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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Unsplash ©चंद साल से जो लोग मुझे जानते नहीं, यूँ तक रहे हैं जैसे पहचानते नहीं//१ जो मतलबी हैँ,वो तो तन्हा ही रहेंगे, खुद्दार मतलबी से सलाह मांगते नहीं//२ बज़्म ए सुखन में देख कर रानाइयाँ मेरी, मारे हसद के लोग दाद मारते नहीं//३ समझाया मैने दिल को बचो इश्क़ -मुश्क़ से, नादान दिल भी तो कहा मानते नहीं//४ ये दुनियाँ बहुत बड़ी है,शमा" बात याद रख, के पसमादों पे कभी भी कमाँ तानते नहीं//५ #Shamawritesbebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #leafbook ©चंद साल से जो लोग मुझे जानते नहीं,यूँ तक रहे हैं जैसे पहचानते नहीं//१ जो मतलबी हैँ,वो तो तन्हा ही रहेंगे,खुद्दार मतलबी से सलाह म
#leafbook ©चंद साल से जो लोग मुझे जानते नहीं,यूँ तक रहे हैं जैसे पहचानते नहीं//१ जो मतलबी हैँ,वो तो तन्हा ही रहेंगे,खुद्दार मतलबी से सलाह म
read moreIG @kavi_neetesh
Unsplash हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरानी हो गई। बोल पड़े हम घर में भाई फिर खींचातानी हो गई। मुंह फेर लिया अपनों ने रिश्तेदार भी रूठ गए। बड़े जतन से बांध रखा वो प्रेम के मोती टूट गए। घर में दीवारें खिंच गई मकान बिकाऊ हो गया। समझदार थे उनका अब पुत्र कमाऊ हो गया। कैसे बांध सके वो डोरी जलन पड़ी थी पांवों में। तुच्छ स्वार्थ से शूल बिछाए सूनी सी इन राहों में। संभल संभलके चलते फिर भी धोखा मिलता है। पांव से जमी खिसकती कभी फैसला हिलता है। जिसका पलड़ा भारी होता लोग उधर हो जाते हैं। सलाह मशवरे आकर हमको रोज देकर जाते हैं। रिश्तेदारों को भी जाने क्यों ये परेशानी हो गई। हमने जब अपना हक मांगा तो हैरानी हो गई। अपनी मेहनत हक का खाना बेईमानी हो गई। न्याय की खातिर टूट पड़े तो खींचातानी हो गई। ©IG @kavi_neetesh #camping Extraterrestrial life Entrance examination Hinduism Aaj Ka Panchang Kalki हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरान
#camping Extraterrestrial life Entrance examination Hinduism Aaj Ka Panchang Kalki हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरान
read moreAshutosh Mishra
White कोई मुझे बताए कि मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है दो महीने से ना तो मेरी क्रिएशन स्ट्रिक बढ रही है और ना ही शिकायत करने पर कोई जवाब आ रहा है मैने अपडेट करके भी देख लिया और अब कई बार अपलोड करने पर पोस्ट अपलोड होती है इतना ही नहीक्रेएशन स्ट्रिक पर रोज मेरी पहली पोस्ट पर व्यूज भी अक्सर 99 पर ही रुक जाते है बताओ मैं क्या करूॅ कृप्या उचित सलाह देने का कष्ट करें अल्फाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #Nojoto #Nojotoसे शिकायत #शिकायत #सलाह #हिंदीनोजोटो #हिंदीकोट्स #आशुतोषमिश्रा Sharma_N HINDI SAHITYA SAGAR Ganesha•~• Poonam वंदना .... KRI
#Nojotoसे शिकायत #शिकायत #सलाह #हिंदीनोजोटो #हिंदीकोट्स #आशुतोषमिश्रा Sharma_N HINDI SAHITYA SAGAR Ganesha•~• Poonam वंदना .... KRI
read moreSarfaraj idrishi
में हजारों दुश्मनों से अकेला लड़ सकता हु लेकिन अपनी सफ़ में मौजुद गद्दारों से नहीं __ (सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी ) 😞 ©Sarfaraj idrishi में हजारों दुश्मनों से अकेला लड़ सकता हु लेकिन अपनी सफ़ में मौजुद गद्दारों से नहीं (सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी ) Islam Sethi Ji Altab Alam
में हजारों दुश्मनों से अकेला लड़ सकता हु लेकिन अपनी सफ़ में मौजुद गद्दारों से नहीं (सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी ) Islam Sethi Ji Altab Alam
read moreबेजुबान शायर shivkumar
// हमारे प्यारे बुजुर्ग दादाजी // उनके हाथों की लकीरों में वो " संघर्ष " की कहानी है, चेहरे की झुर्रियों में वो " अनुभव " की निशानी है । जिन्होंने देखा है अपने ज़माने का वो हर रंग, वही है जीवन के असली आनंद का संग । चलते वक्त से " सफर " तो उनका आगे का है हर बात में उनकी " सच्चाई " का वो अक्स उभरता है, ज्यों चाँद का असर । खामोश रहते हैं, पर दिल में " ज्ञान " का समंदर है, उनकी सलाहों में " जिंदगी " का असल वो सिकंदर है। वो न हों तो घर वीरान सा अब लगता है, उनकी मौजूदगी में हर कोना अब भी " महकता " है । इस " परिवार " की धरोहर उनसे ही तो है हमारा असली " जोहर " तो हमारे प्यारे बुजुर्ग दादाजी हैं हरेली तिहार से एक दिन पहले मैने अपने घर के सबसे बड़े बुजुर्ग यानी दादाजी को खोया है... जो मेरी हर " सोच " और " सपने " ,आदि का हिस्सा थे ©बेजुबान शायर shivkumar // हमारे प्यारे बुजुर्ग दादाजी // उनके हाथों की लकीरों में वो " #संघर्ष " की कहानी है, चेहरे की झुर्रियों में वो " #अनुभव " की निशानी है
// हमारे प्यारे बुजुर्ग दादाजी // उनके हाथों की लकीरों में वो " संघर्ष " की कहानी है, चेहरे की झुर्रियों में वो " अनुभव " की निशानी है
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक मां पापा का सम्मान विधा विचारनुमा भाषा शैली हिन्दी . . भाव वास्तविक मन के भाव
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
White मन मेरा अशांत क्यों है भला, आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली? कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं, अधरों पर क्यों सवाल खड़ा? नयन रूखे से लगते हैं अब, लबों पर क्यों नहीं मुस्कान भला? एक शोर उठता है, रह-रह कर जो, आख़िर खुद में ही क्यों दबा? ढूंढता हूँ, फिर भागता हूँ, सवालों का कभी जवाब नहीं मिला। गिरता हूँ, उठता हूँ और फिर चलता हूँ, मन में लिए कितने सवाल चला। कितनों से बात की मैंने, कितनों को बेहतर सलाह दी। मिला दे मुझे खुद से या रब से, एक मकसद को डर में फिरा। सुना, गुनाह रब माफ़ करते, मंदिर मस्ज़िद को निकला। माफ़ कर सकूँ पहले खुद को, खुद से मैं अब तक खुद नहीं मिला। ©theABHAYSINGH_BIPIN मन मेरा अशांत क्यों है भला, आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली? कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं, अधरों पर क्यों सवाल खड़ा? नयन रूखे से लगते हैं अब, लबों प
मन मेरा अशांत क्यों है भला, आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली? कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं, अधरों पर क्यों सवाल खड़ा? नयन रूखे से लगते हैं अब, लबों प
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