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Rashmi singh raghuvanshi "रश्मिमते"

कि अपनों के दिये
बेहद दर्दनाक दर्द को
सीने में छुपाये रखता है।
दूसरों के छोटे-छोटे दर्द को
ऐसे दिखाता है कि
कितने बड़े दर्द में है,
ये विडंबना भी अजीब
है ना, इंसान की
की अपनों के दर्द भी
अपने ही सीने में दफ़न
रखता हैं,
पर बयां नहीं कर पाता।
इसे मानव की अजीब ,अनोखी
विडंबना ही कही जा सकती है

©rashmi singh raghuvanshi #विडंबना1

Kapil Sanadhya

सुकून की ज़िन्दगी की विडंबना ये है कि 

बचपन तब जल्दी बड़ा होना चाहता था और 
और अब बड़े फिर से वो बच्चा बनना चाहते हैं। #विडंबना

Ruchika

कैसी विडम्बना है........

शोर मचा कर किया काम, सहानुभूति बटोरता है,
मुश्किल नज़र आता है, चाहे वो आसान ही क्यों ना हो।

दूसरी ओर, चुप चाप किया काम बेकदरी बटोरता है,
आसान नज़र आता है, चाहे वो मुश्किल ही क्यों ना हो। #विडंबना

shakii

__________________ #विडंबना

Prashant Mishra

"विडंबना"

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आज तलक हमने जिसको "हमदर्द" समझकर रक्खा था

उसी शख़्स  ने क्यों हमको " बेदर्द" समझकर   रक्खा था   

       
  --डॉ प्रशान्त मिश्रा "विडंबना"

उपांशु शुक्ला

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Lavi Chauhan

अजीब विडम्बना है ये
हम कुछ कह नही सकते
और तुम कुछ समझ नही सकते,
आंखें नम तुम्हारी भी है
 और जागते रातभर हम भी है,
तुम भी हमको मिल नही सकते
और दूर हम रह नही सकते।



@अनु #विडंबना

Savita Nimesh

नई नवेली दुल्हन की खता क्या थी
वो कार साथ ना लाई, बस इतनी खता थी

कोई उसके जेवर तो कोई दहेज देख रहा था
साड़ी झुमका हार, हाथ में लेके परख रहा था

ऐसा लगता था जैसे कोई बाजार लगा है
उसको नुमाइश के लिए बैठाया गया था

बार बार मां बाप को भला बुरा कह रहे थे
ये कैसी जगह पर आई गई मैं,मन ये कह रहा था

जिनको अपना परिवार समझना था
वो क्यों मुझको सब पराया लग रहा था

कितनी उम्मीदों से हर लड़की नए घर में जाती है
वहा पर ऐसा व्यवहार क्या लाजमी है

कितने सपने उसके छिन्न भिन्न हो जाते है
दोनो घरों में जब वो पराई हो कहलाती है

©Savita Nimesh #विडंबना

Parasram Arora

विडंबना......

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ये भी  विडंबना है  ये भी कैसी सोच है  आदमी की
जो  अपने दुखों को  बांटने क़े लिए सदैव
ततपर रहता है जबकि  सुखों को  बांटने की जगह
उनका संग्रह करता है. ताकि
दूसरों को अपने से छोटा साबित क़र  सके
अपनी दिनचर्या  का सारा समय  वो  अपनी स्वार्थ  सिद्धि
मे व्यतीत  करता है
दूसरों क़े लिए कुछ करना हो तो  अपना मुँह फेर लेता है
और वो ये भी भूल  जाता है  क़ि सुखो  और खुशियों
का अहसास  तभी होता है. ज़ब वो दुख  और  पीड़ाओं
का पूरा जायज़ा  लेकर उनसे रूबरू  हो चुका हो

©Parasram Arora विडंबना......

shefalika chourasiya

विडंबना #कविता

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