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Aman khan
सुनो एक काम है तुम से मेरा वो काम कर दो ना परी बन जाओ तुम मेरी, मुझे गुलफाम कर दो ना अदावत आदमी तो क्या मिटा देती है नसलोँ को अगर समझो,तो पैग़ाम-ए-मोहब्बत आम कर दो ना 🌹🌹🌹🌹 अमन खान
Aman khan
ज़िन्दगी के सवालों का जबाब ढूढता हूँ, दर्द को कम कर सके वो शराब ढूढता हूँ, वक्त के हाथों मजबूर एक शख्स हूँ मैं, जो जीने का दे बहाना वो किताब ढूढता हूँ। अमन खान अमन खान
Aman khan
काश कोई मिले इस तरह के फिर जुद़ा ना हो वो समझे मेरे मिज़ाज़ को औऱ कभी खफ़ा ना हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, अमन खान #nojotonrws
कवि अमन कुमार शर्मा
।। प्रेम की एक कविता बिना शीर्षक के।। तेरी दीवानगी भी इन दिनों मेरे दुश्मनों के साथ चलने लगी है। मै नहीं कहता ये शहर कहते हैं की तू भी मेरी तरक्की से जलने लगी है। परवाह कहा था तेरे दीदार तक, आश्रू तो बहते है मेरे आज तक। निकाल देंगे तुम्हे भी इन शहरों से जरा ये भी याद रखना । मै कातिल न सही , पागल ही समझ कर याद रखना। भूल मत जाना किन्हीं रहो में, मै याद आऊंगा तुझे पगडंडी के रहो में। याद है न मेरा दिया या भूल गई तुम। मैंने आज तक आपना दिया वचन भी न तोरा। तू मुझे देश भक्ति सिखाती है। पगडंडी के रहो पर चलना सिखाती हैं। भूल जाना मेरी आदत नहीं हम तेरी क़दमों की आहट भी याद रखते है। लोग कहते है मै पलट कर देखता था, अरे भूल गई तुम्हीं तो मेरी गलियों से निकलती थी । सोक अब भी शेष है, तस्वीर बनाने को । तू पास आती तो है, प्यार झूठा ही सही दिल लगती तो है। हालात बिगड़े हुए हैं मेरे शहर के, जरा तेज चलो। मुरतो की कोई परछाई नहीं होती, इस दिल में तू न होती कोई और न होती। छोटी सी कविता प्रेम के नाम कवि अमन कुमार शर्मा पढ़े चलो बढ़े चलो शिक्षा अभियान भारत राष्ट्रीय महासचिव दूरभाष नंबर 6200288770 अमन
Gautam_Anand
अद्भुत भाव हृदय का जो मैं व्यक्त नहीं कर पाया हर्षित था आह्लादित था जब तू गोद में मेरी आया लाखों सपने अरमां लाखों फिर भी भावशून्य हो बैठा गोद में लेकर अपना बचपन क्या बोलूं कुछ समझ न पाया नन्ही नन्ही ऊँगली से तूने जब मेरी ऊँगली पकड़ी तारों सी चंचल अंखियों से तूने मुझसे सौ बातें कर ली फूलों कि पंखुड़ियों सी कोमल अधरों से तू मुस्काया पिता - पुत्र के रिश्तों का तूने मुझको एहसास कराया #अमन
Aman abdur Raheem
उसकी ये भी ख्वाहिश पूरी कर दी मैंने लो हो गई नफरत तुमसे अमन अब्दुर रहीम अमन
Aman Deep Pandey
कोशिश है कि तुझे चांद मिले नर्म नाजुक गुलाब मिले ये अमन क्या दुआ देगा तुझे सलामत रहे, बड़ों का आशीर्वाद मिले अमन
अमन रज़ा
गजल इश्क़ो वफ़ा की जबसे यहाँ रौशनी नहीं। चेहरों पे देख लीजे किसी के हँसी नहीं। कैसे मनेगी ईद दिवाली यहाँ पे अब, दिल में किसी के दोस्तो कोई ख़ुशी नहीं। उल्फ़त के बोल सुनने को बेताब हूँ बहुत, मिलती किसी ज़बाँ पे यहाँ चाशनी नहीं। इक दूजे पे जो जान लुटाते थे प्यार में, आपस में आज उनमें कोई दोस्ती नहीं। दिल कह रहा है आज सियासत को देखकर, बहरूपियों की मुल्क में कोई कमी नहीं। जब भी लिखूंगा सच ही लिखूँगा ऐ दोस्तो, इसके सिवा करूँगा (अमन) शाइरी नहीं। अमन
Shadab Javed
ये तो उर्दू ज़बां का जादू है कोई बोले तो गुफ़्तगू महके अमन बलरामपुरी अमन