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Kumar.Satyajit
लावारिश फिरती रहती है वो भावनाएं..! जो किसी पसंदीदा शख़्स द्वारा ठुकरा दी जाती है.!!🥀 ©Kumar.Satyajit Mohabbat
Mohabbat
read moreNews by Prashant
White न संघर्ष खत्म होता है और न ही शिकायतें, धीरे-धीरे जो खत्म हो रही है वो उम्र है। ©News by Prashant #love_shayari न संघर्ष खत्म होता है और न ही शिकायतें, धीरे-धीरे जो खत्म हो रही है वो उम्र है।
#love_shayari न संघर्ष खत्म होता है और न ही शिकायतें, धीरे-धीरे जो खत्म हो रही है वो उम्र है।
read moredilkibaatwithamit
White कुछ शामें जिन्दगी में ऐसी भी होती हैं, जिनमें धीरे धीरे सूरज नहीं हम डूब जाते है.. ©dilkibaatwithamit कुछ शामें जिन्दगी में ऐसी भी होती हैं, जिनमें धीरे धीरे सूरज नहीं हम डूब जाते है.. #GoodMorning #nojohindi #Shaayari @nojoto
कुछ शामें जिन्दगी में ऐसी भी होती हैं, जिनमें धीरे धीरे सूरज नहीं हम डूब जाते है.. #GoodMorning #nojohindi #Shaayari @nojoto
read moreVADRA KRISHNA
గుర్తుకు రావడం గొప్పకాదు. మరవకపోవడం గొప్ప ఎందుకంటే.. గుర్తుకు రావడం"బుర్ర"చేసే పని. మరవకపోవడం"హృదయం" చేసే పని అంటే... మనం ఉండవలసింది ఎదుటివారి "బుర్రలో"కాదు. వాళ్ళ మనసులో..! ©VADRA KRISHNA #mohabbat
Deepak Kumar 'Deep'
Sadgi se mohabbat thi Isley raas na aayi Unko meri mohabbat Shayad unko Khelne ke liye Ek dil chahiye tha ©Deepak Kumar 'Deep' #mohabbat
mr_dhanurag_ya21c
आप जो मिले फिर किसी का दीदार नही हुआ जो हुआ आप से हुआ फिर किसी से प्यार नही हुआ । ©mr_dhanurag_ya21c #mohabbat
Sarvesh kumar kashyap
🤷 धीरे-धीरे सब..🤔👥 #Best #shayri #Motivational #status Life #Sarveshkashyap #viral #Emotional
read morePainkiller_shayari
White मोहब्बत क्या है अहसासों की एक कहानी है वो तड़पती है अपने महल में और मे तड़पता हूं अपने बसेरे में रात - रात भर जाग कर जिसमें बित जाती….. जवानी है मोहब्बत क्या है.... अहसासों की एक कहानी है सपनों की इस दुनिया में कोई किसी का राजा तो... कोई किसी की…… रानी है मोहब्बत है क्या अहसासों की एक कहानी है ©Painkiller_shayari Mohabbat
Mohabbat
read moreहिमांशु Kulshreshtha
धीरे धीरे अंतस का सारा शोर थम जाता है.. सारी पीड़ाएं,सारे दुख सुन्न से हो सो जाते हैं.. फिर कुछ भी हैरान नहीं करता, कुछ भी परेशान नहीं करता.. पीछे मुड़कर देखने पर लगता है जिस जिंदगी को जीया, भावनाओं का जो ज्वार उमड़ा सब बचकाना था सब कुछ बेमानी था.... जिस को जाना था वो चला ही जाता है ख़ामोशी से बस, अपने निशाँ छोड़ कर धीमे धीमे जिदगी फ़िर ढर्रे पर आने लगती है किसी के बिना जी न पाने का डर कम होता जाता है बस.. कभी कभी सीने में एक आग सी उठती है एक ख़ामोश शोर कानों में गूंजता है फ़िर, सब सतह पर पहले सा हो जाता है ©हिमांशु Kulshreshtha धीरे धीरे...
धीरे धीरे...
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