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Anamika Nautiyal
मुझे हमेशा से बहुत दूर जाना है । जब भी मूड खराब हो जाता है, और अपने ही लोगों के साथ रहना मुश्किल होने लगता है, तब मैं भाग जाना चाहती हूँ । त
Poonam Suyal
कश्मीर - एक यात्रा वृतांत (अनुशीर्षक में पढ़ें) कश्मीर - एक यात्रा वृतांत करूँ मैं इक दिन कश्मीर की सैर मन में एक चाह थी मेरी बनाया परिवार जनों ने कार्यक्रम वो तमन्ना होने को थी पूरी
AB
सम्पूर्ण जगत में भ्रमण करने के पश्चात भी आत्मिक सुख की अनुभूति कहां,? निःसंदेह ही होती जब वापिस अपने घर लौटते होंगे वह,! फिर प्रश्न यह है कि जब आत्मिक सुख तुम्हें घर पर ही मिलना है तो फिर यह भ्रमण क्यूँ,? मै
अशेष_शून्य
"शून्य प्रेम की अनंत यात्रा" -Anjali Rai (अनुशीर्षक में .......) तुम्हारी आंखों में तैरता मेरा अक्स हमेशा वर्णित करता है कि तुम मैं ही तो हूं कितना कुछ बयां करती हैं तुम्हारी ये छोटी सी दोनों "आंखे" जै
AB
" हाँ कुछ -कुछ ऐसा भी " ( अनुशीर्षक ) तुम्हें पता है 12 वीं में मैंने हिंदी ली थी अपने मैन सब्जेक्ट्स के साथ ऑप्शन में मैथ्स और कंप्यूटर साइंन्स था, पर मुझे कोई इंटरस्ट ना था ज
Prasoon
Prasoon
VISHAL SONI
यूँ तो में केवल गंतव्य तक पहुंचने का साधन मात्र हूँ, किसी को कहीं आना हो या कहीं जाना हो वो मुझमे सवार हो जाता है और अपनी मंजिल पर मुझे छोड़ जाता है, और मैं फिर अपने सफर पर चल देती हूँ, न जाने कितने लोगों के लिए में रोजमर्रा की जिंदगी हूँ ,न जाने में कितने लोगों की खुशियों में और कितने लोगों के गमो को देखती हूँ, हाँ ,मेरा जीवन दो लोहे की सतत ठहरी हुई पाटों के बीच जो जकड़ी हुई एक दूसरे से एक निश्चित दूरी पर के ऊपर निरंतर अबाध गति से चलते हुए आगे बढ़ता रहता है, मैं हर क्षण तटस्थ हूँ , हर क्षण साक्षी हूँ । हाँ , मैं लोहपथ गामिनी हूँ। मैं ना पथ से भटकती हूँ , न मैं अपनी मंजिल से पहले ठहरती हूँ, निरन्तर चलना ही कर्म है मेरा सब को साथ लेकर चलना धर्म हैं मेरा , मैं ना किसी के सवार होने पर खुश होती हूँ ,ना मैं किसी के उतर जाने पर दुखी होती हूँ सब अपने हिस्से का जीवन मुझमें जीतें है , मैं अकेली ही थी तो अकेली ही हूँ । हाँ , मैं लोहपथ गामिनी हूँ। कितने किस्से कितनी कहानियाँ जन्म लेती है प्रतिदिन मुझमे, हर कहानी को जीती हूँ मैं फिर भी किसी से कुछ न कहती हूँ मैं। अमीर ,गरीब,गौरा ,काला, हिंदू ,मुस्लिम ,किसी से भेद नही करती हूँ ,सब मेरे यात्री हैं, मैं सब की सहयात्री हूँ। हाँ, मैं लोहपथ गामिनी हूँ। किसी को माँ बनने का सुख मिला मुझमे, किसी को मृत्यु ने गले लगा लिया मुझमें सब को जीती गई में स्वयं में , किसी बच्चे की खुशी हूँ उसके पहले सफर की ,किसी बुजुर्ग के बचपन के किस्सों को भी सुना है मैने , किसी प्रेमी युगल के प्रेम की शुरुआत भी हुई मुझमे, और किसी का दिल भी टूटा मुझमें, पर न में विचलित हुई न खुश हुई मेरा काम था चलना मैं चलती गई ,मैं किसी का अनकहा विश्वास था मैंने उसे न कभी टूटने दिया , मैं किसी की बारात में सारथी हूँ, किसी के मातम में भी सरीख हूँ, हाँ, मैं लोहपथ गामिनी हूँ। मैं लोगो को तीर्थ भी ले जाती हूँ ,मैं हज पर भी ले जाती हूँ,पर मेरा धर्म न बदलता है, सब को साथ लेकर चलना धर्म है मेरा निरंतर चलना कर्म है मेरा , कितने लोगों ने पुण्य कमाये कितने लोगों ने पाप किया किसी का नही हिसाब मेरे पास मेरा काम है चलना में निस्वार्थ चलती ही जाती हूँ । हाँ, मैं लोहपथ गामिनी हूँ। #वृतांत #किस्सा #रेलकीकहानी #यात्रा
Amardeep Jaiswal
यूं तो जिंदगी में कुछ ख़ास दिक्कतें नहीं थी हमारी, पर इस बार हालात बदलने वाले थे; कोशिश तो थी कि ये बदलाव रोक दिया जाए, पर हकीकत तो ये थी कि हालात बदलने वाले थे; सब बिखरा पड़ा था संजोने की कोशिश जारी थी, हमने भी आखिर तक हार न मानने की कसम खा रखी थी, पर कमबखत किस्मत को भी पता नहीं किसने बता रखा था कि, हालात बदलने वाले थे..... वो चाहते तो इत्तेलाह कर सकते थे हमें, अब ये न कहना कि उन्हे भी नहीं पता था कि हालात बदलने वाले थे। वृतांत.. #अनुभव