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Pranav Shandilya
Nir@j
ॐ नमः शिवाय ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !! #ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भू
Nir@j
ॐ नमः शिवायः' नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् । निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥ निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् । करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥ तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् । स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥ चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् । मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥ प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् । त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥ कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी। चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥ न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् । न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥ न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् । जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥ रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति।। ॥ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥ #ॐ नमः शिवाय ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ
Sunil Pareek G (sunny)
Ruchi Baria
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।। ॐ नम: शिवाय।। ©Ruchi Baria ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः ज
atrisheartfeelings
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ ॐ : परब्रह्मा का अभिवाच्य शब्द भूः : भूलोक भुवः : अंतरिक्ष लो
Vikas Sharma Shivaaya'
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐत्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ। ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ। इस पूरे संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले भगवान शिव की हम पूजा करते हैं🙏 हमको मन की शक्ति देना मन विजय करें-दूसरों की जय से पहले खुद को जय करें,हमको मन की शक्ति देना मन विजय करें-दूसरों की जय से पहले खुद को जय करें,हम को मन की शक्ति देना... भेदभाव-भेदभाव अपने दिल से साफ़ कर सके दोस्तों से भूल हो तो माफ़ कर सकें-झूठ से बचे रहें, सच का दम भरे- दूसरों की जय से पहले खुद को जय करें-हम को मन की शक्ति देना मन विजय करें-दूसरों की जय से पहले खुद को जय करें हम को मन की शक्ति देना..., मुश्किलें पड़ें तो हम पे इतना कर्म कर साथ दे तो धर्म का, चलें तो धर्म पर खुद पे हौसला रहे, बदी से ना डरें दूसरों की जय से पहले खुद को जय करें,हम को मन की शक्ति देना मन विजय करें दूसरों की जय से पहले खुद को जय करें हम को मन की शक्ति देना..., 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐत्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः ज
Madhav Jha
धर्मेण गमनमूर्ध्वं गमनधस्ताद्भवत्यधर्मेण । ज्ञानेन चापवर्गो विपर्य्यादिष्यते बंधः ।। 44 ।। It directly means : By virtue, ascent to higher planes, and by vice, descent to lower planes take place; by knowledge release is obtained while by the reverse of it (i.e. by ignorance) one gets bound. 【SEE CAPTION】 By following Virtue one attains to the Heaven and higher regions of Light etc. By vice, one goes to the nether regions such as bhutala etc*.