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New urdu and hindi shayri 40 Quotes, Status, Photo, Video

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DrNidhi Srivastava

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White “चांद तन्हा ही रहा”

चांद तन्हा ही रहा,
सफर करता रहा।
मंजिल मिली नहीं कभी,
फिर भी चलता ही रहा।
चांद तन्हा ही रहा।

सूरज से मिली जलन,
कभी दिखाता नहीं।
अपने शीतल किरन,
जग को देता ही रहा।
चांद तन्हा ही रहा।

टूट कर जब सिमटने लगा,
खुद को बिखरने से रोकने लगा।
अमावस से निकल आंसुओं को मिटा,
पूनम की छटा बिखेरने लगा।
चांद तन्हा ही रहा।।
©® डा०निधि श्रीवास्तव “सरोद”

©DrNidhi Srivastava #good_night #chaand #hindi shayri

gumnaam_writer_mkr

Gulsheera Banu

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Unsplash good morning sir you tube video

©Gulsheera Banu #leafbook  sad urdu poetry hindi poetry on life urdu poetry deep poetry in urdu sad poetry

Muhammad Ilyas Rathor

Vijay Vidrohi

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White जहां आपसी प्यार हो 
वहां विचार भी मिल जाते हैं। 
और जहां विचार ना मिले 
वहां परिवार भी हिल जाते हैं।
बढ़ रहे हैं आजकल
पति-पत्नी में झगड़े 
जिनके कारण बच्चों के सपने 
मिट्टी में मिल जाते हैं।

©Vijay Vidrohi विचार #my #new #thoughts #shayri #love #poem #Poetry #sad #life    zindagi         poetry quotes poetry on love sad urdu poetry urdu poetry

Ramkrishan verma

shayri and explainion

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DUNIYA BS BOL SKTI SATH NHI DE SKTI

©Ramkrishan verma shayri and explainion

Shoaib Malik

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Bharat Bhushan pathak

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White जीवन ये नदिया बहती-सी धारा।
ढूँढे यहाँ पे सभी किनारा।

©Bharat Bhushan pathak #sad_quotes  sad urdu poetry poetry on love urdu poetry sad urdu poetry poetry in hindi

दीक्षा गुणवंत

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हां मैं ठीक हूं।
शायद रातें लंबी हो गई हैं,
तो ज्यादा देर जाग लिया करती हूं।
कुछ करने को खास है नहीं,
तो कुछ अनसुलझी बातें खुद में सुलझा लिया करती हूं।।


हां मैं ठीक हूं।
सर्द हवाओं का मौसम है आजकल,
ये ठंडी हवाएं थोड़ा चुभती है सांस लेने में।
कुछ देर घबरा कर,
आंख बंद कर आहें भर लिया करती हूं।।


हां मैं ठीक हूं।
दिन तो कट जाता है लोगों के बीच में आराम से,
शाम को काम के बीच खुद को व्यस्त कर लेती हूं।
किसी को खास कहने को यूं तो कुछ है नहीं,
पर कभी खुद को खुद से सारे आम कर देती हूं।।


हां मैं ठीक हूं।
चेहरे पर मुस्कान, आंखों में उम्मीद,
सच है या झूठ कुछ कह नहीं सकते।
सब पूछ लेते है कैसी हो? सब ठीक तो है ना?
मुस्कुरा कर, सर हिला कर, मैं ठीक हूं कह दिया करती हूं।।


हां मैं ठीक हूं।
हां बाकी ये सब छोड़ो, मैं तो ठीक ही हूं।।

-लफज-ए-आशना "पहाड़ी"













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©दीक्षा गुणवंत #Texture  deep poetry in urdu hindi poetry poetry hindi poetry on life sad urdu poetry

दीक्षा गुणवंत

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मैं उसको इस कदर आंख भर के देखूं,
वो जाए दूर फिर भी आह भर के देखूं।
एक इंसान ने यूं ही इस कदर पा लिया उसे,
मैं उसे खुद के किस ख्वाब में देखूं?

चंद लम्हे बिताए उसके साथ में,
पर सपने हजार मैं देखूं।
साथ में होकर भी रास्ते अलग से हैं हमारे,
खुद अकेले चलकर उसे किसी और के साथ मैं देखूं।।

कुछ कह कर भी किसी के एहसास-ए-मोहब्बत से 
वाकिफ होने से महरूम है ये दुनिया।
यूं तो बिन कहे, बिन सुने समझ लेते हैं एक दूजे को,
उसकी आंखों में खुद के लिए प्यार बेशुमार मैं देखूं।।

यूं बिखरी जुल्फें, यूं बदहवास सी हालत, यूं आंखों के दरमियां घेरे काले काले,
उसे पसंद हूं मैं इन खामियों के साथ।
वो कहे मेहताब का नूर मुझे,
उसकी नजरों से आईने में खुद का दीदार हजार बार मैं देखूं।।

वो मेला, वो झूले, वो रास्ता तेरे साथ में,
याद है वो आखरी दिन मेरा हाथ तेरे हाथ में।
वो बिंदी, वो लाली, फिर भी कुछ कमी सी थी श्रृंगार में,
वो तेरी पसंद के झुमके पहन खुद को बार-बार मैं देखूं।।

मोहज़्ज़ब(सभ्य) मोहब्बत और ये बेइंतेहा चाहत हमारे दरमियां,
एक पायल उसने अपने हाथों से पहनाई जो मुझे।
कुछ इस तरह छुआ मेरे पैरों से मेरे दिल को,
उस लम्हे को तन्हाई में हजार बार मैं देखूं।।


बेबसी का आलम कुछ इस कदर है मेरे आशना,
वो साथ होकर भी साथ नहीं है मेरे।
मेरा होकर भी मेरा ना हो सका वो,
उसे पाया भी नहीं, फिर भी खो देने का आज़ार(दर्द) मैं देखूं।।

-लफ़्ज़-ए-आशना "पहाड़ी"









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