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dilkibaatwithamit
White मुझे याद है कभी एक थे, मग़र आज हम हैं जुदा जुदा वो जुदा हुए तो सँवर गए, हम जुदा हुए तो बिखर गए कभी रुक गए कभी चल दिए, कभी चलते चलते भटक गए यूँ ही उम्र सारी गुज़ार दी, यूँ ही ज़िंदगी के सितम सहे कभी नींद में कभी होश में, तू जहाँ मिला तुझे देख कर ना नज़र मिली ना ज़ुबाँ हिली, यूँ ही सर झुका कर गुज़र गए कभी ज़ुल्फ़ पर कभी चश्म पर, कभी तेरे हसीन वुजूद पर जो पसन्द थे मेरी किताब में, वो शेर सारे बिखर गए कभी अर्श पर कभी फ़र्श पर, कभी उन के दर कभी दर बदर ग़म ए आशिक़ी तेरा शुक्रिया, हम कहाँ कहाँ से गुज़र गए..!! ©dilkibaatwithamit मुझे याद है कभी एक थे, मग़र आज हम हैं जुदा जुदा वो जुदा हुए तो सँवर गए, हम जुदा हुए तो बिखर गए कभी रुक गए कभी चल दिए, कभी चलते चलते भटक ग
मुझे याद है कभी एक थे, मग़र आज हम हैं जुदा जुदा वो जुदा हुए तो सँवर गए, हम जुदा हुए तो बिखर गए कभी रुक गए कभी चल दिए, कभी चलते चलते भटक ग
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
वो हक जताती है कभी-कभी वो हक जताती है कभी-कभी, प्यार जताती है कभी-कभी। डूब जाओगे गहरी आँखों में, पलके झुकाती है कभी-कभी। मासूमियत से भर जाती नज़रें, आँखें झुकाती है कभी-कभी। जज़्बातों को बयां किए बिना, बहुत कुछ कह जाती है कभी-कभी। कितनी गर्मजोशी है अदाओं में, वो बिजलियाँ गिराती है कभी-कभी। इशारों में कह जाती है बातें, पास बुलाती है कभी-कभी। वैसे गुस्से में लाल हो जाती, शरमाती भी है कभी-कभी। बातों में अपनी उलझा कर, दिल चुराती है कभी-कभी। इश्क़ का आलम कुछ ऐसा, कि पास बुलाती है कभी-कभी। दिल के करीब रहकर भी, फासले बढ़ा जाती है कभी-कभी। ख्वाबों में छुपा लेती है खुद को, हकीकत में दिख जाती है कभी-कभी। साज़िश सी लगती है ये मोहब्बत, हद से गुजर जाती है कभी-कभी। ©theABHAYSINGH_BIPIN #fog वो हक जताती है कभी-कभी वो हक जताती है कभी-कभी, प्यार जताती है कभी-कभी। डूब जाओगे गहरी आँखों में, पलके झुकाती है कभी-कभी।
#fog वो हक जताती है कभी-कभी वो हक जताती है कभी-कभी, प्यार जताती है कभी-कभी। डूब जाओगे गहरी आँखों में, पलके झुकाती है कभी-कभी।
read moreAnukaran
Unsplash बदल जाते हैं नज़ारे, बदलने वाले चाहिए, झुकता है आसमान, झुकाने वाला चाहिए, जिद्द आगे बढ़ने की है, कोशिश करने वाला चाहिए, जीत तो तुम्हारी होगी ही, मेहनत करने वाला होना चाहिए। ©Anukaran #बदल जाते हैं नज़ारे, बदलने वाले चाहिए, झुकता है आसमान, झुकाने वाला चाहिए, जिद्द आगे बढ़ने की, कोशिश करने वाला चाहिए, जीत तो तुम्हारी होगी ही,
#बदल जाते हैं नज़ारे, बदलने वाले चाहिए, झुकता है आसमान, झुकाने वाला चाहिए, जिद्द आगे बढ़ने की, कोशिश करने वाला चाहिए, जीत तो तुम्हारी होगी ही,
read moreनवनीत ठाकुर
आँधियों ने भी कई बार राह रोकनी चाही, पर मेरे हौसले ने हर दिवार तोड़ दी। दुनिया ने पूछा कैसे जीते हो हर जंग, मैंने कहा, खुद से हारने की बात छोड़ दी। जो गिरते हैं, वही उड़ना सीखते हैं, जो जलते हैं, वही सूरज बनते हैं। मुझे गिराने की साज़िश हर तूफ़ान ने की, पर मैं हर बार और मज़बूत होकर उठता हूँ। मंज़िलों ने कहा, तुमने हम तक पहुँचने का हक़ पाया, रास्तों ने कहा, तुम्हारे जज़्बे ने हमें झुकाया। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर आँधियों ने भी कई बार राह रोकनी चाही, पर मेरे हौसले ने हर दिवार तोड़ दी। दुनिया ने पूछा कैसे जीते हो हर जंग, मैंने कहा, खुद से
#नवनीतठाकुर आँधियों ने भी कई बार राह रोकनी चाही, पर मेरे हौसले ने हर दिवार तोड़ दी। दुनिया ने पूछा कैसे जीते हो हर जंग, मैंने कहा, खुद से
read moreVEER NIRVEL
सिर झुका कर मोहतरमा की सारी बातें सुनी जाती हैं... पसंदीदा स्त्री से कभी बहस नहीं की जाती... #Veer_Ki_Shayari ©VEER NIRVEL सिर झुका कर मोहतरमा की सारी बातें सुनी जाती हैं... पसंदीदा स्त्री से कभी बहस नहीं की जाती... #Veer_Ki_Shayari
सिर झुका कर मोहतरमा की सारी बातें सुनी जाती हैं... पसंदीदा स्त्री से कभी बहस नहीं की जाती... #Veer_ki_Shayari
read moreबेजुबान शायर shivkumar
//सुकुन आँचल का// एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा बाबू बाबू कह कर जब मुझें यु पालना में झुलाती है स्वर्ग के अप्सरा भी यु मंद मंद कर वो मुस्कुराती है मां की गोद में आकर भगवान भी यु बच्चे बन जाते हैं मां की ममता का सुख ईश्वर भी खूब मजा उठाते हैं ईश्वर ने खुद को बनाया है एक ख्याल उनके मन में आया है अपने जैसा ही हर किसी को खुद को पहुंचाया है जिसका नाम माँ बतलाया है समंदर से गहरी ममता का होती है उठते तूफान को शांत वो करती है न छोटा न बड़ा इस भेदभाव में मांँ कहाँ पड़ती है मीठे सपनो को अपने बच्चे के लिए मांँ संजोती है वक्त बदल जाए हालात बदल जाए पर मांँ की ममता को कोई न बदल पाए है आज तक उसकी आवाज में ऐसा जादू होता है की किसी के मुर्झाया चेहरा भी यु खिल जाता है जब मांँ की आवाज कानों में आती है सारी दुनिया से लड़ने की हिम्मत दे जाती है घर से निकल कर सर को झुका देते है मांँ का आशीर्वाद लेकर बिगड़े काम भी बना देते हैं बचपन में हो या हो बड़े आज भी मांँ के उस आंँचल में पड़े रहते है मुझे तो सुकून आँचल का मिलता है मांँ तेरी उस गोद में आ कर धनंजय शुक्ला✍ ©बेजुबान शायर shivkumar //सुकुन आँचल का// एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा बाबू बाबू कह कर जब मुझें यु पालना में झुलाती
//सुकुन आँचल का// एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा बाबू बाबू कह कर जब मुझें यु पालना में झुलाती
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