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azad satyam

लिखना चाहता हूं तुम्हे, दिल के कोरे कागज पर लेकिन बयां कर सके जो तारीफ तेरी, वो अनकहे अल्फ़ाज़ कहां से लाऊं 💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞 ek_panchi_diw

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लिखना चाहता हूं तुम्हे,
दिल के कोरे कागज पर
लेकिन बयां कर सके जो तारीफ तेरी,
वो अनकहे अल्फ़ाज़ कहां से लाऊं

💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞

#ek_panchi_diwana_sa

©azad satyam लिखना चाहता हूं तुम्हे,
दिल के कोरे कागज पर
लेकिन बयां कर सके जो तारीफ तेरी,
वो अनकहे अल्फ़ाज़ कहां से लाऊं

💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞

#ek_panchi_diw

Bhupendra Rawat

#love_shayari मैं छुपा नहीं सकता तुमसे मायूसी अपनी इसलिए मैंने गढा है तुम्हे कोरे पन्नों मे मैंने रचा है तुम्हें कविताओं मे लिखी है, कहानी

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White मैं छुपा नहीं सकता
तुमसे मायूसी अपनी
इसलिए
मैंने गढा है
तुम्हे कोरे पन्नों मे
मैंने रचा है तुम्हें
कविताओं मे
लिखी है, कहानी
और उपन्यास
मेरी हर एक रचना का
मुख्य पात्र रही हो तुम
मैंने नहीं गढा तुम्हें
अपनी रचनाओ मे
त्याग की देवियों
“मीरा” और
“यशोधरा” की तरह
बल्कि इस दफा मैंने
केंद्र मे रखा हर एक
उस पुरुष को
जिसने समर्पित किया
अपना जीवन
अपनी प्रेयसी को

©Bhupendra Rawat #love_shayari मैं छुपा नहीं सकता
तुमसे मायूसी अपनी
इसलिए
मैंने गढा है
तुम्हे कोरे पन्नों मे
मैंने रचा है तुम्हें
कविताओं मे
लिखी है, कहानी

Poet Kuldeep Singh Ruhela

#leafbook ये पत्ते भी न क्यों किताब लिए बैठे हैं लगता है ये भी कोई सबक याद किए बैठे हैं कोरे पन्नो पर लिखना चाहते है ये भी कुछ सबक शायद

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Unsplash ये पत्ते भी न क्यों 
किताब लिए बैठे हैं
लगता है ये भी कोई 
सबक याद किए बैठे हैं 
 कोरे पन्नो पर लिखना चाहते है 
ये भी कुछ सबक शायद
लगता हैं ये भी कुछ 
बोझ दिल में लिए बैठे हैं

©Poet Kuldeep Singh Ruhela #leafbook ये पत्ते भी न क्यों 
किताब लिए बैठे हैं
लगता है ये भी कोई 
सबक याद किए बैठे हैं 
 कोरे पन्नो पर लिखना चाहते है 
ये भी कुछ सबक शायद

बेजुबान शायर shivkumar

रोज सुबह उठकर आने वाला मेरा ख्वाब हो तुम। कोरे पन्नों पर लिखे हर वो मेरे अल्फाज हो तुम। जिसकी रोज कल्पना करूं अगर वह आज हो तुम। मेरे दिल

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रोज सुबह उठकर आने वाला मेरा ख्वाब हो तुम। 
कोरे पन्नों पर लिखे हर वो मेरे अल्फाज हो तुम।

जिसकी रोज कल्पना करूं अगर वह आज हो तुम। 
मेरे दिल के हर वो गम-ए-जख्मों का इलाज हो तुम।

सदियों से चले आने वाला वो रिति-रिवाज हो तुम 
उस इश्क के मकान में भरे मेरे इम्तियाज हो तुम।

सोच कर तुम्हें ही अपने साथ मे हम भी मुस्कुराते हैं..
पर क्या करें अभी इस चेहरे से यु नाराज हो तुम ।।🪷👀

©बेजुबान शायर shivkumar रोज सुबह उठकर आने वाला मेरा ख्वाब हो तुम। 
कोरे पन्नों पर लिखे हर वो मेरे अल्फाज हो तुम।

जिसकी रोज कल्पना करूं अगर वह आज हो तुम। 
मेरे दिल
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