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Devesh Dixit
रक्षक (दोहे) रक्षक जब भक्षक बनें, कहीं नहीं फिर ठौर। तोड़ दिया विश्वास है, हो इस पर भी गौर।। रक्षक हो जब सामने, होता है विश्वास। रक्षा कर पालन करे, यही बनाती खास।। रक्षक भूले कर्म जो, भक्षक का हो राज। संकट में फिर जिंदगी, कैसे पहने ताज।। देव-दूत कहते उसे, है रक्षक का रूप। भक्षक को ऐसे लगे, जैसे तपती धूप।। रक्षक की ताकत बड़ी, ईश्वर देते साथ। जहाँ पड़े कमजोर है, सर पर रखते हाथ।। भक्षक भी फिर टूटता, रक्षक देता चोट। भागा-भागा वह फिरे, कहीं न मिलती ओट।। ............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #रक्षक #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi रक्षक (दोहे) रक्षक जब भक्षक बनें, कहीं नहीं फिर ठौर। तोड़ दिया विश्वास है, हो इस पर भी गौर।।
Shivkumar
White तुम फूलो सी हो जो , तुम्हारी ये बातें भी फूलो की महक सी । तुम्हारी तस्वीर भी ऐसी जो , खुशबू को चारो ओर फैला दे । देखू अगर तुम्हारी आंखे अगर देखू , तो मुझे पूरा संसार ये दिखा दे । तुम्हे अगर यु गौर से देखू , तो दुआ करू बस उस से । छीन ले चाहे सब कुछ मुझसे , बस इसे अपना बना दे । तुम फूलो सी हो जो , तुम्हारी ये बातें भी फूलो की महक सी । कितना प्यारा सा ये फूल है इस फूल के ये भंवरे भी इतने दीवाने है । मैं तो बस एक छोटा सा कांटा , जो आया बस इस बचाने को । ये कितना प्यारा सा फूल है इसे भी तो खिलने दो , मत ले जाओ इसे अपना घर सजाने दो । तुम मेरे अब फूल बन जाओ न , फिर चलो मेरे साथ मे ये दुनिया महकाने को । तुम फूलो सी हो जो , तुम्हारी ये बातें भी फूलो की महक सी । ©Shivkumar #flowers #Flower #flowers #Nojoto तुम #फूलों सी हो जो , तुम्हारी ये बातें भी फूलो की #महक सी । तुम्हारी #तस्वीर भी ऐसी जो , #खुशबू
Das Sumit Malhotra Sheetal
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सीता छन्द मापनी:- २१२२ २१२२ २१२२ २१२ वर्ण :- १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते । प्रीति के जो हैं सतायें ईश को ही ढूढ़ते ।। लोग क्यों माने बुरा जो आपसे ही प्रेम है । आपके तो संग मेरी ज़िन्दगी ही क्षेम है ।। १ भूल जाये आपको ऐसा कभी होगा नहीं । दूर हूँगा आपसे ऐसा कभी सोचा नहीं ।। प्रीति तेरी है बसी वो रक्त के प्रावाह में । खोज पाता है नहीं संसार मेरी आह में ।। २ प्रीति का व्यापार तो होता नहीं था देख लो । प्रीति में कैसे हुआ है सोंच के ही देख लो ।। प्रेम में तो हारना है लोग ये हैं भूलते । जीत ले वो प्रेम को ये बाट ऐसी ढूढ़ते ।। ३ प्रेम कोई जीत ले देखो नही है वस्तु ये । प्रेम में तो हार के होता नही है अस्तु ये ।। प्रेम का तो आज भी होता वहीं से मेल है । प्रीत जो पाके कहे लागे नहीं वो जेल है ।। ०१/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सीता छन्द मापनी:- २१२२ २१२२ २१२२ २१२ वर्ण :- १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते ।
Poet Kuldeep Singh Ruhela
बड़ी मुद्दत के बाद देखा था उसको बड़ी गौर से मालूम न था वो भी मेरे इंतजार मे थी घड़ी दो घड़ी देखता उस कमबख्त को में मेरी गाड़ी ही छूट गई उसको देखने के चक्कर में ©Poet Kuldeep Singh Ruhela बड़ी मुद्दत के बाद देखा था उसको बड़ी गौर से मालूम न था वो भी मेरे इंतजार मे थी घड़ी दो घड़ी देखता उस कमबख्त को में मेरी गाड़ी ही छूट गई उ
Sethi Ji
💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝 💝 आईने का इज़हार , आईने का इनकार 💝 💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝 आईना इंसान का सच्चा दोस्त होता हैं हमारे ज़ख्मों को देख कर हर दिन हमारे साथ रोता हैं ना जाने कौन सी कमी रह गयी तेरी मोहब्बत में आज कल मेरा दिल चाँदनी रातों में भी अकेला सोता हैं किसी ने सच कहा हैं दोस्तों जो वक़्त रहते कुछ नहीं करता वोह वक़्त गुज़र जाने के बाद अपना बहुत कुछ खोता हैं ♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️ 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 ©Sethi Ji 💞💞 आईने का वार 💞💞 💞💞 आईने का यार 💞💞 आईना इंसान का सच्चा दोस्त कहलाता हैं वोह मेरे रोने पर रोता मेरे हॅसने पर मुस्कराता हैं ।। जब भी गौर
AwadheshPSRathore_7773
ख़ुद को इतना भी मत बचाया कर बारिशें हों तो भीग जाया कर काम ले कुछ हसीन होंठों से बातों बातों में मुस्कुराया कर दर्द हीरा है दर्द मोती है दर्द आँखों से मत बहाया कर चाँद ला कर कोई नहीं देगा अपने चेहरे से जगमगाया कर धूप मायूस लौट जाती है कभी छत पे कपड़े सुखाने आया कर घर से बाहर निकल हवाओं में ज़ुल्फ़ से ख़ुशबुएँ उड़ाया कर कोई तस्वीर कोई अफ़साना कुछ न कुछ रोज़ ही बनाया कर कौन कहता है दिल मिलाने को कम से कम हाथ तो मिलाया कर इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई हम न सोए रात थक कर सो गई। ©AwadheshPSRathore_7773 #Reindeer Bollywood के प्रसिद्ध लेखक डॉ.राही मासूम रजा की death anniversary पर मुझे यह नज़्म उनके एक चाहने वाले से प्राप्त हुई सोंचा आपको भे
Bharat Bhushan pathak
चित्रपदा छंद विधान:-- ८ वर्ण प्रति चरण चार चरण, दो-दो समतुकांत भगण भगण गुरु गुरु २११ २११ २ २ नीरद जो घिर आए। तृप्त धरा कर जाए।। कानन में हरियाली। हर्षित है हर डाली।। कोयल गीत सुनाती। मंगल आज प्रभाती। गूँजित हैं अब भौंरे। दादुर ताल किनारे।। मेघ खड़े सम सीढ़ी। झूम युवागण पीढ़ी।। खेल रहे जब होली। भींग गये जन टोली।। दृश्य मनोहर भाते। पुष्प सभी खिल जाते।। पूरित ताल तलैया। वायु बहे पुरवैया।। भारत भूषण पाठक'देवांश' ©Bharat Bhushan pathak #holikadahan #होली#holi#nojotohindi#poetry#साहित्य#छंद चित्रपदा छंद विध
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} हम सभी मनुष्य भगवान श्री कृष्ण की भगवत्प्राप्ति के अधिकारी हैं, चाहे वे किसी भी वर्ण, आश्रम, सम्प्रदाय, देश, वेश आदि के क्यों न हों। ©N S Yadav GoldMine #fisherman {Bolo Ji Radhey Radhey} हम सभी मनुष्य भगवान श्री कृष्ण की भगवत्प्राप्ति के अधिकारी हैं, चाहे वे किसी भी वर्ण, आश्रम, सम्प्रदाय
Devesh Dixit
खर्च (दोहे) खर्चों की सीमा नहीं, ऐसा है यह दौर। कहते हैं सज्जन सभी, करना इस पर गौर।। खर्चों ने तोड़ी कमर, बना हुआ नासूर। जीवन यह बद्तर लगे, कैसा यह दस्तूर।। दिन प्रतिदिन कीमत बढ़े, खर्चों का विस्तार। जिन्हें नौकरी है नहीं, माने दिल से हार।। खुद को भी पीड़ित करें, कुछ औरों को जान। लूट करें वे शान से, बनते हैं नादान।। खर्चों के वश में सभी, कुछ करते तकरार। जीवन में उलझन बढ़े, घटना के आसार।। यही विवश्ता तोड़ती, अपनों के संबंध। प्रेम भाव से दूर हैं, आती है दुर्गंध।। ........................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #खर्च #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry खर्च (दोहे) खर्चों की सीमा नहीं, ऐसा है यह दौर। कहते हैं सज्जन सभी, करना इस पर गौर।। खर्चों