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ध्रुव
White अब कहाँ खिलते हैं फूल चाहत के, हम वही हैं जो मैफिल छोड़ आये हैं l ©ध्रुव #Sad_Status #छोड़ आये हैं
#Sad_Status #छोड़ आये हैं #शायरी
read moreAshuAkela
White वो ख्वाब जो रात में आये मगर हाथ न आये, तुम रात ख्वाब में आये मगर साथ न आये, होकर जज्बाती सफर पर निकल तो आये, अब जो हूँ तन्हाई तुम्हारे साथ बिताए वक़्त याद आये ये फल फूल पत्ते सब मौसम के साथ आये, बहारें आईं सावन भादों लिए बरसात आये तुम बिन ये कैसी अमावस बारह मासी, चांद तारे आए मगर नजर एक बार न आए ©AshuAkela #sad_quotes #hindi_poetry वो ख्वाब जो रात में आये मगर हाथ न आये, तुम रात ख्वाब में आये मगर साथ न आये, होकर जज्बाती सफर पर निकल तो आये,
#sad_quotes #hindi_poetry वो ख्वाब जो रात में आये मगर हाथ न आये, तुम रात ख्वाब में आये मगर साथ न आये, होकर जज्बाती सफर पर निकल तो आये, #वीडियो
read moreGhumnam Gautam
White क़दम बाद में रक्खें पहले निज कदमों के निशाँ रखें आग अगर होना है तो पहले ख़ुद में धुआँ रखें बाक़ी सब तो ठीक है लेकिन केवल एक ही उलझन है― आँखों में यदि तुम्हें रखें तो नीद और सपने कहाँ रखें? ©Ghumnam Gautam #sad_shayari #कहाँ #ghumnamgautam
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read moreNilam Agarwalla
White जाएँ तो जाएँ कहाँ, नहीं कहीं भी ठौर। कोई नहिं अपना यहां, है स्वार्थ का दौर।। जाएँ तो जाएँ कहाँ, सीधे सच्चे लोग। शैतानों के बीच रह, कष्ट रहे हैं भोग।। जाएँ तो जाएं कहाँ, लेकर मन की बात। कड़वी होती है बड़ी, सीधी सच्ची बात।। धीरज होना चाहिए, बदलेंगे हालात। जाएँ तो जाएँ कहां, सब देते आघात।। जाएँ तो जाएँ कहाँ, अपने घर को छोड़। रूठ गये हमसे सभी,चल रहे मुंह मोड़।। बैठे हैं चुपचाप हम, आई किसकी याद। जाएँ तो जाएँ कहाँ, सुने कौन फरियाद।। स्वरचित -निलम अग्रवाला, खड़गपुर ©Nilam Agarwalla #जाएँ तो जाएँ कहाँ
Arun kumar
White वैसे तो कहने को अपना ये सारा जहाँ है .. मै ढूंढता फिरता हूँ हर जगह कोई तो बता दे मेरा ठिकाना कहाँ है ... ©Arun kumar #alone_sad_shayri मेरा ठिकाना कहाँ है
#alone_sad_shayri मेरा ठिकाना कहाँ है #Life
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल :- धरा को फिर नई दुल्हन बनाने मेघ आये हैं । दफ़्न जो बीज थे अंदर उगाने मेघ आये हैं ।। खुशी से झूमता हलधर मुरादें हो गई पूरी । फसल को आज मेरी जो हँसाने मेघ आये हैं ।। किसानों के हमीं साथी बने संसार में देखो । यही तो बात है जो अब जताने मेघ आये हैं ।। कहीं सूखा कहीं गीला प्रकृति के प्रेम पर निर्भर । बनाओ मत हमें बैरी बताने मेघ आये हैं ।। तपन से सूर्य की देखो धरा जब भी हुई प्यासी । सुना है प्यास को उसकी बुझाने मेघ आये हैं ।। भले इंसान थे कल तक मगर शैतान हैं अब तो । उन्हें इंसान अब फिर से बनाने मेघ आये हैं ।। वरुण जी भी हुए क्रोधित तुम्हारी आज हरकत से । सँभल जाओ प्रखर अब तुम सिखाने मेघ आये हैं ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- धरा को फिर नई दुल्हन बनाने मेघ आये हैं । दफ़्न जो बीज थे अंदर उगाने मेघ आये हैं ।। खुशी से झूमता हलधर मुरादें हो गई पूरी । फसल को आज
ग़ज़ल :- धरा को फिर नई दुल्हन बनाने मेघ आये हैं । दफ़्न जो बीज थे अंदर उगाने मेघ आये हैं ।। खुशी से झूमता हलधर मुरादें हो गई पूरी । फसल को आज #शायरी
read moreRameshkumar Mehra Mehra
White पत्थर दिल समझ लिया.................... मुझे............! उसको कहाँ पता.......!! पत्थरों से नादियां बहती है...... ©Rameshkumar Mehra Mehra # पत्थर दिल समझ लिया,मुझे,उसको कहाँ पता,पत्थरों से नादियां बहती है......
# पत्थर दिल समझ लिया,मुझे,उसको कहाँ पता,पत्थरों से नादियां बहती है...... #Quotes
read moreRavindra Singh
White कहाँ तलाशूँ में सुकून… कहाँ तलाशूँ में सुकून , सुकून की तलाश में कभी-कभी, मैं अपना रुख़ जंगलों की ओर मोड़ देता हूँ । कभी-कभी दौड़ पड़ता हूँ , अकेला किसी ख़ाली सुनसान रोड पर , मोह कुछ पल के लिए जब , मैं इस संसार से तोड़ देता हूँ । मुझे प्रकृति से प्यार हो गया है जैसे , मुझे संगीत से लगाव हो गया है जैसे, मुझे तालाबों, पोखरों , के पास बैठना अच्छा लगने लगा है । जब देखता हूँ लोगों के दोहरे स्वभाव को , एक में प्यार , दूसरे में ईर्ष्या का भाव को , मुझे ख़ुद से प्यार करने के सिवा , नहीं लोगों का साथ सच्चा लगने लगा है । मैं नहीं करता बहस लोगों से अब, वो जैसा सोचे मेरे बारे में, मैं वैसा उनकी सोच पर उन्हें छोड़ देता हूँ । कहाँ तलाशूँ में सुकून , सुकून की तलाश में कभी-कभी, मैं अपना रुख़ जंगलों की ओर मोड़ देता हूँ । ©Ravindra Singh कहाँ तलाशूँ में सुकून… #sad_shayari
कहाँ तलाशूँ में सुकून… #sad_shayari #Poetry
read moreNandita Tanuja