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ASHVAM
न जाने कहां खो गए वो दिन व हमारी खुशीयां जौ त्यौहार आपने आने का दो महीने पहले से ही हमारे घर के आंगन मे शौर माचाती थी, न जाने क्युं वो आज चौखट पर आने के बाद बताती हे -नीरज- कहां गए वो दिन.
Ashok Verma "Hamdard"
*कहां गए वो दिन* ***************** गुड मार्निंग से गुड है गायब दीदी हो गई दी, शब्द अपना अर्थ है खोता छी :छी :छी:, मोबाईल अब मोब हो गया,क्या करते शिक्षाविद् बाबा केवल बा हो गए,फूआ हो गई फू अंग्रेजी अब सर पर बैठी,हिंदी जैसे छु, भाई अपना ब्रो हो गया,काका हो गए का चाचा चाची एक हीं जैसे,दोनों बस है चा, देखो सभ्यता प्रणाम भी ,घुटनों पर आ गए भारतीयों की बात छोड़ो ,विदेशी भी यहां शरमा गए, *अशोक वर्मा "हमदर्द" ©Ashok Verma "Hamdard" कहां गए वो दिन
Rajnish Shrivastava
कहां गए वो लोग जो इन महलों में रहा करते थे । जीवन को बड़ी शानो-शौकत से जिया करते थे । मिलते नहीं निशान अब उनके वजूद के जो अपने-आप को शहंशाह कहा करते थे । ©Rajnish Shrivastava #कहां गए वो लोग
sandeep Kochar
वो मम्मी की लोरी, वो पापा की डाँटे करता धा गलती ,तो पडते थे, चंटि वो चाँटो को खाके. वो मुंह को फुलाना वो,,मम्मी व पापा का मुझको मनाना वो टोफी खिलोने ,मुझको दिलाना वो टोफी खिलौनो से झट मान जाना कैसे प्यारे ,सुहाने वो दिन जाने कहाँ गए वो दिन वो नंगे पैरो से , मोहल्ले मे घूमे, वो बारिश मे सब मिल मस्ती मे झूमे वो कागज की कश्ती ,नाली में चलाना .वो , पतंगो के, पीछे, दूर दूर जाना वो कंचे , कब्बड़ी, वो माचिस की छापे, मस्ती के दिन थे, वो मस्ती की शामे ना पैसो की चिंता ,ना रिश्तों का ड्रर था इक ये समय हें इक वो समय था कैसे वो पल गए हमसे छिन जाने कहां गऐ वो दिन ना मन में कपट था , ना कोई छलावा ना क२ते थे ,ईष्या ना कोई दिखावा जो मन मे था, वो ही जुबां पे था अपने ना था तेरा मेरा सब कुछ थे अपने सोचे तो लगता है अब मीठे सपने २हते थे हरदम मस्ती मे लीन जाने कहाँ गए वो दिन जाने कहां गए वो दिन
jagruti Bhardwaj
"रिवाज़" कहां गए रिवाज जिनमें सब होते थे साथ। वो बात ही नहीं रही कौन से रिवाज थे अब किसी को पता नहीं है। धर्म, संस्कृति से जुड़े थे जो उनसे कोई मिलाप नहीं रहा। क्या होते थे रिवाज किसी को नहीं पता। जैसे जैसे सब बदल रहा है बदल रहे हैं रिवाज भी। इस झुठ मुट की दुनिया में नक़ली रिवाज बन गए। कर रहे सब मन मानी पर पता किसी को नहीं, जो रिवाज पहले थे सही है वहीं कपड़ों कि तरह रिवाजों में भी रोज बदली हो रहीं है। ©jagruti Bhardwaj कहां गए वो रिवाज......।। #InspireThroughWriting
Raj Kanhaiya Raj
चंदा मामा कहा गए तुम, आज तो जल्दी आओ न, आज हम नाराज है, हमें हँसाने आओ न। ©Raj Kanhaiya Raj #Nightlight चंदा मामा कहां गए तुम