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PRATIK BHALA (pratik writes)
AJAY NAYAK
मदिरा हम भी उस महफ़िल में होंगे, जहां चांदनी रात के साये में, मस्ती होगी, गीत होंगे, संगीत होंगे, दोस्तों के बीच अच्छे तराने होंगे। एक हाथ में कांच का गिलास होगा, एक हाथ में साथी का हाथ होगा, सामने खड़ा एक साकी होगा, जो गिलास को समय पर रंगता होगा। कुछ अच्छी बातें होंगी, तो थोड़ी बहुत नोकझोक होगी, निकलेंगे हम वहां से गरम मिजाज़ में, अगले दिन फिर एक टेबल पर होंगे । कुछ तो बात है इस मदिरा में, जो छलकते ही पूरा पूरा बिखर जाता है पर कभी अपना गुणधर्म नही है छोड़ता तीस मिली में भी कमाल दिखा जाता है । जो जो जाता है इसके साए में वह उसका होकर रह जाता है बस एक घूंट कंठ से उतरते ही दुश्मन भी दोस्त बन जाता है । मैं भी अब सोच रहा हूं थोड़ा लेकर इसे अंदाजू साकी से कहकर भर लूं अपना गिलास। चख लूं दोस्तों के साथ इसका स्वाद देख लूं क्यों है यह दुनिया में विशेष जो भी जाता है इसके आगोश में, वह कैसे? ऊंच नीच, अमीर गरीब का, भूल जाता है भेद । –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #Wine #मदिरा मदिरा हम भी उस महफ़िल में होंगे, जहां चांदनी रात के साये में, मस्ती होगी, गीत होंगे, संगीत होंगे, दोस्तों के बीच अच्छे तरा
TheSD speaks
Shubhendra Jaiswal
रुग्णता! प्रतिरोधक क्षमता के ह्रास से उपजी स्वनिर्मित अवस्था है.. प्रतिरोध के अणुओं को शिथिल करने की कला में पारंगत विषाणु विरोध की मौलिक व्यवस्था में भेद उत्पन्न कर, पारस्परिक संरचनात्मक गठन को प्रभावित करने की वैशिष्ट्यता का दक्षता से प्रयोग, विरोधी गुणधर्म को विखण्डन प्रक्रिया में ढकेल देती है.. तदन्तर.. साम-दाम और दण्डानुरागी, चैत्यनता के बोध से प्राप्त उदण्डात्मक फल निर्विरोध हो जाता है| फलत: रूग्णता की व्यापकता विरोध -प्रतिरोध को आत्मसात कर निर्वीर्य कर देती है| ©Shubhendra Jaiswal #शुभाक्षरी #विरोध #प्रतिरोध #भेद #गुणधर्म
Rohidas maharaj Sanap
चंदनाचे हात पायही चंदन । परिसा नाही हीन कवण्या अंगी ॥१॥ दिपा नाही पाठी पोटी अंधकार । सर्वांगी साखर अवघी गोड ॥२॥ तुका म्हणे तैशा सज्जनांपासुनी । पाहता अवगुण मिळेचिना ॥3॥ श्री हभप . रोहिदास महाराज सानप ( बेजगांव ) मो .9822888295 ©Rohidas maharaj Sanap # चंदनाचे हात पायही चंदन अभंग #Books
Prateek Chouhan
केवल स्वप्नों के अवशेष शेष हैं क्यों न आँखों को मरुभूमि कह दूँ सपनों का गुणधर्म है केवल कतरा बन अँखियों से बहना ...prateek singh chouhan
vishnu thore
अंगी अत्तर फासून घाम परका झालेला असा कोणता उरुस गावी मुक्कामी आलेला - vishnu thore अंगी अत्तर फासून घाम परका झालेला असा कोणता उरुस गावी मुक्कामी आलेला
महादेव जरे
❤मिठीत घेऊन विचारल तिने कोणता रंग लावू तुला. ❤ ❤मी पण सांगितल तिला मला फक्त तुझ्या ओठांचा रंग लाव😄💋 ❤मिठीत घेऊन विचारल _तिने कोणता रंग लावू तुला..... ❤ ❤मी पण सांगितल तिला _मला फक्त तुझ्या ओठांचा रंग लाव😄💋💋💋💋💋
vishnu thore
"पिटर" या नव्या मराठी चित्रपटासाठी मी लिहिलेले गीत " विठ्ठला कोणता झेंडा घेऊ हाती" या गीताचे गायक ज्ञानेश्वर मेश्राम यांनी गायिले या गीतास