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Divyanjli Verma
New Year 2024-25 जिन व्यक्तियों के आसपास या घर में अत्यधिक मात्रा में नकारात्मक ऊर्जा और आसुरी शक्तियां होती है उस व्यक्ति के आसपास के लोग जो भी बात बोलते है या कार्य करते है तो तन, मन, धन से उस कार्य या बात का उद्देश्य उस व्यक्ति को या दूसरों को नीचा दिखाना या अपमानित करना होता है। उस घर के सदस्य भी यदि कोई कार्य करते है या कोई बात कहते है तो तन, मन, धन से उनका उद्देश्य आपस में एक दूसरे को नीचा दिखाना और अपमानित करना होता है। ऐसे घर में हमेशा बाहरी लोगों द्वारा फूट डालने का कार्य किया जाता है और बहुत जल्दी सफल भी हो जाता है। घर के सदस्य आपस में ही एक दूसरे से जलते रहते है। एक दूसरे पर दोषारोपण करते रहते है। ऐसे व्यक्ति के जीवन में और घर के सदस्यों में मानसिक अशांति, कलेश, डर, भय, शंका, घर का तनाव पूर्ण माहौल, चिंता, कभी न खत्म होने वाली बहस, आपसी मनमुटाव हमेशा बना रहता है। व्यक्ति इन सब में उलझ के रह जाता है। पूरा जीवन उसका व्यर्थ बर्बाद हो जाता है। ऐसी नकारात्मक ऊर्जा और आसुरी शक्तियों से छुटकारा पाने के लिए रोज सुंदरकांड, भगवद्गीता और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। ©Divyanjli Verma #NewYear2024-25 जिन व्यक्तियों के आसपास या घर में अत्यधिक मात्रा में नकारात्मक ऊर्जा और आसुरी शक्तियां होती है उस व्यक्ति के आसपास के लोग
#Newyear2024-25 जिन व्यक्तियों के आसपास या घर में अत्यधिक मात्रा में नकारात्मक ऊर्जा और आसुरी शक्तियां होती है उस व्यक्ति के आसपास के लोग
read morebrar saab
White सीखना उद्देश्यपूर्ण है अर्थात् इसके अभाव में व्यक्ति नहीं सीख सकता। सीखना अनुभवों का संगठन है। सीखना नवीन कार्य करना है। सीखना खोज करना है, मर्सेल के अनुरूप, "सीखना उस बात को खोजने व जानने का कार्य है, जिसे एक व्यक्ति खोजना एवं जानना चाहता है।" ©brar saab #sad_quotes #सीखना उद्देश्यपूर्ण है अर्थात् इसके अभाव में व्यक्ति नहीं सीख सकता। #सीखना अनुभवों का संगठन है। सीखना #नवीन कार्य करना है। स
#sad_quotes #सीखना उद्देश्यपूर्ण है अर्थात् इसके अभाव में व्यक्ति नहीं सीख सकता। #सीखना अनुभवों का संगठन है। सीखना #नवीन कार्य करना है। स
read moreIndian Kanoon In Hindi
न्यायपालिका की विशेषताएँ :- * स्वतंत्र न्यायपालिका :- भारत एक प्रजातंत्रात्मक देश है. प्रजातंत्रात्मक देश में स्वतंत्र न्यायपालिका का होना आवश्यक है. भारत की न्यायपालिका, व्यवस्थापिका और कार्यपालिका के प्रभाव से पूर्णतया स्वतंत्र है. यह जरुर है कि न्यायधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा की जाती है पर एक बार निर्वाचित होने के बाद न्यायाधीश बिना महाभियोग लगाए अपने पद से हटाये नहीं जा सकते. उनके कार्यकाल में उनका वेतन भी कम नहीं किया जा सकता और इस प्रकार वे व्यवस्थापिका एवं कार्यपालिका के प्रभाव से पूर्णतया मुक्त रहते हैं * संगठित न्यायपालिका :- भारत की न्यायपालिका अत्यंत सुगठित है. ऊपर से लेकर नीचे तक के न्यायलाय एक दूसरे से पूर्णतया सम्बंधित हैं. अमेरिका में न्यायपालिका के दो पृथक अंग हैं अर्थात् वहाँ न्यायालयों की दोहरी व्यवस्था के दर्शन होते हैं. अमेरिका में संघीय कानून लागू करने के लिए संघीय न्यायालय होते हैं और राज्यों के कानूनों को लागू करने के लिए राज्यों के अलग न्यायालय होते हैं और उसके नीचे अन्य प्रादेशिक एवं जिला न्यायलाय भी होते हैं. संघीय न्यायालयों में चोटी पर एक सर्वोच्च न्यायालय होता है और उसके नीचे अन्य प्रादेशिक एवं जिला न्यायालय भी होते हैं. * दो प्रकार के न्यायालय :- भारतीय न्याय-व्यवस्था की एक अन्य विशेषता यह है कि यहाँ विभिन्न प्रकार के न्यायालयों के अलग-अलग दर्शन नहीं होते. यहाँ प्रमुख रूप से दो प्रकार के न्यायालय हैं – दीवानी और फौजदारी इसके अतिरिक्त भूमि-कर से सम्बंधित मामलों के लिए रेवेन्यू कोर्ट्स की व्यवस्था अवश्य ही अलग की गई है. पर कुछ अन्य देशों की तरह भारत में विशिष्ट न्यायालयों; जैसे सैनिक, तलाक, वसीयत से सम्बंधित न्यायालयों आदि का अभाव है. * न्यायपालिका की सर्वोच्चता :- भारत में व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका सभी का अपना अलग-अलग महत्त्व है परन्तु कुछ क्षेत्रों में न्यायपालिका अन्य दो की अपेक्षा विशिष्ट महत्त्व रखता है. भारत में संविधान को ही सर्वोपरि माना गया है. संविधान के उल्लंघन का अधिकार किसी को भी नहीं है. यहाँ की न्यायपालिका ही संविधान की संरक्षक है. न्यायालय व्यवस्थापिका द्वारा पारित किए गए किसी भी क़ानून को संविधान विरोधी कहकर अवैध कर सकते हैं. इस प्रकार व्यवस्थापिका और कार्यपालिका न्यायपालिका की इच्छा के विरुद्ध कोई भी कार्य नहीं कर सकती ©Indian Kanoon In Hindi न्यायपालिका की विशेषताएँ :-
न्यायपालिका की विशेषताएँ :-
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White लोगों के फरेबी चेहरे देख कर, जज़्बातों से रिस रहा हूँ , दिल और दिमाग की इस रस्साकशी में, मैं पिस रहा हूँ ...!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha लोगों के
लोगों के
read moreहिमांशु Kulshreshtha
Unsplash कर के मोहब्बत भरपूर तुमसे .. हिस्से में सिर्फ तेरी बेरुखी के हक़दार हुए .. ख़बर भी ना लगी कब दिल खो गया कब तेरी चाहतों के शिद्दत से तलबगार हुए .. ©हिमांशु Kulshreshtha कर के..
कर के..
read moreVs Nagerkoti
White जिंदगी में सबसे अधिक शत्रु किसी बुरे इंसान के कभी होते ही नहीं बल्कि सबसे अधिक गुप्त शत्रु एक नेक इंसान के ही ज्यादा होते है। ऐसा इस लिए भी है क्योंकि एक अच्छा इंसान गलत होता देख नही सकता ना ही वो गलत चीजों मै कभी योगदान देता है। और ये भी कड़वा सत्य है। सही मार्ग पर उतनी इज्जत और उतनी शोहरत है ही कहां आज 100 मैं से 25 %लोग इसके लिए किसी भी हद तक गिर जाते है। जहां 35% लोग अपनी नौकरी से गुजारा कर लेते है 40% लोग काफी मेहनत करके सिर्फ अपनी दिनचर्या निभाते हैं । ©Vs Nagerkoti #sad_shayari सच से कड़वा शायद ही आज कुछ हो,,, आज अपना कार्य सिद्ध करने के लिए चरित्र हीन इन्सान की भी तारीफ़ की जाती है,,, इसके दोषी हम
#sad_shayari सच से कड़वा शायद ही आज कुछ हो,,, आज अपना कार्य सिद्ध करने के लिए चरित्र हीन इन्सान की भी तारीफ़ की जाती है,,, इसके दोषी हम
read moreGhanshyam Ratre
जंगल उपवन के छेड़छाड़ पेड़ -पौधों की कटाई कर रहें हैं। वन्य प्राणी पशु-पक्षियों का जीवन संकटों से प्रभावित हो रहें हैं।। जंगल में रहने वाले पशु-पक्षियां गांवों- शहरों में आ रहें हैं। खेती-बाड़ी फसल को उजाड़ कर बर्बाद कर रहे हैं।। ©Ghanshyam Ratre जंगलों के पशुओं पक्षियों के जीवन
जंगलों के पशुओं पक्षियों के जीवन
read moreIndian Kanoon In Hindi
न्यायपालिका की विशेषताएँ :- * स्वतंत्र न्यायपालिका :- भारत एक प्रजातंत्रात्मक देश है. प्रजातंत्रात्मक देश में स्वतंत्र न्यायपालिका का होना आवश्यक है. भारत की न्यायपालिका, व्यवस्थापिका और कार्यपालिका के प्रभाव से पूर्णतया स्वतंत्र है. यह जरुर है कि न्यायधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा की जाती है पर एक बार निर्वाचित होने के बाद न्यायाधीश बिना महाभियोग लगाए अपने पद से हटाये नहीं जा सकते. उनके कार्यकाल में उनका वेतन भी कम नहीं किया जा सकता और इस प्रकार वे व्यवस्थापिका एवं कार्यपालिका के प्रभाव से पूर्णतया मुक्त रहते हैं * संगठित न्यायपालिका :- भारत की न्यायपालिका अत्यंत सुगठित है. ऊपर से लेकर नीचे तक के न्यायलाय एक दूसरे से पूर्णतया सम्बंधित हैं. अमेरिका में न्यायपालिका के दो पृथक अंग हैं अर्थात् वहाँ न्यायालयों की दोहरी व्यवस्था के दर्शन होते हैं. अमेरिका में संघीय कानून लागू करने के लिए संघीय न्यायालय होते हैं और राज्यों के कानूनों को लागू करने के लिए राज्यों के अलग न्यायालय होते हैं और उसके नीचे अन्य प्रादेशिक एवं जिला न्यायलाय भी होते हैं. संघीय न्यायालयों में चोटी पर एक सर्वोच्च न्यायालय होता है और उसके नीचे अन्य प्रादेशिक एवं जिला न्यायालय भी होते हैं. * दो प्रकार के न्यायालय :- भारतीय न्याय-व्यवस्था की एक अन्य विशेषता यह है कि यहाँ विभिन्न प्रकार के न्यायालयों के अलग-अलग दर्शन नहीं होते. यहाँ प्रमुख रूप से दो प्रकार के न्यायालय हैं – दीवानी और फौजदारी इसके अतिरिक्त भूमि-कर से सम्बंधित मामलों के लिए रेवेन्यू कोर्ट्स की व्यवस्था अवश्य ही अलग की गई है. पर कुछ अन्य देशों की तरह भारत में विशिष्ट न्यायालयों; जैसे सैनिक, तलाक, वसीयत से सम्बंधित न्यायालयों आदि का अभाव है. * न्यायपालिका की सर्वोच्चता :- भारत में व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका सभी का अपना अलग-अलग महत्त्व है परन्तु कुछ क्षेत्रों में न्यायपालिका अन्य दो की अपेक्षा विशिष्ट महत्त्व रखता है. भारत में संविधान को ही सर्वोपरि माना गया है. संविधान के उल्लंघन का अधिकार किसी को भी नहीं है. यहाँ की न्यायपालिका ही संविधान की संरक्षक है. न्यायालय व्यवस्थापिका द्वारा पारित किए गए किसी भी क़ानून को संविधान विरोधी कहकर अवैध कर सकते हैं. इस प्रकार व्यवस्थापिका और कार्यपालिका न्यायपालिका की इच्छा के विरुद्ध कोई भी कार्य नहीं कर सकती ©Indian Kanoon In Hindi न्यायपालिका की विशेषताएँ :-
न्यायपालिका की विशेषताएँ :-
read moreF M POETRY
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset समंदर के किनारे आ के अक्सर बैठ जाता हूँ.. सुना है दिल के दर्द-ओ-ग़म समंदर सोख लेता है.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #समंदर के किनारे आ के अक्सर..
#समंदर के किनारे आ के अक्सर..
read moreJitendra Giri Hindu
White "कृतेऽस्मिन् कर्मण्येव सदा कुरु उत्साहम्। अश्रुपातं न कुरु श्रृंगारे, क्षणिकं निस्वासम्॥" ©Jitendra Giri Hindu अर्थात्: "किसी भी कार्य में सदैव उत्साह के साथ लगे रहो। आँसू मत बहाओ, क्योंकि यह क्षणिक होता है।" यह श्लोक हमें सिखाता है कि जो भी कार्य हम
अर्थात्: "किसी भी कार्य में सदैव उत्साह के साथ लगे रहो। आँसू मत बहाओ, क्योंकि यह क्षणिक होता है।" यह श्लोक हमें सिखाता है कि जो भी कार्य हम
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