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F M POETRY
White न दिन गुज़ारे गुज़रता न रात काटे कटे.. करें भी क्या क़ी ये दुनियाँ अज़ाब लगती है.. यूसुफ़ आर खान.. ©F M POETRY #करें भी क्या...
#करें भी क्या...
read moreVEER NIRVEL
मनपसंद शख्स से गले लग जाना , दर्द से छुटकारा पाने के लिए काफी है... #Veer_Ki_Shayari ©VEER NIRVEL मनपसंद शख्स से गले लग जाना , दर्द से छुटकारा पाने के लिए काफी है...❤️🌻
मनपसंद शख्स से गले लग जाना , दर्द से छुटकारा पाने के लिए काफी है...❤️🌻
read moreAbhi
Unsplash ये सातों जन्म का साथ है इसे हम नहीं तोड़ेंगे तूने भलाई छोड़ दिया हो हमें हम तुझे नहीं छोड़ेंगे। ©Abhi #lovelife शायरी मोहब्बत के लिए
#lovelife शायरी मोहब्बत के लिए
read morereena sagar
White हम हमसफर भी उसके बने जिसका सारथी कोई और था,,, हम इश्क में भी उसके पड़े जो फिराक में भी किसी और के था,,, टूट कर बिखरे भी हम, सव़ंरे भी हम ,क्या करें ,जिंदा रहना भी जरूरी था ©reena sagar #sad_quotes क्या करें
#sad_quotes क्या करें
read moreseema patidar
White फिर एक दिन ........ आजाद कर दिया मैने वो पंछी...... जिसमे कभी ....... जान बसती थी मेरी ....... ©seema patidar खोया है तुझे,तुझे ही पाने के लिए
खोया है तुझे,तुझे ही पाने के लिए
read moreRahul Varsatiy Parmar
सुबह के 5 बज चुके है तो जमाने ए बंदिश खैर एक खयाल एक गजल देखिए रातों की नींद से (अदावत/ दुश्मनी) हो गई है हमे भी ज़माने के रिवाजों से (कदूरत/ नफरत) हो गई है ज़माने- ए- बंदिश में कैद है (आबरू/ इज्जत) ) हमारी अब खुद को ही खामोश कर रही है खामोशी हमारी (मशगूल-ए- महफिल /मिलना जुलना) नही है रही अब फितरत हमारी मशरूफ-ए-बेरुखी जिंदगी खुद से हमारी हिदायत-ए -दिल है की मुखातिब हो ज़माने से क्यों हया-ए- आबरू खौफ से गुजरे जिंदगी हमारी (मशरूफ/व्यस्त,) (बेरुखी/नाराजगी,)( हिदायत/ सलाह ,) (मुखातिब/ सामना,) (हया ए आबरू/ शर्म) ,(खौफ/ डर) इस गजल का सीधा सा मतलब है 4 लोगो क्या कहेंगे इसे बेफिकर होकर जियो निर्मला पुत्र सिद्धांत परमार ©Rahul Varsatiy Parmar #foryoupapa जिंदगी खुद के लिए जियो समाज के लिए नही #
#foryoupapa जिंदगी खुद के लिए जियो समाज के लिए नही #
read morevksrivastav
बात करने के लिए बात ज़रूरी है क्या ? चाहने के लिए जज़्बात ज़रूरी है क्या? वो अगर चाहें तो चाहत उनकी चाहने के लिए फ़रियाद ज़रूरी है क्या? ©Vk srivastav बात करने के लिए बात ज़रूरी है क्या? #Life #Quote #SAD #Trending #शायरी #लव #vksrivastav
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी अस्तित्व किस किस का डूबा उबाल की सियासतों में जिक्र कही उनका नही है कितने उसूल तोड़े तड़का कुर्सियों के पाने में लगाया है अदरक की तरह कुटा पिटा आमजन तब कही जाकर सत्ता की चाय का स्वाद आया है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #teatime तड़का कुर्सियों के पाने में लगाया है
#teatime तड़का कुर्सियों के पाने में लगाया है
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