीताऔर मैं मेरे जीवन की सर्वश्रेष्ठ राखी रक्षाबंधन....वर्ष 2002 इंदु... मीता और मैं अब बीमारी ना तो कोई दिन देखती है, ना समय न त्यौहार। मुंह उठाए कभी भी चली आती है, मीता की तबियत बि