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Diksha Rain K.. 7
किसी भी बात का इतना ज्यादा भी एनालिसिस ना करे कि दिमाग पैरालिसिस हो जाऐ..भगवान ने जिंदगी जीने के लिए दि है, पोस्टमार्टम करने के लिए नहीं.. ©Diksha Rain K.. 7 #मस्त रह कर जीवो..
MD Prince
🙏 सोचने वाली बात 🙏 इंसान अपने स्वयं के लिए और अपने पति पत्नी बाल बच्चे घर परिवार के खुशहाल जिंदगी के लिए जप तप व्रत और न जाने कितने प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान करते हैं लेकिन ऐसे इंसान जो निर्जीव प्राणी के मांस काटकर या कटवा कर खाते हैं वे इंसान ध्यान रखें की उनका भी अपना एक परिवार होता है जिनको आप लोग मार कर मरवाकर खाते हैं । एक तरफ निर्जीव प्राणी को मार कर खाते हैं और दूसरी तरफ अपने घर परिवार बाल बच्चे की खुशहाल जिंदगी की कामना करते हो । कभी ऐसा नहीं हो सकता शर्म करो रे इंसानों शर्म करो। जियो और जीने दो ©Munindra Das जीवो और जीने दो #Anhoni
HARSH369
दर्द...जितना मनुस्य को होता है, उतना हि जीवो को भी होता है वो लोग भी कराहते है,चिल्लाते है, उन्हे भी प्यारा चाहिये आपसे दुत्तकार नही फिर क्यू हम इन्हे प्यार से नही देखते, बकरे,मुर्गि मुर्गे,खरगोश, अन्य जीव कि बली देते है, जीवो से प्यार करो,इनकी भावनाओ कि कद्र करो ये भी अपना कर्तव्य निभाते है,तो क्यू ना हम भी निभाये आओ प्यार करे..इन जीवो से ©Shreehari Adhikari369 #दर्द...जीवो का #सीखना औरा सीखाना
Jogendra Singh writer
log कहते है ना कि जिंदगी छोटी सी है नहीं मेरे दोस्त जिंदगी बहुत बड़ी है लोग जीना ही देरी से शुरू करते है ©Jogendra Singh Rathore 6578 जिंदगी को अच्छे अच्छे से जीवो #changetheworld
Khüśhßôô Jâiñ
जानवरों को पहले खिलाते हो पिलाते हो खूब ध्यान रख उनका पोषण करते हो त्योहार के नाम पर उस जीव की हत्या करते हों ©Khüśhßôô Jâiñ #जियो_और_जीने_दो ,अमुक जीवो की हत्या ना करो
Lata Sharma सखी
आज ये सावन बरस रहा है, या मेरे आंखों से दरिया बरस रहा है.. यूँ लगता है मुझको आज, ये सावन मेरे साथ रो रहा है.. हर टिप टिप कर गिरती बूंद को जैसे, टूटे दिल की तड़प का एहसाज़ है.. गिरते गिरते आँसुओं को पी रही है, जैसे ये बूंदें आज मेरे गम में बरस रही हैं.. क्या कसूर था मेरा आज बता दो मुझे, जो आज इस दिल से ये लहु बरस रहा है.. आँखें भी तो दरिया हो गई है मेरी, रुकती नहीं तोड़ गई हर बांध, मेरे गम का एहसास लिए ओ सावन तू क्यों बरस रहा है... खत्म हुई जीने की इच्छा अब तो मेरी, मौत भी तो न है सखी अब मेरी.. आसमाँ से बरसता ये अब्र आज क्यों, मेरे मन को जला रहा है.. कभी भीगती थी खुल कर इस सावन में मैं, तो यही सावन ठहाका लगा हंसा करता था, आज मैं रो रही हूँ तो, ये सावन भी मेरे साथ रो रहा है... ©सखी #gif सावन बरस रहा है #सावन