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Parasram Arora
जीने को और भी आशय मिल सकता था यदि सम्भावनाओ का अंत न हो जाता इस तरह फिर न जाने क्यों पथ मे शूल बिछाकर राह मे पथ्हर फैंक कर बाधाएं ख़डी करते रहे हम सागर की शिथिल सतह पर लहरों का उत्पात देखते रहे म्रृत हो चुकी आशाओ मे जबरन प्राण वायु फूंकते रहे दिखा नहीं कोई भी परिवर्तन फिर भी हम जैसे थे बस वैसे ही रहे जीने का आशय.....
Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"
Uska Call उसका कॉल आया था, वो बोला आ रहा हूँ "मैं" हमनें भी हंस के पूछ लिया, हो कौन तुम ओ "मैं"? उसनें कहा मैं हूँ "मैं" तुम में ही रहता हूँ। कभी हावी हो जाता हूँ, कभी चुपचाप सुनता हूँ। फ़िर भी हम न कुछ समझें, उनकी ज्ञान की बातें। हम तो ठहरे नादान, रह गए ख़ुद को सुलझाते। -रेखा "मंजुलाहृदय" पर अब भी सवाल है...वो सवाल... आख़िर कॉल किसका आया था नोजोटो जी? 😜😜😜 ©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" नोट:- यहाँ मैं का आशय घमंड से है। #WForWriters #मंजुलाहृदय #Rekhasharma
BlackShadow03
मैं ठहर भक्त महाकाल का और वो ठहरी महाकाल की दीवानी इस प्रेम कहानी का संगम विधाता ने खुद लिखा है अपने हाथों से क्योंकि इस बार राधा ने कृष्ण को नहीं शक्ति ने अपने शिव को हैं पुकारा ©BlackShadow03 #milaन आशय
Parasram Arora
शब्द और उसके आशय को तो मै समझ लेता हूँ पर जिस शैली का मुझ पर प्रहार किया गया है उससे तो ऐसा अहसास होता है जैसे मै जलती आग में झोक दिया गया हूँ ©Parasram Arora शब्द और आशय
Om
में तुम्हें ही खोज रहा हूं दिन रात, मगर तुम मिले ही नहीं हो इस जन्नत में, ©Om ओम दांगी आशय #togetherforever
शशांक गौतम
नाउम्मीदी से भरा शख्स गौतम उम्मीदी में रह लेता है, होंगे कुछ 'आवारा दोस्त',जो गम भी यूँ सह लेता है..!! यहाँ 'आवारा दोस्त' से कवि का आशय यकीनन तुमसे है 😄 #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqhindi #yqdada #yqbhaijan #yq #yqlife
Vinod Mishra
OMG INDIA WORLD
सुप्रभात प्रणाम आप का दिन खुशियों से भरा रहे. प्रतिदिन सुप्रभात करने का यही एक आशय है कि.. मुलाक़ात चाहे जब भी हो अपनेपन का अहसास प्रतिदिन महसूस होता रहे । शुभदिन । ©OMG INDIA WORLD सुप्रभात प्रणाम आप का दिन खुशियों से भरा रहे. प्रतिदिन सुप्रभात करने का यही एक आशय है कि.. मुलाक़ात चाहे जब भी हो अपनेपन का अहसास प्रतिदिन
सिद्धार्थ गौतम
अगर आप ये सोचते है कि अन्धे व्यक्ति को अंधेरा दिखाई देता है तो आप बहुत बड़ी भूल में है। यहाँ मेरा आशय किसी की विवशता को ठेस पहुँचना नही है। अर्थ है कि मानव खुद को नही समझता।